11 अगस्त से शुरू होने वाला हफ्ता भारतीय शेयर बाजार के लिए बेहद महत्वपूर्ण होने जा रहा है। इस दौरान पांच प्रमुख कारणों की वजह से बाजार में बड़ा एक्शन देखने को मिल सकता है। कुछ महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़े जारी होने वाले हैं, जो शेयरों की कीमतों पर असर डाल सकते हैं। साथ ही, कुछ अंतरराष्ट्रीय घटनाएं भी भारतीय स्टॉक मार्केट को प्रभावित कर सकती हैं। निवेशकों को इन कारकों पर कड़ी नजर रखनी होगी, क्योंकि इनसे बाजार में भारी उतार-चढ़ाव की संभावना है। ध्यान देने वाली बात यह है कि 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारतीय शेयर बाजार बंद रहेगा। आइए, जानते हैं उन पांच कारणों के बारे में जो अगले हफ्ते बाजार की दिशा तय करेंगे।
अमेरिकी टैरिफ विवाद और व्यापार वार्ता का असर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयातित वस्तुओं पर 50% का भारी टैरिफ लागू किया है, जिसने भारतीय शेयर बाजार में हलचल मचा दी है। ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि भारत के साथ व्यापार वार्ता तब तक स्थगित रहेगी, जब तक टैरिफ विवाद का समाधान नहीं हो जाता। मार्केट विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह आक्रामक रुख भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार के लिए गंभीर चुनौती पेश कर रहा है। विशेषज्ञों को उम्मीद है कि भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही बातचीत शुरू होगी, जिससे सकारात्मक परिणाम सामने आ सकते हैं। हालांकि, अगर कोई समझौता नहीं हुआ, तो निर्यात-उन्मुख क्षेत्रों जैसे टेक्सटाइल, जेम्स एंड ज्वैलरी, और इलेक्ट्रॉनिक्स पर भारी दबाव पड़ सकता है। इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच संभावित व्यापार समझौते से विदेशी पूंजी का भारत से आउटफ्लो बढ़ सकता है, जो बाजार के लिए और नकारात्मक होगा।
आर्थिक आंकड़े और विदेशी निवेशकों का रुख
इस हफ्ते कुछ महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़े जारी होने वाले हैं, जैसे कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) और थोक मूल्य सूचकांक (WPI), जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति को प्रभावित कर सकते हैं। ये आंकड़े महंगाई और आर्थिक स्थिरता के बारे में संकेत देंगे, जो शेयर बाजार की चाल तय करेंगे। साथ ही, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की बिकवाली भी बाजार पर दबाव डाल रही है। जुलाई 2025 में FPI ने 17,741 करोड़ रुपये की निकासी की, जिससे बाजार में अनिश्चितता बढ़ी है। विशेषज्ञों का कहना है कि कमजोर तिमाही नतीजे और वैश्विक व्यापार तनाव के कारण FPI का नकारात्मक रुख अगले हफ्ते भी जारी रह सकता है, जिससे सेंसेक्स और निफ्टी पर दबाव बना रहेगा।
सेक्टर-विशिष्ट प्रभाव और निवेशकों के लिए सलाह
टैरिफ विवाद का सबसे ज्यादा असर उन क्षेत्रों पर पड़ेगा जो अमेरिकी निर्यात पर निर्भर हैं। ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, जेम्स एंड ज्वैलरी, और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टरों में 3-7% की गिरावट की आशंका है। हालांकि, फार्मा और आईटी जैसे क्षेत्र अपेक्षाकृत सुरक्षित रह सकते हैं, क्योंकि इन पर टैरिफ का सीधा असर कम होगा। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे घरेलू-केंद्रित कंपनियों और डिफेंसिव सेक्टर जैसे हेल्थकेयर और FMCG पर ध्यान दें। साथ ही, रुपये की कमजोरी (88-90 के स्तर पर) भी आयात-आधारित कंपनियों पर दबाव बढ़ा सकती है। निवेशकों को सतर्क रहते हुए लंबी अवधि के लिए ट्रेड डील की प्रगति पर नजर रखनी चाहिए।