ठाकुरद्वारा में अवैध रूप से बनी दुकानों पर चला बाबा का बुलडोजर

पंडित अनिल शर्मा मुरादाबाद जनपद मुरादाबाद के ठाकुरद्वारा शहर में शनिवार को एक बड़े अभियान के तहत अवैध निर्माण के खिलाफ बुलडोजर ने जोरदार दस्तक दी। जिलाधिकारी के स्पष्ट निर्देशों के बाद राजस्व विभाग और नगर पालिका की संयुक्त टीम ने शहर के कई इलाकों में अवैध ढांचों को ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई न केवल अवैध कब्जों को हटाने का संदेश देती है, बल्कि भविष्य में ऐसी गतिविधियों पर और सख्ती की चेतावनी भी देती है। स्थानीय निवासियों और दुकानदारों में इस कार्रवाई से हड़कंप मच गया, खासकर उन लोगों में जो बिना अनुमति के निर्माण कर रहे थे।

शहर के प्रमुख स्थानों, जैसे चलचित्र चौराहा और कदीर तिराहा, इस अभियान का केंद्र रहे। राजस्व विभाग, नगर पालिका और पुलिस बल की संयुक्त टीम ने सुबह-सुबह कार्रवाई शुरू की। दुकानदारों से उनके दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा गया, लेकिन कई लोग वैध कागजात पेश नहीं कर सके। कदीर तिराहे पर कई दुकानों को बुलडोजर की मदद से तत्काल ध्वस्त कर दिया गया। इस दौरान भारी पुलिस बल की मौजूदगी ने किसी भी बड़े विरोध को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नायब तहसीलदार आदित्य कुमार, जो इस अभियान का नेतृत्व कर रहे थे, ने स्पष्ट किया कि प्रशासन उच्चाधिकारियों के आदेशों का सख्ती से पालन करेगा, और कोई भी अवैध निर्माण बख्शा नहीं जाएगा।

स्थानीय नेता का विरोध, फिर भी कार्रवाई जारी

कदीर तिराहे पर आरएलडी नेता हाजी मुख्तार सैफी की दुकानों को तोड़ने के दौरान मामूली तनाव देखने को मिला। हाजी मुख्तार ने दावा किया कि उनकी संपत्ति पर 2005 का सिविल कोर्ट का आदेश है, जो किसी को भी उनकी जमीन में हस्तक्षेप करने से रोकता है। हालांकि, नायब तहसीलदार ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि उच्चाधिकारियों के निर्देश सर्वोपरि हैं। इसके बाद उनकी दुकानों को भी पलक झपकते ही ध्वस्त कर दिया गया। हाजी मुख्तार ने इस कार्रवाई के खिलाफ न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की बात कही है। इस बीच, पालिकाध्यक्ष इरफान सैफी की दुकानों पर भी बुलडोजर चला, जिससे यह साफ हो गया कि प्रशासन किसी के रसूख को नहीं देखेगा।

भविष्य में और सख्ती की तैयारी

इस कार्रवाई के बाद नायब तहसीलदार आदित्य कुमार ने बताया कि अवैध निर्माण की जांच का सिलसिला शुरू हो चुका है और यह अभियान आगे भी जारी रहेगा। राजस्व विभाग और नगर पालिका प्रशासन पूरी तरह से सक्रिय है। इस दौरान अधिशासी अधिकारी रजनी सिंह और कोतवाली प्रभारी जसपाल सिंह ग्वाल की मौजूदगी ने कार्रवाई को और प्रभावी बनाया। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई से अवैध कब्जों पर अंकुश लगेगा। यह अभियान न केवल शहर की अव्यवस्था को कम करने में मदद करेगा, बल्कि प्रशासन की निष्पक्षता को भी दर्शाता है।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा, जानें क्या बताई वजह

