जापान में जापानी नागरिकों की संख्या तेजी से घट रही है, और यह खबर देश के लिए एक बड़े अलार्म की तरह है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2024 में जापान की कुल आबादी में जापानी नागरिकों की संख्या में 9 लाख 8 हज़ार 574 की कमी दर्ज की गई। यह स्थिति न केवल चिंताजनक है, बल्कि जापान की अर्थव्यवस्था, सामाजिक संरचना और भविष्य के लिए गंभीर सवाल खड़े करती है। कम जन्म दर, बढ़ती मृत्यु दर और बुजुर्ग आबादी का बढ़ता अनुपात इस संकट को और गहरा रहा है। आइए, इस मुद्दे को विस्तार से समझते हैं।
दो दशकों से जारी है जनसंख्या संकट
जापान में आबादी का संकट कोई नई बात नहीं है। पिछले दो दशकों से देश की जनसंख्या लगातार घट रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है जन्म दर में ऐतिहासिक गिरावट। 2024 में जापान में केवल 6,86,061 बच्चे पैदा हुए, जो 1899 के बाद से सबसे कम है। इसके विपरीत, मृत्यु दर 16 लाख के करीब रही, जिससे जनसंख्या में भारी कमी आई। युवा पीढ़ी में शादी और बच्चे पैदा करने की रुचि कम होना, उच्च जीवन-यापन लागत और अनिश्चित नौकरी की स्थिति इसकी प्रमुख वजहें हैं। जापान की प्रजनन दर 1.15 तक गिर चुकी है, जो स्थायी जनसंख्या के लिए आवश्यक 2.1 से बहुत कम है।
आंकड़े बता रहे हैं सच्चाई
जापान टाइम्स की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, 1 जनवरी 2025 तक जापान में स्थानीय नागरिकों की आबादी घटकर लगभग 12 करोड़ रह गई है। यह पिछले साल की तुलना में 9 लाख 8 हज़ार 574 की कमी दर्शाता है, जो 1968 के बाद से सबसे बड़ी वार्षिक गिरावट है। कुल आबादी, जिसमें विदेशी नागरिक शामिल हैं, 12 करोड़ 38 लाख है। 65 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग अब आबादी का 30% हिस्सा हैं, जो दुनिया में मोनाको के बाद दूसरा सबसे बड़ा अनुपात है। यह स्थिति जापान की पेंशन व्यवस्था, स्वास्थ्य सेवाओं और आर्थिक उत्पादकता पर भारी दबाव डाल रही है।
विदेशी कामगार: अर्थव्यवस्था का सहारा
इस संकट के बीच एक सकारात्मक बदलाव यह है कि जापान में विदेशी निवासियों की संख्या बढ़ रही है। 2024 में विदेशी नागरिकों की संख्या 10.65% बढ़कर 36.8 लाख हो गई, जो कुल आबादी का 3% है। ये ज्यादातर अस्थायी कामगार हैं, जो निर्माण, स्वास्थ्य और तकनीकी क्षेत्रों में योगदान दे रहे हैं। सरकार ने डिजिटल नोमाड वीजा और कौशल विकास योजनाओं के जरिए विदेशी श्रम को प्रोत्साहित किया है। हालांकि, जापान की सख्त प्रवासन नीतियां लंबे समय तक इस संकट का समाधान नहीं हो सकतीं।
भविष्य के लिए चुनौती
जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने इस स्थिति को “शांत आपातकाल” करार दिया है। सरकार ने बच्चों की देखभाल, पितृत्व अवकाश और आवास छूट जैसी योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन इनका प्रभाव सीमित रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2070 तक जापान की आबादी 30% घटकर 8.7 करोड़ रह सकती है। इस संकट से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर सामाजिक और नीतिगत बदलावों की जरूरत है, वरना जापान की अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसका गहरा असर पड़ सकता है।