Moradabad News: सिंचाई विभाग का जिलेदार विजयवीर सिंह रिश्वत लेते गिरफ्तार

पंडित अनिल शर्मा
Moradabad News: अफजलगढ सिंचाई खण्ड धामपुर का कार्य क्षेत्र जनपद बिजनौर के अतिरिक्त जनपद मुरादाबाद की तहसील ठाकुरद्वारा एवं मुरादाबाद सदर तक फैला हुआ है। जिलेदारी स्तर पर नार्दन इण्डिया कैनाल एक्ट की धारा- 70 के वादों की प्रथम सुनवाई की जाती है ।

ठाकुरद्वारा जिलेदारी में काफी समय से उप राजस्व अधिकारी/ विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट और एसडीओ की मिलीभगत से मोटी रकम वसूलकर वाद का स्थानीय स्तर पर निपटारा किया जा रहा है । काजीपुरा निवासी मासूम अली पुत्र अबरार हुसैन से नहर पर अवैध पुलिया बनाये जाने के प्रकरण का निपटारा करने को मोटी रकम तय की गई पीडित द्वारा इसकी गुहार एंटी करप्शन टीम से की गई।

मासूम अली की शिकायत पर टीम प्रभारी इंस्पेक्टर विनोद कुमार के नेतृत्व में इंस्पेक्टर नवल मारवाह, सब इंस्पेक्टर विजय कुमार , मुख्य आरक्षी सतीश कुमार, कृष्णपाल सिंह, आरक्षी प्रियंकर कुमार, दीपक पुनिया, राहुल कुमार, एव आरक्षी चालक पिन्टू सिंह आदि की टीम गठित कर पूर्व नियोजित ढंग से पाँच हजार रूपए के नोटो पर कैमिकल लगाकर जिलेदार को दिये गये ।

एंटी करप्शन टीम ने कार्यवाहक जिलेदार विजयवीर सिंह सिंचाई पर्यवेक्षक पुत्र ओमपाल सिंह , नियुक्ति तिथि 11 अगस्त 2006 को सरेआम रिश्वत लेते हुए रंगो हाथों दबोच लिया और पकड़कर अपने साथ ले गई। खबर फैलते ही सिंचाई विभाग के बिजनौर, धामपुर और मुरादाबाद के कार्यालयों में खलबली मच गई । बताया गया कि सिंचाई विभाग धामपुर के अधिशासी अभियंता राकेश कुमार एक तेजतर्रार आफिसर हैं उनकी शख्ती और सतर्कता के बावजूद उनके अधीन जिलेदार का रिश्वत प्रकरण विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है।

Sp Loksabha Candidate List 2024: सपा ने 7 प्रत्याशी और किए घोषित, मेरठ से भानू प्रताप एडवोकेट को टिकट

समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने 7 प्रत्याशियों की ओर घोषणा की समाजवादी पार्टी ने बिजनौर से यसवीर सिंह, नगीना से मनोज कुमार, मेरठ से भानु प्रताप सिंह एडवोकेट, अलीगढ़ से विजेंद्र सिंह, हाथरस से जसवीर वाल्मीकि, लालगंज से दरोगा सरोज,भदोही सीट तृणमूल कांग्रेस को दी है। मेरठ लोकसभा सीट से टिकट मांगने वालों की लंबी कतार थी मेरठ शहर विधायक रफीक अंसारी, किठौर विधायक शाहिद मंजूर, सरधना विधायक अतुल प्रधान, और हस्तिनापुर से सपा प्रत्याशी रहे योगेश वर्मा समाजवादी पार्टी ने ईवीएम का विरोध करने वाले बुलंदशहर निवासी अधिवक्ता भानु प्रताप को मैदान में उतार दिया।

Ramadan 2024: इंसान को बुराइयों से रोक कर अच्छाई की तरफ ले जाता है रोजा- शाही इमाम पंजाब

लुधियाना। पवित्र रमजान महीने के आज पहले जुम्मे की नमाज शहर भर में लाखों मुस्लमानों ने विभिन्न मस्जिदों में अदा की। इस मौके पर फील्डगंज चौंक स्थित ऐतिहासिक जामा मस्जिद में हजारों मुस्लमानों को संबोधित करते हुए पंजाब के शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उसमान रहमानी लुधियानवी ने कहा कि रोजा इंसान को बुराइयों से रोक कर अच्छाई की तरफ ले जाता है। 