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखकर अपने फैसले की जानकारी दी, जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी कारणों को अपने इस्तीफे का आधार बताया। यह पहला मौका है जब भारत के किसी उपराष्ट्रपति ने स्वास्थ्य कारणों से अपने पद को छोड़ा है। धनखड़ ने 11 अगस्त 2022 को 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी और उनके कार्यकाल को उनके संवैधानिक दायित्वों के प्रति समर्पण के लिए जाना जाता है। उनके इस अप्रत्याशित कदम ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है।

जगदीप धनखड़ ने अपने पत्र में लिखा कि उन्होंने चिकित्सा सलाह का पालन करते हुए स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है। हाल ही में उनकी तबीयत को लेकर कई खबरें सामने आई थीं। मार्च 2025 में, धनखड़ को सीने में दर्द और बेचैनी के कारण दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी एंजियोप्लास्टी की गई थी। उनकी स्थिति स्थिर बताई गई थी, और उन्हें 12 मार्च को अस्पताल से छुट्टी मिली थी। इसके बाद जून 2025 में नैनीताल में एक कार्यक्रम के दौरान भी उनकी तबीयत बिगड़ने की खबर आई थी, हालांकि बाद में इसे सामान्य बताया गया। इन घटनाओं ने उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं बढ़ा दी थीं।

धनखड़ का राजनीतिक सफर और इस्तीफे का प्रभाव

जगदीप धनखड़ का राजनीतिक करियर चार दशकों से अधिक का रहा है। 1951 में राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव में जन्मे धनखड़ ने वकालत से अपने करियर की शुरुआत की और राजस्थान हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट के रूप में ख्याति प्राप्त की। 1989 में वे जनता दल के टिकट पर झुंझुनू से लोकसभा सांसद बने। बाद में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जॉइन की और 2019 से 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे। 2022 में उन्होंने उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराकर जीत हासिल की थी।

उनके इस्तीफे ने भारतीय राजनीति में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। उपराष्ट्रपति के रूप में उनकी भूमिका, विशेष रूप से राज्यसभा के सभापति के तौर पर, महत्वपूर्ण रही है। हालांकि, उनके कार्यकाल में विपक्ष ने उन पर पक्षपात का आरोप भी लगाया था, जिसके चलते 2024 में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की चर्चा हुई थी। धनखड़ के इस्तीफे से अब नए उपराष्ट्रपति की नियुक्ति का रास्ता खुल गया है, जिसके लिए जल्द ही चुनाव प्रक्रिया शुरू हो सकती है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाएं दी हैं और उनके योगदान की सराहना की है। यह कदम देश के संवैधानिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है।

कोर्ट ने ‘लव जिहाद’ मामले में शाहबाज को 7 साल की सजा सुनाई, कोर्टरूम में मचा हड़कंप

यमुनानगर की एक अदालत ने नाबालिग हिंदू लड़की के साथ यौन उत्पीड़न और धमकी देने के मामले में शाहबाज नाम के व्यक्ति को 7 साल की सजा सुनाई है। अदालत ने इस मामले को ‘लव जिहाद’ करार देते हुए इसे देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बताया। इसके साथ ही, दोषी पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि ‘लव जिहाद’ कोई कानूनी शब्द नहीं है, लेकिन इसे गैर-मुस्लिम महिलाओं को प्रेम का झांसा देकर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने की कोशिश के रूप में देखा जाता है। इस फैसले को सामाजिक और कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई का संदेश देता है।

मामले की सुनवाई के दौरान, अदालत ने पीड़िता के बयानों और पुलिस जांच के आधार पर शाहबाज को दोषी ठहराया। जज ने अपने फैसले में कहा कि इस तरह के अपराध न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला हैं, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी नुकसान पहुंचाते हैं। दोषी को भारतीय न्याय संहिता की धारा 61(2) (आपराधिक साजिश) और 351(2) (आपराधिक धमकी) के साथ-साथ पॉक्सो एक्ट की धारा 8 (यौन उत्पीड़न), 12 (बाल यौन उत्पीड़न) और 17 (उकसाने) के तहत सजा सुनाई गई। जुर्माने की राशि का भुगतान न करने पर अतिरिक्त कारावास का प्रावधान भी किया गया है।

