“ये राक्षस मेरी जान ले लेगा,” यह कहते हुए वाराणसी जिला जेल की महिला डिप्टी जेलर मीना कनौजिया की आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाई है कि उनकी जान खतरे में है और जेल अधीक्षक उमेश सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मीना की आवाज में दर्द साफ झलकता है जब वे अपनी आपबीती सुनाती हैं। उनका कहना है कि तीन साल पहले जब वे कांस्टेबल से डिप्टी जेलर के पद पर पहुंची थीं, तो उनके लिए वो खुशी का पल था। मेहनत और लगन से मिली इस तरक्की ने उन्हें गर्व का अहसास कराया था, लेकिन पिछले डेढ़ साल से उनकी जिंदगी नर्क बन चुकी है। वे बताती हैं कि जेल अधीक्षक उमेश सिंह ने उनका जीना मुहाल कर दिया है।
मीना का आरोप है कि जेल में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। वे कहती हैं, “इस राक्षस के रहते जेल में कोई भी महिला अधिकारी सुरक्षित नहीं है।” उनके शब्दों में गुस्सा और डर दोनों समाए हैं। उन्होंने बताया कि जेल अधीक्षक की मनमानी और उत्पीड़न ने न सिर्फ उनकी जिंदगी को प्रभावित किया, बल्कि जेल के माहौल को भी जहरीला बना दिया है। मीना ने मुख्यमंत्री से इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है, ताकि उनकी और अन्य महिला कर्मचारियों की जान बच सके। उनका कहना है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।
यह मामला सिर्फ मीना की कहानी तक सीमित नहीं है। जेल में काम करने वाली कई महिलाएं ऐसी परिस्थितियों से जूझ रही हैं, लेकिन डर की वजह से खुलकर बोलने से कतराती हैं। मीना ने हिम्मत दिखाई और अपनी बात को दुनिया के सामने रखा। वे कहती हैं कि उनकी शिकायत कोई निजी दुश्मनी का नतीजा नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी सच्चाई है जिसे दबाया नहीं जा सकता। उनके मुताबिक, जेल अधीक्षक की हरकतों ने न सिर्फ उनकी मानसिक शांति छीन ली, बल्कि उनके करियर पर भी सवालिया निशान लगा दिया।
उत्तर प्रदेश में जेल सुधार को लेकर सरकार ने कई कदम उठाए हैं, लेकिन इस तरह की घटनाएं सवाल खड़े करती हैं कि क्या ये प्रयास धरातल पर सही मायने में लागू हो रहे हैं? मीना की गुहार न सिर्फ उनकी व्यक्तिगत लड़ाई है, बल्कि यह हर उस महिला की आवाज बन सकती है जो अपने कार्यस्थल पर सुरक्षित महसूस करना चाहती है। यह घटना वाराणसी जिला जेल की उन अनसुनी कहानियों को सामने लाती है, जिन्हें अब तक अनदेखा किया जाता रहा है।