उन्होनें बताया कि हजरत मुहम्मद सल्ललाहु अलैहीवसल्लम का फरमान है कि रोजा इंसान के लिए बुराइयों से ढाल है जब तक वह इसे फाड़ ना डाले। शाही इमाम मौलाना उसमान ने कहा कि रोजा रखने का मतलब सिर्फ भूखे प्यासे रहना नहीं है। रोजेदार पर लाकामी है कि वो अपनी आंखों, अपनी जुबान और कानों का भी रोजा रखे और किसी की तरफ गलत निगाह ना डाले और अपनी जुबान से लोगों को तकलीफ ना पहुंचाएं। शाही इमाम ने कहा कि रोजेदारों को चाहिए कि वह अपने पड़ोसियों, रिश्तेदारों में उन लोगों का भी ख्याल रखे जो कि गरीबी की वजह से रमजान में परेशान नजर आते है। उन्होनें कहा कि गरीब की मदद करना हम पर लाजिम है। 

शाही इमाम ने कहा कि रोजा खास अल्लाह के लिए रखा जाता है और इसका बदला इंसान को अल्लाह ही देगा, जिसका अंदाजा भी इंसान नहीं लगा सकता। उन्होनें कहा कि अल्लाह ताआला को रोजेदार के मुंह की बू बहिशत (जन्नत) की खुशबू से ज्यादा पसंद है। शाही इमाम ने कहा कि रोजेदार को चाहिए कि वह रमजान में नेकी करने की आदत डाले ताकि रमजान के बाद वह नेकी करता रहे। 

उन्होनें कहा कि अगर हमारा रोजा हमें झूठ बोलने, बुरी निगाह से ताकने, गंदी बातें करने, हराम कमाने, शराब पीने से नहीं रोकता तो इस बात को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि वह इंसान रोजेदार नहीं है। उन्होनें कहा कि रमजान के तीस दिन हमें तमाम बुराइयों को छोड़ कर खुदा के हुक्म के मुताबिक जीवन व्यतीत करना चाहिए। 

वर्णनयोग है कि आज पवित्र रमजान के पहले जुम्मे की नमाज के मौके पर लाखों मुस्लमान मस्जिदों में इक्ट्ठे हुए जहां पर नमाज के बाद विश्व शांति की दुआ भी करवाई गई।

Ramadan 2024: खतरनाक बीमारी और बुरी मौत से बचाता है सदका, जाने सदके के जरूरी नियम

अबुल कलाम अश्क Abul@zpublicnews.in

मुकद्दस रमजान के महीने में मुसलमान द्वारा जकात और सदका दिया जाता है रमजान उल मुबारक के पहले जुमे की नमाज के मौके पर मस्जिद अबरार के इमाम मुफ्ती मुर्तजा अली कासमी ने जकात और सदके के बारे में विस्तार से बताया

ज़कात का नकद फायदा

ज़कात अदा करने से बलायें और मुसीबतें टाल दी जाती हैं। हदीस में है सदका झटपट दिया करो। इसलिए कि मुसीब सदके से आगे नहीं बढ़ती। एक दूसरी हदीस में है बेशक सदका अल्लाह तआला के गुस्से को ठंडा कर देता है। बुरी मौत से बचाता है यानी सख्त बीमारी और संगीन हालत से बचाने में मुफीद है। एक हदीस में ज़कात अदा करके अपने अमवाल की मजबूत हिफाज़त का इन्तिज़ाम करो और सदके के जरिए अपने मरीजों का इलाज करो और दुआबे गिरयादारी के जरिए आसमानों के तूफानों का मुकाबला करो।

ज़कात देने से मिलती है अल्लाह की रज़ा

ज़कात देने से माल पाक होता है और अल्लाह तआला की रज़ा हासिल होती है। जबकि ज़कात न देने से माल नापाक रहता है और अल्लाह तआला नाराज होता है। कुरआन और हदीस में ज़कात के बड़े फजाइल बयान किए गये हैं।

सदकतुल फितर के लिए साल गुजरना जरूरी नहीं

जकात हर साहिब ए निसाब पर फर्ज है, जिसके पास साढ़े बावन तौले चांदी या साढ़े सात तौले सोना हो या फिर इनकी कीमत जितना नकद रूपया हो। जकात के लिए साल गुजरना शर्त है, यानी किसी शख्स के पास छह-सात माह से इतना पैसा है कि जिससे वो इतना जेवर खरीद सकता है तो उस पर जकात फर्ज नहीं हुई। हां उस पर सदकतुल फितर वाजिब है। क्योंकि सदकतुल फितर के लिए साल गुजरने शर्त नहीं है।

ज़कात अदा ना करने पर वअीद

जो लोग सोना चांदी जमा करके रखते हैं और उन को अल्लाह की राह में खर्च नहीं करते सो आप उनको एक बड़े दर्दनाक अज़ाब की खबर सुनी दीजिए। अव्वल उनको दोजख की आग में तपाया जाएगा। फिर उस माल से उन लोगों की पेशानियां और उन की करवट और उन की पुश्तों को दाग दिया जाएगा। और उन से कहा जाएगा यह वो माल है जिस को तुम ने अपने वास्ते जमा करके रखा था। सो अब अपने जमा करने का मज़ा चखो (कुरआन करीम-सूर ए तोबा)।

हदीस: हजरत इब्ने मसऊद फरमाते हैं कि रसूल अकरम सल. ने इरशाद फरमाया कि जो शख्स अपने माल की ज़कात अदा नहीं करता क्यामत के दिन उस का माल गंजे सांप की शक्ल में उसकी गर्दन में डाल दिया जाएगा और वो कहेगा- मैं तेरा माल हूं।

2.5% जकात: गरीबों का हक, अमीरों का फर्ज, जानिए क्या है, क्यों है जरूरी और कैसे दें

रमज़ानुल मुबारक में सालाना जकात अदा की जाती है। जकात इस्लाम के पांच अरकानों में से एक रूक्न है। जकात हर साहिब-ए-निसाब पर फर्ज है। जिसके पास साढ़े बावन तौले चांदी या इनकी कीमत के बराबर नकद रूपया हो, उस पर जकात फर्ज है। जकात देने के लिए साल गुजरना शर्त है। शहर इमाम शरीफ नगर मुरादाबाद मुफ्ती परवेज आलम ने जकात के हुक्म के बारे में विस्तार से बताया।

दीन में जकात की अहमियत

ये एक मारूफ व मालूम हकीकत है कि शहादत, तौहीद व रिसालत और इ़कामते सलात के बाद जकात इस्लाम का तीसरा रूक्न है। कुरआन मजीद में सत्तर से ज्यादा मकामात पर इकामत सलात और अदाये ज़कात का जिक्र इस तरह साथ-साथ किया गया है जैसे मालूम होता है कि दीन में उन दोनों का मकाम और दर्जा करीब-करीब एक ही है।

ज़कात की राशि की गणना कैसे करें (How to Calculate Zakat Amount)

ज़कात की राशि की गणना उस व्यक्ति की कुल संपत्ति के 2.5% के रूप में की जाती है जो निसाब की शर्त को पूरा करता है। इसमें धन, सोना, चांदी, व्यापारिक वस्तुएं और कुछ निवेश शामिल हो सकते हैं। हालांकि, कुछ संपत्तियों को ज़कात से मुक्त किया गया है, जैसे कि व्यक्तिगत आवास और घरेलू सामान।