मामले का विवरण और पुलिस कार्रवाई

पिछले साल नवंबर में, यमुनानगर सिटी पुलिस स्टेशन में 14 साल की एक नाबालिग लड़की ने शाहबाज और एक अन्य नाबालिग के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया कि स्कूल जाते समय एक नाबालिग लड़के ने उसका पीछा किया और शाहबाज ने उसे दोस्ती करने के लिए दबाव डाला। लड़की ने यह भी आरोप लगाया कि शाहबाज ने उसे धमकियां दीं और उसका यौन उत्पीड़न किया। शिकायत के आधार पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की और दोनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया।

पुलिस जांच में सामने आया कि शाहबाज ने पीड़िता को प्रेम का झांसा देकर उस पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया था। जांच के दौरान, पुलिस ने पीड़िता के बयानों, गवाहों और अन्य साक्ष्यों के आधार पर शाहबाज को मुख्य आरोपी के रूप में चिह्नित किया। नाबालिग सह-आरोपी के खिलाफ भी किशोर न्याय अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई। यमुनानगर पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी आवश्यक सबूत जुटाए, जिसके आधार पर अदालत ने यह कड़ा फैसला सुनाया।

इस मामले ने स्थानीय समुदाय में व्यापक चर्चा को जन्म दिया है। कई सामाजिक संगठनों ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है और इसे नाबालिगों के खिलाफ अपराधों के प्रति शून्य सहनशीलता का प्रतीक बताया है। वहीं, कुछ लोगों ने ‘लव जिहाद’ शब्द के इस्तेमाल पर सवाल उठाए हैं, क्योंकि यह कानूनी रूप से परिभाषित नहीं है। फिर भी, इस फैसले ने समाज में जागरूकता बढ़ाने और ऐसे अपराधों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया है।

नहीं चाहिए काली बीवी प्रमिला देवी की दर्दनाक कहानी 25 साल बाद पति ने बीवी के साथ 2 बच्चों को भी छोड़ा

बिहार के कैमूर जिले के भभुआ थाना क्षेत्र के कबार गांव से एक ऐसी घटना सामने आई है, जो न केवल हैरान करने वाली है, बल्कि समाज में रंगभेद और पारिवारिक हिंसा जैसे गंभीर मुद्दों पर सवाल खड़े करती है। प्रमिला देवी, एक माँ, जो अपने चार बच्चों के साथ जीवन की जंग लड़ रही हैं, ने अपने पति पप्पू बिंद के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की है। प्रमिला का आरोप है कि उनके पति ने 25 साल पुरानी शादी को सिर्फ इसलिए तोड़ दिया, क्योंकि अब उन्हें उनकी पत्नी ‘काली’ और ‘असुंदर’ लगती है। इस शिकायत में प्रमिला ने बताया कि पप्पू बिंद ने न केवल उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया, बल्कि रंगभेदी टिप्पणियों के साथ उन्हें घर से निकालने की धमकी भी दी। यह घटना समाज में गहरे बैठे रंगभेद और लैंगिक भेदभाव की कड़वी सच्चाई को उजागर करती है।

प्रमिला ने अपनी शिकायत में कहा कि उनकी शादी को 25 साल हो चुके हैं, और इस दौरान उन्होंने अपने परिवार के लिए हर संभव त्याग किया। चार बच्चों की माँ होने के नाते, उन्होंने अपने पति और बच्चों के लिए दिन-रात मेहनत की, लेकिन पप्पू की बदलती सोच ने उनके जीवन को नर्क बना दिया। प्रमिला के अनुसार, पप्पू ने उनकी त्वचा के रंग को लेकर बार-बार अपमानजनक टिप्पणियाँ कीं और उन्हें ‘काली’ कहकर ताने मारे। इसके अलावा, पप्पू ने कथित तौर पर उनके साथ मारपीट भी की और बच्चों के सामने उन्हें अपमानित किया। इस घटना ने न केवल प्रमिला को भावनात्मक रूप से तोड़ा, बल्कि उनके बच्चों पर भी गहरा असर डाला है।

सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ एक माँ की लड़ाई

प्रमिला की शिकायत के बाद भभुआ थाना पुलिस ने पप्पू बिंद के खिलाफ घरेलू हिंसा और मानसिक उत्पीड़न का मामला दर्ज किया है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और प्रमिला को सुरक्षा देने का आश्वासन दिया है। स्थानीय पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस तरह के मामले समाज में गहरे बैठे रंगभेद और महिलाओं के प्रति हिंसा की मानसिकता को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जाएगी ताकि पीड़िता को न्याय मिल सके। इसके अलावा, स्थानीय महिला संगठनों ने भी प्रमिला के समर्थन में आवाज उठाई है और रंगभेद के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने की मांग की है।

यह घटना समाज के लिए एक चेतावनी है कि रंगभेद और पारिवारिक हिंसा जैसी कुरीतियाँ आज भी हमारे बीच मौजूद हैं। प्रमिला की कहानी न केवल एक महिला की पीड़ा को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे सामाजिक मान्यताएँ और रूढ़ियाँ परिवारों को तोड़ रही हैं। समाज को इन मुद्दों पर खुलकर बात करने और बदलाव लाने की जरूरत है। प्रमिला जैसी महिलाओं को न केवल कानूनी सहायता, बल्कि सामाजिक समर्थन की भी आवश्यकता है ताकि वे अपने हक के लिए लड़ सकें और सम्मान के साथ जी सकें।

देश में मानसून की रफ्तार तेज, भारी बारिश का अलर्ट

देश के विभिन्न हिस्सों में मानसून ने अपनी रफ्तार पकड़ ली है, और मौसम विभाग ने कई राज्यों में भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। खासकर उत्तर प्रदेश के पश्चिमी इलाकों में आज और कल, यानी 20 और 21 जुलाई को भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग के अनुसार, इस दौरान तेज हवाओं के साथ मूसलाधार बारिश हो सकती है, जिससे नदियों और नालों में जलस्तर बढ़ने की संभावना है।

यह बारिश न केवल खेती-किसानी को प्रभावित कर सकती है, बल्कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जनजीवन पर भी इसका व्यापक असर पड़ सकता है। कई इलाकों में जलभराव, यातायात जाम और बिजली आपूर्ति में व्यवधान की आशंका जताई जा रही है। प्रशासन को सतर्क रहने और आपदा प्रबंधन की तैयारियों को मजबूत करने की सलाह दी गई है।

मौसम विभाग की ताजा भविष्यवाणी के अनुसार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी अगले कुछ दिनों में भारी बारिश का दौर जारी रहेगा। इन क्षेत्रों में निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है। किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाएं, क्योंकि अत्यधिक बारिश से फसलों को नुकसान हो सकता है। साथ ही, नागरिकों से अपील की गई है कि वे बारिश के दौरान सुरक्षित स्थानों पर रहें और अनावश्यक यात्रा से बचें।

प्रशासन और नागरिकों के लिए सतर्कता जरूरी

मानसून की इस तीव्रता को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने कई जगहों पर राहत और बचाव कार्यों की तैयारियां शुरू कर दी हैं। उत्तर प्रदेश और अन्य प्रभावित राज्यों में आपदा प्रबंधन टीमें सक्रिय कर दी गई हैं। नदियों के किनारे बसे गांवों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है। मौसम विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे मौसम संबंधी अलर्ट पर नजर रखें और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। इसके अलावा, सड़कों पर जलभराव से बचने के लिए नगर निगम और स्थानीय निकायों को नालों की सफाई और जल निकासी की व्यवस्था को दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं।

