देहरादून : उत्तराखंड में हाल ही में एक बड़ा राजनीतिक बदलाव देखने को मिला है। राज्य के वित्त, शहरी विकास, आवास, जनगणना और संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सोमवार को मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने उनके मंत्री पद से हटाने की आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी।
प्रेमचंद अग्रवाल ने इस्तीफा देने के बाद मीडिया से संक्षिप्त बातचीत की और फिर सीधे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आवास पहुंचे, जहां उन्होंने अपना इस्तीफा सौंपा। इसके बाद यह इस्तीफा तुरंत राजभवन भेज दिया गया। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की सहमति से यह फैसला लिया कि जब तक अगला आदेश नहीं आता, तब तक अग्रवाल के सभी विभागों की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी संभालेंगे।
इस घटना के साथ ही उत्तराखंड सरकार में एक और मंत्री पद खाली हो गया है। इससे पहले परिवहन मंत्री चंदन रामदास के निधन के बाद भी एक पद रिक्त हो गया था। अब प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे से सरकार के सामने नए सवाल खड़े हो रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इन बदलावों का असर राज्य की प्रशासनिक और राजनीतिक व्यवस्था पर देखने को मिल सकता है। मुख्यमंत्री धामी ने अभी इस मामले पर कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन उनके पास अब अतिरिक्त विभागों का भार आ गया है।
इस्तीफे के बाद अब प्रेमचंद अग्रवाल को अपना सरकारी आवास भी छोड़ना होगा। यमुना कॉलोनी में स्थित उनका आवास आर-2 राज्य संपत्ति विभाग के नियमों के अनुसार तीन महीने के भीतर खाली करना होगा। इस्तीफे के बाद वे ऋषिकेश लौट गए हैं, लेकिन आवास खाली करने में अभी कुछ समय लग सकता है।
दिलचस्प बात यह है कि यमुना कॉलोनी के इस आवास को लेकर लोगों के बीच चर्चा गर्म है। कहा जा रहा है कि आर-2 में रहने वाला कोई भी मंत्री अब तक अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। यह बात राजनीतिक गलियारों में भी कौतूहल का विषय बनी हुई है।