ज़कात की अदायगी

इस्लाम की मिनजुमला खुसूसियात में से एक खुसूसियात में से एक खुसूसियात ये है कि उसमें सद़का खैरात की रकम खुद अपने ही हम जिन्सों पर खर्च करने की इजाज़त दी गई है। फरीजाये ज़कात के सिलसिले में हर मुसलमान को खुसूसन ये ह़की़कत पेशे नज़र रखनी चाहिए- उसे जो कुछ भी दौलत मिली है, उसका असल मालिक वो खुद नहीं बल्कि अल्लाह तआला ही मालिक हकीकी हैं। उसने मह्ज अपने फज़्ल से हमें अपनी मल्कियत में बतौर नयाबत खर्च करने का ह़क दे रखा है। जब अल्लाह ही उसका मालिक है तो अगर वो अपने बंदों को ये हुक्म करता कि वो अपना सारा माल अल्लाह की राह में लुटा दे तो हमें शिकायत या ऐतराज़ का कोई मौका ना था। क्योंकि उसकी चीज़ है, वो जहां और जितनी चाहे खर्च कर ले। मगर ये भी उसका फज़्ल है कि हमें सिर्फ ढाई फीसद खर्च करने का हुक्म दिया है। और साथ ही उस तरफ तवज्जो दिलायी कि हम तुम्हारा नहीं मांग रहे हैं, बल्कि हमने जो तुम्हे दिया है उसमें से थोड़ा हिस्सा लेना चाहते हैं।

ज़कात किसे दी जानी चाहिए? (Who Should Receive Zakat?)

ज़कात उन आठ निर्दिष्ट श्रेणियों के लोगों को दी जानी चाहिए जिनका उल्लेख क़ुरान में किया गया है:

  • गरीब (Fuqara): वे लोग जो गंभीर आर्थिक कठिनाई का सामना कर रहे हैं।
  • मिसकीन (Miskin): वे लोग जो गरीब से भी बदतर स्थिति में हैं और बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने में भी असमर्थ हैं।
  • ज़कात वसूल करने वाले (Amil uz-Zakat): वे लोग जो ज़कात इकट्ठा करते और वितरित करते हैं।
  • रिक़ाब (Riqab): क़र्ज़ से दबे हुए लोग।
  • ग़रज़े मंदान (Gharimin): क़र्ज़दार जिनके पास क़र्ज़ चुकाने का कोई साधन नहीं है।
  • फी सबीलिल्लाह (Fi Sabilillah): रास्ते में (अल्लाह के मार्ग में) खर्च, जैसे धार्मिक कारणों से यात्रा करना।
  • इब्न-ए-सबील (Ibn us-Sabil): यात्री जो यात्रा के दौरान आर्थिक कठिनाई का सामना कर रहे हैं।
  • ज़कात माल में इज़ाफे का सबब

आमतौर पर लोग समझते हैं कि ज़कात की अदायगी से माल घट जाता है। कुरआन हदीस की सराहत ये है कि माल घटता नहीं बल्कि बढ़ता है। हदीस में नबी अकरम (स.अ.व.) ने फरमाया- किसी आदमी का माल सदके की वजह से कम नहीं होता।

आखिरत का नफा

1- एक रूपये के बदले सात सौ गुनाह अज्र मुकर्रर है।

2- ज़कात में खर्च गोया अल्लाह के साथ तिजारत करना है, जिसमें किसी नुकसान का अंदेशा नहीं।

3- ज़कात क्यामत के दिन हमारे लिए हुज्जत होगी।

4- जो शख्स ज़कात व सदका अदा करने वाला होगा उसको जन्नत के खास दरवाजों से दाखिल किया जायेगा।

ज़कात की फर्जियत

आज़ाद हो, मुसलमान हो, समझदार हो, बालिग होने से ज़कात की फर्जि़यत का इल्म हो, माल बा कद्रे निसाब हो। मसलन सोने का निसाब बीस मिस़्काल, चांदी का निसाब दो सौ दिरहम निसाब पर एक साल पूरा गुजर जाये तो ज़कात की अदायगी वाजिब हो जाती है।

ज़कात के अहम मसाइल

भैंस पर जकात है या दूध पर – अगर भैंसों की तिजारत होती है तो दूसरे तिजारत के माल की तरह उन पर ज़कात होगी। यानी साल गुजरने पर जितनी कीमत की भैंस होगी उसका चालिसवां हिस्सा ज़कात अदा करेंगे। दरमियां साल में जो कुछ उन को खिलाया या उस से कमाकर खाया उस का कोई हिसाब नहीं होगा और अगर भैंस की तिजारत नहीं बल्कि दूध की तिजारत की जाती है तो भैंसों पर ज़कात लाजिम नहीं होगी बल्कि दूध की कीमत का जो रूपया साल पूरा होने पर मौजूद है उस में जकात लाजिम होगी।