Ameen Jaspuri Best Ghazal: खुली है पलक और सोती है आंखें…

ना आंचल न तकिया भिगोती है आंखें
बड़ी एहतियातों से रोती हैं आंखें

कभी दिल में नश्तर चुभोती है आंखें
कभी मिशले मरहम भी होती हैं आंखें

रवा रंजिशो में तो आंसू है लेकिन
खुशी में भी मोती पिरोती है आंखें

ताल्लुक नहीं है कोई जिन गमों से
कभी उन गमों पर भी रोती है आंखें

यह क्या मरहला जात का आ गया है
खुली है पलक और सोती है आंखें

अमीन जसपुरी

Rahat Indori Best Gajal: हर हक़ीक़त को मेरी ख़्वाब समझने वाले…

Rahat Indori Best Gajal:

इश्क़ में जीत के आने के लिये काफ़ी हूँ
मैं अकेला ही ज़माने के लिये काफ़ी हूँ

हर हक़ीक़त को मेरी ख़्वाब समझने वाले
मैं तेरी नींद उड़ाने के लिये काफ़ी हूँ

ये अलग बात के अब सुख चुका हूँ फिर भी
धूप की प्यास बुझाने के लिये काफ़ी हूँ

बस किसी तरह मेरी नींद का ये जाल कटे
जाग जाऊँ तो जगाने के लिये काफ़ी हूँ

जाने किस भूल भुलैय्या में हूँ खुद भी लेकिन
मैं तुझे राह पे लाने के लिये काफ़ी हूँ

डर यही है के मुझे नींद ना आ जाये कहीं
मैं तेरे ख़्वाब सजाने के लिये काफ़ी हूँ

ज़िंदगी ढूंडती फिरती है सहारा किसका
मैं तेरा बोझ उठाने के लिये काफ़ी हूँ

मेरे दामन में हैं सौ चाक मगर ए दुनिया
मैं तेरे ऐब छुपाने के लिये काफ़ी हूँ

एक अख़बार हूँ औक़ात ही क्या मेरी मगर,
शहर में आग लगाने के लिये काफ़ी हूँ

मेरे बच्चों मुझे दिल खोल के तुम ख़र्च करो,
मैं अकेला ही कमाने के लिये काफ़ी हूँ

          राहत इंदौरी