इंडिया गठबंधन ने बिहार में मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर धांधली और आगामी लोकसभा चुनावों में वोटर फ्रॉड के आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग के खिलाफ तीखा विरोध प्रदर्शन किया। इस मार्च में विपक्षी दलों के कई बड़े नेता शामिल थे। प्रदर्शन के दौरान तृणमूल कांग्रेस की सांसद मिताली बाग अचानक बेहोश हो गईं, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अन्य नेताओं ने तुरंत उनकी मदद की और उन्हें इलाज के लिए सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। इस घटना ने गठबंधन की एकजुटता को दर्शाया, लेकिन मतदाता सूची में अनियमितताओं के मुद्दे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल
विपक्षी नेताओं ने इस विरोध मार्च के जरिए चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली और मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि मतदाता सूची में धांधली लोकतंत्र के लिए खतरा है। उन्होंने चुनाव आयोग तक पहुंचने से रोकने को लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर हमला बताया। नेताओं ने मांग की कि मतदाता सूची को पूरी तरह पारदर्शी और साफ-सुथरा बनाया जाए ताकि आगामी चुनाव निष्पक्ष हों। इस प्रदर्शन ने बिहार की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है।
कौन हैं सांसद मिताली बाग?
मिताली बाग पश्चिम बंगाल के आरामबाग (एससी) निर्वाचन क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस की सांसद हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत ICDS कार्यकर्ता और जिला परिषद सदस्य के रूप में की थी। उनकी राजनीतिक यात्रा ग्रामीण स्तर से शुरू होकर लोकसभा तक पहुंची है। मिताली महिलाओं और वंचित वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए जानी जाती हैं। वे अपने क्षेत्र में विकास कार्यों और जनसुनवाई को प्राथमिकता देती हैं। उनकी मजबूत मौजूदगी और सक्रियता ने उन्हें पार्टी और विपक्षी गठबंधन में महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है।
विपक्षी गठबंधन की रणनीति और चुनौतियां
इंडिया गठबंधन का यह प्रदर्शन न только चुनाव आयोग के खिलाफ उनकी एकजुटता दर्शाता है, बल्कि आगामी लोकसभा चुनावों के लिए उनकी रणनीति को भी उजागर करता है। मिताली बाग की घटना ने गठबंधन के नेताओं के बीच सहयोग को मजबूत किया, लेकिन मतदाता सूची में सुधार की मांग ने सरकार और चुनाव आयोग पर दबाव बढ़ा दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा विपक्ष के लिए एक बड़ा हथियार बन सकता है, बशर्ते वे इसे प्रभावी ढंग से उठाएं।