इस मौसमी बदलाव के बीच, लोगों से एकजुटता और सावधानी बरतने की अपील की जा रही है ताकि किसी भी आपदा से निपटा जा सके।

कच्छ में महिला पुलिस अधिकारी की हत्या, लिव-इन पार्टनर ने कबूला गुनाह

गुजरात के कच्छ जिले के अंजार में एक दिल दहला देने वाली घटना ने स्थानीय समुदाय को स्तब्ध कर दिया। अंजार पुलिस स्टेशन में सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) के पद पर कार्यरत 25 वर्षीय अरुणाबेन नटुभाई जादव की उनके लिव-इन पार्टनर, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान दिलीप डांगचिया ने गला घोंटकर हत्या कर दी। यह घटना शुक्रवार रात को अंजार में उनके साझा आवास पर हुई, जब दोनों के बीच तीखी बहस ने हिंसक रूप ले लिया।

पुलिस के अनुसार, बहस का कारण अरुणाबेन द्वारा दिलीप की मां के बारे में की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी थी। गुस्से में आकर दिलीप ने यह जघन्य अपराध किया और अगले दिन शनिवार सुबह उसी पुलिस स्टेशन में पहुंचकर अपना गुनाह कबूल कर लिया, जहां अरुणाबेन कार्यरत थीं। इस घटना ने न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए, बल्कि रिश्तों की जटिलता को भी उजागर किया।

सोशल मीडिया से शुरू हुआ रिश्ता, दुखद अंत पर पहुंचा

पुलिस जांच में सामने आया कि अरुणाबेन और दिलीप की मुलाकात 2021 में इंस्टाग्राम के जरिए हुई थी। दोनों सुरेंद्रनगर जिले के पड़ोसी गांवों के निवासी थे और तब से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे थे। दिलीप, जो मणिपुर में सीआरपीएफ में तैनात हैं, अरुणाबेन से मिलने अंजार आए थे। पुलिस उपाधीक्षक (अंजार डिवीजन) मुकेश चौधरी ने बताया कि शुक्रवार रात करीब 10 बजे दोनों के बीच बहस शुरू हुई, जो जल्द ही हिंसक हो गई।

इस घटना ने सोशल मीडिया के जरिए बनने वाले रिश्तों की नाजुकता को उजागर किया, जहां शुरुआती आकर्षण कई बार अप्रत्याशित और दुखद परिणामों की ओर ले जाता है। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के तहत हत्या का मामला दर्ज किया है और जांच शुरू कर दी है। इस घटना ने स्थानीय समुदाय में डर और अविश्वास का माहौल पैदा कर दिया है, साथ ही यह सवाल उठाया है कि आधुनिक रिश्तों में विश्वास और संयम की कितनी जरूरत है।

पति को मारने के लिए बनाया सेल्फी प्लान, जो सामने आया वो रोंगटे खड़े कर देगा

कर्नाटक के यादगिरी जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया। एक वायरल वीडियो ने लोगों के होश उड़ा दिए, जिसमें दिखाया गया कि कैसे एक पत्नी ने सेल्फी के बहाने अपने पति की हत्या की साजिश रची। यह कहानी इतनी डरावनी और हैरान करने वाली है कि इसे सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो सकते हैं। 

सेल्फी बनी मौत का जाल

मामला यादगिरी जिले का है, जहां एक दंपति कृष्णा नदी के ऊपर बने एक पुल पर बाइक से जा रहा था। पत्नी ने अचानक पति से बाइक रोकने को कहा। पति ने जब कारण पूWallis, तो पत्नी ने हंसते हुए कहा कि वह एक सेल्फी लेना चाहती है। यह सुनकर पति ने बिना किसी शक के बाइक रोक दी और दोनों सेल्फी लेने में व्यस्त हो गए। लेकिन यह सेल्फी कोई साधारण तस्वीर नहीं थी, बल्कि एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी। जैसे ही पति सेल्फी के लिए पोज दे रहा था, पत्नी ने उसे जोर से धक्का दे दिया। पति असंतुलित होकर सीधे गहरी नदी में जा गिरा।

