मुख्यमंत्री पोर्टल पर की शिकायत अब जान के पीछे पड़ गए दबंग, गांव में मचा हड़कंप

 उत्तर प्रदेश के ठाकुरद्वारा क्षेत्र के कमालपुरी खालसा गांव में एक साधारण ग्रामीण, मोहम्मद रफी उर्फ छोटे, ने ग्राम समाज की जमीन पर हो रहे अवैध निर्माण के खिलाफ आवाज उठाई। लेकिन यह साहसिक कदम उनके लिए मुसीबत का सबब बन गया। रफी ने बताया कि एक तरफ जहां दबंग उनकी जान के पीछे पड़े हैं, वहीं दूसरी तरफ पुलिस की मिलीभगत के चलते उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाने का डर सता रहा है। इस अन्याय के खिलाफ उन्होंने जिला प्रशासन और मुख्यमंत्री पोर्टल तक अपनी फरियाद पहुंचाई, मगर उनकी जिंदगी अब खतरे में है। यह कहानी न केवल एक व्यक्ति की हिम्मत को दर्शाती है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन के अवैध कब्जे की गंभीर समस्या को भी उजागर करती है।

अवैध निर्माण का पुराना विवाद

कमालपुरी खालसा गांव में गाटा संख्या 494 की 2.9 डिसमिल ग्राम समाज की जमीन पर गांव के ही राजीव उर्फ सुदेश ने अवैध रूप से मकान बनाना शुरू किया था। रफी ने कई महीने पहले इसकी शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर दर्ज कराई थी। उनकी शिकायत का असर हुआ और राजस्व प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए निर्माण कार्य रुकवा दिया। लेकिन मंगलवार को राजीव ने प्रशासन को खुलेआम चुनौती देते हुए विवादित मकान पर लिंटर डालने की कोशिश की। रफी ने तत्काल इसकी सूचना प्रशासन को दी, जिसके बाद उपजिलाधिकारी प्रीति सिंह ने सख्त रुख अपनाते हुए निर्माण कार्य को दोबारा रोक दिया। प्रीति सिंह ने स्पष्ट किया कि ग्राम समाज की एक इंच जमीन पर भी अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

समझौते का उल्लंघन और धमकियां

रफी के मुताबिक, पहले भी इस मामले में सामाजिक स्तर पर समझौता हुआ था। गांव के लोगों की मौजूदगी में राजीव ने वादा किया था कि वह ग्राम समाज की जमीन को कब्जामुक्त कर देगा। मगर, उसने न केवल अपने वादे को तोड़ा, बल्कि फिर से अवैध निर्माण शुरू कर दिया। जब रफी ने इसकी शिकायत दोबारा की, तो राजीव ने उन पर पैसे लेकर समझौता करने का झूठा आरोप लगाया और झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी दी। रफी का कहना है कि यह सब उनकी आवाज को दबाने की साजिश है।

जानलेवा हमले का डर

मामला यहीं नहीं रुका। रफी ने बताया कि सोमवार की शाम, जब वह उत्तराखंड के बाजपुर से एक रिश्तेदार के दाह संस्कार से लौट रहे थे, तभी भंवालपुरे के बाग के पास राजीव के परिवार वालों ने उन पर हमला करने की कोशिश की। किसी तरह वह वहां से भाग निकले, लेकिन अब उनकी जान को लगातार खतरा बना हुआ है। रफी का कहना है कि दबंगों की धमकियों और पुलिस की निष्क्रियता के कारण वह डर के साए में जी रहे हैं। उनकी शिकायत, जो ग्राम समाज की जमीन को बचाने की कोशिश थी, अब उनके लिए मुसीबत बन चुकी है।

प्रशासन की जवाबदेही और भविष्य

उपजिलाधिकारी प्रीति सिंह की त्वरित कार्रवाई ने यह साफ कर दिया है कि प्रशासन अवैध कब्जे के खिलाफ सख्त रुख अपनाने को तैयार है। लेकिन रफी जैसे साधारण ग्रामीणों की सुरक्षा एक बड़ा सवाल है। ग्राम समाज की जमीन पर अवैध कब्जे की समस्या उत्तर प्रदेश के कई गांवों में आम है, और इस तरह के मामले सामने आते रहते हैं। रफी की कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या साहस के साथ सच बोलने की कीमत इतनी भारी होनी चाहिए? प्रशासन को न केवल अवैध निर्माण रोकने, बल्कि शिकायतकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी ठोस कदम उठाने होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *