हरियाणा के रेवाड़ी जिले की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने एक सनसनीखेज मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 12वीं कक्षा के एक नाबालिग छात्र का यौन शोषण करने के आरोप में एक शिक्षिका की जमानत याचिका खारिज कर दी है। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब 13 मार्च को धारूहेड़ा थाने में शिक्षिका के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने 21 जून को आरोपी शिक्षिका को गिरफ्तार किया था, और तब से वह जेल में है। कोर्ट ने शिक्षिका की सहमति की दलील को भी खारिज करते हुए कहा कि चूंकि पीड़ित नाबालिग है, इसलिए सहमति का कोई सवाल ही नहीं उठता।
कोर्ट ने खारिज की सहमति की दलील
शिक्षिका के वकील ने कोर्ट में दलील दी थी कि एक वीडियो में शिक्षिका और छात्र के बीच किसिंग सीन को देखकर नहीं लगता कि कोई जबरदस्ती हुई थी। उनके अनुसार, होटल के रिकॉर्ड भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि कोई दबाव नहीं था, बल्कि सहमति थी। वकील ने यह भी तर्क दिया कि शिक्षिका प्राइमरी सेक्शन को पढ़ाती थी, जबकि छात्र 12वीं कक्षा में था। इसलिए उनके बीच शिक्षक-छात्र का सीधा रिश्ता नहीं था। हालांकि, फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश लोकेश गुप्ता ने इन दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि भले ही शिक्षिका प्राइमरी सेक्शन को पढ़ाती हो, लेकिन वह उसी स्कूल की शिक्षिका थी जहां छात्र पढ़ता था। इस आधार पर उनके बीच एक रिश्ता तो था ही। कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि शिक्षिका को अपने पद की गरिमा और शिक्षक-छात्र के पवित्र रिश्ते का सम्मान करना चाहिए था।
पुलिस जांच और सबूत
पुलिस ने इस मामले में शिक्षिका के खिलाफ कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस का दावा है कि उनके पास शिक्षिका के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, जो इस मामले में यौन शोषण की पुष्टि करते हैं। जांच के दौरान पुलिस ने होटल के रिकॉर्ड, वीडियो फुटेज, और अन्य साक्ष्यों को इकट्ठा किया है। पुलिस का कहना है कि जांच अभी भी जारी है और सभी पहलुओं की गहन छानबीन की जा रही है। कोर्ट ने भी इस बात पर जोर दिया कि एक नाबालिग के साथ इस तरह का व्यवहार न केवल अनुचित है, बल्कि कानूनन गंभीर अपराध है। शिक्षिका को पहले भी अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद गिरफ्तार किया गया था। इस मामले ने शिक्षा के क्षेत्र में नैतिकता और जिम्मेदारी के सवालों को फिर से उठाया है।