किस्मत ने दिया पति का साथ

नदी का तेज बहाव और गहराई देखकर लग रहा था कि पति की जान बचना मुश्किल है। लेकिन कहते हैं न, किस्मत जब साथ दे तो कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। पति बहते हुए एक बड़े पत्थर के पास जा पहुंचा और उसका सहारा लेकर मदद के लिए चिल्लाने लगा। आसपास से गुजर रहे कुछ लोगों ने उसकी आवाज सुनी और तुरंत मदद के लिए दौड़े। उन्होंने एक मोटी रस्सी नदी में फेंकी, जिसे पकड़कर पति किसी तरह पुल तक वापस आ गया। इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें पति को रस्सी के सहारे बचते हुए देखा जा सकता है।

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साजिश का पर्दाफाश

यह घटना न केवल चौंकाने वाली थी, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे एक साधारण-सी चीज जैसे सेल्फी को अपराध का हथियार बनाया जा सकता है। पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और पत्नी से पूछताछ की जा रही है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि पति-पत्नी के बीच कुछ समय से अनबन चल रही थी, जिसके चलते पत्नी ने यह खतरनाक कदम उठाया। यह घटना समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि रिश्तों में विश्वास और आपसी समझ कितनी जरूरी है।

बुलडोज़र से उजड़े घर, भूख से तड़पते बच्चे, जमीअत की रिपोर्ट ने मचाई सनसनी!

 असम के धुबरी और ग्वालपारा जिलों में हजारों गरीब मुसलमानों के घरों पर बुलडोज़र चला कर उन्हें जबरन बेदखल कर दिया गया है। अब प्रभावित लोग जिन तंबुओं में शरण लिए हुए हैं, उन्हें भी तोड़ा जा रहा है। उन लोगों तक खाने-पीने की चीजों और अन्य आपूर्ति पर रोक लगा दी गई है और लोगों पर गोलियां बरसाई जा रही हैं। यह परिस्थितियां न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन हैं बल्कि मानवता के खिलाफ खुली बर्बरता भी दर्शाते हैं। यह सब राज्य के मुख्यमंत्री के आदेश पर हो रहा है, जो भारत के इतिहास की सबसे शर्मनाक घटना है, जिसका उदाहरण अत्याचारी अंग्रेज़ी शासन के दौर में भी नहीं मिलता। जमीअत उलमा असम की तरफ से जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी को भेजी गई रिपोर्ट में इन बातों का खुलासा किया गया है।

ज्ञात हो कि जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना मोहम्मद हकीमुद्दीन कासमी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने 15 और 16 जुलाई को इन प्रभावित इलाकों का दौरा किया और एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट तैयार की है। मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने बताया कि असम में जो कुछ हो रहा है, अगर हम उसे खुद पर लागू करें, तो जीवन असहनीय लगता है। ऐसा लगता है कि असम सरकार इन लोगों को इंसान मानती ही नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य प्रशासन ने प्रताड़ना और अत्याचार की हद पार कर दी है। गत रात 17 जुलाई को गवालपारा के पाइकान वन क्षेत्र में स्थित आशोडोबी गांव में पुलिस फायरिंग में एक 17 वर्षीय शरणार्थी युवक शहीद हो गया और तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना तब हुई जब 12 जुलाई को जबरन बेदखल किए गए हजारों लोगों ने सड़क खोलने और खाने-पानी की आपूर्ति की शांतिपूर्वक मांग की। प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्र की अत्याचारपूर्वक घेराबंदी कर दी है। सहायता संगठनों को प्रवेश की अनुमति नहीं है, हैंडपंप उखाड़ दिए गए हैं, शौचालय की सुविधा न के बराबर है और महिलाएं और बच्चे पीने के पानी के लिए परेशान हैं। हालांक जमीअत उलमा-ए-असम द्वारा कुछ स्थानों पर भोजन और तिरपाल वितरित किए गए हैं, लेकिन सरकारी घेराबंदी के कारण उन तक पहुंचना मुश्किल है।

