मौलाना महमूद मदनी के डिनर में शामिल हुए विपक्षी सांसद, फिलिस्तीन और असम पर चर्चा गरमाई

नई दिल्ली की सर्द शाम में, शांगरी-ला होटल का माहौल गंभीर चर्चाओं और एकजुटता के संदेशों से गूंज उठा। जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी के निमंत्रण पर विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद एक मंच पर इकट्ठा हुए। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), बीजू जनता दल (बीजेडी), द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), और ऑल इंडिया मुस्लिम लीग जैसे दलों के प्रमुख नेताओं ने इस रात्रिभोज में हिस्सा लिया।

यह आयोजन केवल एक औपचारिक मुलाकात नहीं था, बल्कि देश और दुनिया के जलते मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श का अवसर था। मौलाना मदनी ने अपने स्वागत भाषण में सामाजिक एकता और राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विभिन्न विचारधाराओं के बीच संवाद ही देश को मजबूत बना सकता है।

फलस्तीन मुद्दे पर तीखी आलोचना

आयोजन में फलस्तीन के मुद्दे पर भारत सरकार की नीति की कड़ी आलोचना हुई। मौलाना मदनी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत की मौजूदा विदेश नीति देश के ऐतिहासिक और नैतिक मूल्यों के खिलाफ है। “फलस्तीन का मुद्दा अब सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि मानवता का सवाल बन चुका है,” उन्होंने जोर देकर कहा। उन्होंने तर्क दिया कि भारत का मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले समूहों के साथ खड़ा होना वैश्विक मंच पर देश की साख को नुकसान पहुंचा रहा है।

इस मुद्दे पर सांसदों ने एकजुट होकर आवाज उठाने की प्रतिबद्धता जताई। टीएमसी और डीएमके के नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि भारत को अपनी विदेश नीति में नैतिकता और मानवता को प्राथमिकता देनी चाहिए। समाजवादी पार्टी के एक सांसद ने सुझाव दिया कि भारत को संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर फलस्तीन के हक में मजबूत रुख अपनाना चाहिए।

एकजुटता और भविष्य की दिशा

रात्रिभोज में नेताओं ने न केवल फलस्तीन जैसे वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक एकता और समावेशी विकास जैसे विषयों पर भी विचार साझा किए। मौलाना मदनी ने प्रस्ताव रखा कि इस तरह के आयोजन नियमित रूप से हों, ताकि विभिन्न दलों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा मिले। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार कर राष्ट्रीय और वैश्विक हितों के लिए एकजुट होने का प्रतीक है।

रात्रिभोज के अंत में, नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने सामाजिक एकता, मानवाधिकारों की रक्षा, और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई। इस आयोजन ने यह स्पष्ट किया कि संवाद और सहयोग से ही जटिल समस्याओं का समाधान संभव है।

इस डिनर में सपा के हरेंद्र मलिक, इकरा हसन, मोहिबुल्लाह नदवी, जिया उर रहमान बर्क मौजूद रहे. वहीं, कांग्रेस के इमरान मसूद, इमरान प्रतापगढ़ी, जावेद खान, एनसी के आगा रुहुल्ला मेहंदी,मियां अल्ताफ और चंद्रशेखर आजाद मौजूद रहे. इस मीटिंग में देश के मौजूदा हालात को लेकर चिंता जाहिर की गई. साथ ही मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा और नफरत की घटनाओं पर भी गंभीर चर्चा हुई. इस मौके पर मौलाना मदनी ने कहा कि यह वक्त एकजुट होकर मुस्लिम समाज की आवाज को मजबूत करने का है.

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