राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ आरोपों से सियासत में हलचल, राजनीतिक विश्लेषकों ने बताया आरोपों में दम

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर ‘वोट चोरी’ के गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद देश की सियासत गरमा गई है। राहुल गांधी ने दावा किया है कि हाल के चुनावों में मतगणना और मतदान प्रक्रिया में अनियमितताएं हुई हैं, जिससे विपक्षी दलों के वोट प्रभावित हुए। उनके इस बयान ने सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच तीखी बहस छेड़ दी है। कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने का फैसला किया है और 11 अगस्त को एक अहम बैठक बुलाई है, जिसमें देशव्यापी प्रदर्शन की रणनीति तैयार की जा सकती है।

25 विपक्षी दलों का राहुल को समर्थन

राहुल गांधी के आरोपों को 25 विपक्षी दलों का समर्थन मिला है, जो इस मुद्दे पर एकजुटता का संकेत देता है। इन दलों में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी), समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई-एम), सीपीआई-एमएल, फॉरवर्ड ब्लॉक, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार), शिवसेना (यूबीटी), द्रविड़ मुनेत्र कझगम (डीएमके), विदुथलै चिरुथिगल काची (वीसीके), रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल), केरल कांग्रेस (एम), केरल कांग्रेस (जे), मक्कल निधि मय्यम (एमएनएम), मरुमालार्ची द्रविड़ मुनेत्र कझगम (एमडीएमके), कोन्गुनाडु मक्कल देसिया काची (केएमडीके) और पीडब्ल्यूके शामिल हैं। टीएमसी के महासचिव अभिषेक बनर्जी का समर्थन कांग्रेस के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि, आम आदमी पार्टी (आप) ने इस गठजोड़ से दूरी बनाए रखी है।

कांग्रेस की रणनीति: प्रदर्शन और बैठक का ऐलान

कांग्रेस ने राहुल गांधी के आरोपों को जनता तक ले जाने के लिए व्यापक रणनीति बनाई है। 11 अगस्त को दिल्ली में होने वाली बैठक में विपक्षी दलों के नेताओं के साथ रणनीति पर चर्चा होगी। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस देशभर में प्रदर्शन और जन जागरूकता अभियान शुरू करने की योजना बना रही है। पार्टी का मानना है कि मतदाता सूची में हेरफेर और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता पर सवाल उठाना जरूरी है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए पारदर्शिता जरूरी है।” पार्टी ने यह भी मांग की है कि मतगणना प्रक्रिया में स्वतंत्र पर्यवेक्षकों को शामिल किया जाए।

राजनीतिक विश्लेषकों ने बताया आरोपों में दम

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी के आरोपों में दम हो सकता है। स्वतंत्र चुनाव विश्लेषक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि मतदाता सूची में अचानक बदलाव और कुछ क्षेत्रों में मतगणना में देरी जैसे मुद्दों ने संदेह पैदा किया है। उन्होंने कहा, “विपक्ष का एकजुट होना इस मुद्दे को और गंभीर बनाता है। अगर इन आरोपों की निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरा हो सकता है।” कुछ विश्लेषकों का यह भी कहना है कि विपक्ष इस मुद्दे को 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले जनता के बीच ले जाकर सत्तारूढ़ दल पर दबाव बनाना चाहता है।

सत्तारूढ़ दल का पलटवार, विपक्ष पर लगाए आरोप

सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राहुल गांधी के आरोपों को “निराधार” और “चुनावी हार की बौखलाहट” करार दिया है। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि विपक्ष अपनी हार को पचा नहीं पा रहा और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि ईवीएम की विश्वसनीयता को सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है और विपक्ष को अपनी रणनीति पर ध्यान देना चाहिए। बीजेपी ने यह भी कहा कि विपक्षी दलों का गठजोड़ केवल सियासी नौटंकी है और इसका कोई ठोस आधार नहीं है। इस बीच, चुनाव आयोग ने अभी तक राहुल गांधी के आरोपों पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि आयोग जल्द ही इस मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर सकता है।

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