‘अच्छे नंबर दूंगी’ कहकर छात्र होटल ले गई शिक्षिका, बनाए शारीरिक संबंध

हरियाणा के रेवाड़ी में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने समाज में शिक्षक-छात्र के पवित्र रिश्ते पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक शादीशुदा महिला टीचर पर 12वीं कक्षा के नाबालिग छात्र के यौन शोषण का गंभीर आरोप लगा है। यह महिला गुरुग्राम के एक प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ाती थी और पीड़ित छात्र की क्लास टीचर थी। इस मामले ने न केवल स्थानीय समुदाय को हिलाकर रख दिया, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता पर भी गहरे सवाल उठाए हैं।

एक विश्वासघात की कहानी

यह घटना रेवाड़ी के धारूहेड़ा क्षेत्र की है, जहां पीड़ित छात्र रहता है। बताया जाता है कि 35 वर्षीय महिला टीचर ने नाबालिग छात्र को अच्छे अंकों का लालच देकर अपने जाल में फंसाया। शुरुआत में वह उसे विभिन्न बहानों से अपने घर बुलाती थी। धीरे-धीरे यह सिलसिला होटल तक पहुंच गया। जून 2024 में महिला ने छात्र को धारूहेड़ा के सेक्टर-6 में एक होटल में ले जाकर कथित तौर पर उसका यौन शोषण किया। अगस्त और सितंबर 2024 में भी ऐसी घटनाएं सामने आईं, जहां महिला ने होटल में छात्र को बुलाया और रिश्तेदार बताकर उसकी एंट्री करवाई। हैरानी की बात यह है कि होटल का भुगतान भी वह खुद नकद करती थी, ताकि कोई शक न हो।

सबूतों ने खोली पोल

मार्च 2025 में पीड़ित छात्र के पिता को इस घिनौने कृत्य की भनक लगी। उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचित किया और कई वीडियो साक्ष्य सौंपे, जो स्वयं छात्र ने बनाए थे। ये वीडियो इस बात का पुख्ता सबूत थे कि महिला टीचर ने नाबालिग के साथ अनुचित व्यवहार किया। पुलिस ने होटल रिकॉर्ड्स की जांच की, जिसमें दोनों की मौजूदगी की पुष्टि हुई। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी महिला मूल रूप से चरखी दादरी की रहने वाली है और उसने धारूहेड़ा में हाल ही में एक नया घर लिया था, जहां वह छात्र को बुलाकर उसका शोषण करती थी।

कानूनी कार्रवाई और फरारी

पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया और जांच शुरू की। आरोपी महिला ने गिरफ्तारी से बचने के लिए फास्ट-ट्रैक कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की, लेकिन सबूतों के आधार पर कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद महिला फरार हो गई। रेवाड़ी के पुलिस अधीक्षक हेमेंद्र मीणा ने बताया कि आरोपी की तलाश जारी है और पुलिस इस मामले में पूरी गंभीरता से जांच कर रही है।

समाज पर प्रभाव

यह घटना न केवल एक परिवार के लिए दुखद है, बल्कि यह शिक्षा क्षेत्र में विश्वास की कमी को भी दर्शाती है। माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल सुरक्षित माहौल मानकर भेजते हैं, लेकिन ऐसी घटनाएं इस विश्वास को तोड़ती हैं। यह मामला हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति और उनकी गतिविधियों की निगरानी के लिए और सख्त नियमों की आवश्यकता है।

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