महोबा की रहने वाली दो युवतियों की जिंदगी उस वक्त उजड़ गई, जब एक अनजान कॉल ने उनके सपनों को चकनाचूर कर दिया। करीब एक साल पहले, एक युवती के मोबाइल पर आगरा के शमसाबाद निवासी एक युवक का फोन आया। गलत नंबर का बहाना बनाकर शुरू हुई बातचीत धीरे-धीरे दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई। युवक ने शादी का वादा किया और युवती को 28 फरवरी को महोबा से अपने साथ ले गया। गुजरात में किराए के मकान में दोनों साथ रहने लगे, लेकिन यह रिश्ता जल्द ही दर्दनाक सच्चाई में बदल गया। युवक ने तीन महीने तक युवती का शारीरिक शोषण किया। जब युवती गर्भवती हुई, तो उसने दर्द की दवा के बहाने गर्भपात की गोली खिला दी। इसके बाद वह उसे राजस्थान के मेहंदीपुर ले गया, जहां उसका दुख और बढ़ गया। इस घटना ने न केवल युवती के विश्वास को तोड़ा, बल्कि उसके भविष्य को भी अंधेरे में धकेल दिया।
आगरा में बेवफाई और ठगी का शिकार
युवक की बेवफाई यहीं नहीं रुकी। युवती के दोबारा गर्भवती होने पर वह उसे आगरा ले आया। वहां उसका चचेरा भाई भी एक अन्य महिला के साथ शामिल हो गया। दोनों भाइयों ने होटल में कमरा बुक करने का बहाना बनाकर दोनों युवतियों को आगरा के कैंट स्टेशन पर छोड़ दिया और फरार हो गए। फोन बंद, पता गलत—युवतियों के पास अब कोई सहारा नहीं था। जब एक युवती शमसाबाद में आरोपी के बताए पते पर पहुंची, तो उसके परिजनों ने उसे मारपीट कर भगा दिया। शमसाबाद पुलिस ने भी उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। बेसहारा और ठगा हुआ महसूस करते हुए, दोनों युवतियां पिछले 18 दिनों से कैंट स्टेशन पर भीख मांगकर गुजारा कर रही हैं। यह घटना समाज में महिलाओं के प्रति विश्वासघात और असंवेदनशीलता की गंभीर समस्या को उजागर करती है।
इंसाफ की उम्मीद में डीसीपी कार्यालय पहुंचीं युवतियां
निराशा और दुख के बीच, दोनों युवतियों ने हिम्मत नहीं हारी। बुधवार को वे डीसीपी सिटी कार्यालय पहुंचीं और अपनी आपबीती के साथ शिकायती पत्र सौंपा। उनकी कहानी न केवल उनके दर्द को बयां करती है, बल्कि समाज में महिलाओं के साथ होने वाले विश्वासघात और शोषण की गंभीर समस्या को भी सामने लाती है। अब सवाल यह है कि क्या इन युवतियों को इंसाफ मिलेगा? क्या समाज और कानून उनकी मदद के लिए आगे आएंगे? यह मामला न केवल कानूनी कार्रवाई की मांग करता है, बल्कि समाज से यह भी अपेक्षा करता है कि वह ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता और संवेदनशीलता दिखाए। इन युवतियों की कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारा समाज और कानून व्यवस्था सचमुच कमजोर वर्ग की रक्षा करने में सक्षम है?