जमीअत प्रतिनिधिमंडल ने धुबरी ज़िले के चराकतरा, संतोषपुर, चरवा बकरा का भी दौरा किया, जहां 20,000 से अधिक मुसलमानों को उनके घरों से बेदखल कर दिया गया है। यहां 5,700 मतदाता और 3,500 परिवार प्रभावित हुए हैं। उन्हें ब्रह्मपुत्र के बीचों-बीच स्थित एक ऐसे स्थान पर स्थानांतरित होने के लिए कहा जा रहा है, जहां कोई आबादी नहीं है और जमीन रेतीली है। वहां न पानी है, न आश्रय की व्यवस्था, न ही जीवन का कोई नामो-निशान। यह सब गौतम अडानी के सोलर प्रोजेक्ट के नाम पर हो रहा है। दूसरी ओर मीडिया का एक वर्ग इन भारतीय नागरिकों को बार-बार ‘विदेशी बांग्लादेशी’ कहकर जनता की सहानुभूति खत्म करने की कोशिश कर रहा है, जो गंभीर चिंता का विषय है।

IMD Alert: 17 से 21 जुलाई तक मचेगा मौसम का कहर! इन राज्यों में होगी मूसलधार बारिश और तूफानी हवाएं

भारत के विभिन्न हिस्सों में मानसून का जोर बढ़ता जा रहा है, और मौसम विशेषज्ञों ने अगले कुछ दिनों में हालात और गंभीर होने की आशंका जताई है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने देश के कई राज्यों में 16 से 21 जुलाई 2025 तक भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। उत्तर-पश्चिम से लेकर दक्षिण भारत तक, कई क्षेत्रों में तेज हवाओं, गरज-चमक और बिजली गिरने की घटनाओं की संभावना है। यह लेख आपको मौसम के इस अलर्ट के बारे में विस्तार से बताएगा, ताकि आप और आपका परिवार सुरक्षित रह सकें।

उत्तर भारत में बारिश का अलर्ट: सावधानी बरतें

उत्तर भारत के कई राज्य, जैसे जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और राजस्थान, अगले एक सप्ताह तक भारी बारिश की चपेट में रहेंगे। खास तौर पर जम्मू-कश्मीर में 16 जुलाई को बहुत भारी बारिश का अनुमान है, जिसके कारण बाढ़ और भूस्खलन का खतरा बढ़ सकता है। उत्तराखंड में 17, 20 और 21 जुलाई को मूसलाधार बारिश की संभावना है, जो पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा करने वालों के लिए जोखिम पैदा कर सकती है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में 16 और 17 जुलाई को भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। राजस्थान के पूर्वी हिस्सों में भी 16 जुलाई को कुछ स्थानों पर अत्यधिक वर्षा होने की संभावना है। स्थानीय प्रशासन ने लोगों से नदियों और निचले इलाकों से दूर रहने की सलाह दी है।

मध्य और पूर्वी भारत में मूसलाधार बारिश की आशंका

मध्य और पूर्वी भारत भी मानसून के प्रकोप से अछूते नहीं रहेंगे। मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में 16 से 19 जुलाई के बीच तेज बारिश का अनुमान है। खासकर पूर्वी मध्य प्रदेश में 16 और 17 जुलाई को बारिश का प्रभाव अधिक रहेगा। बिहार और झारखंड में भी 16 जुलाई को भारी वर्षा की चेतावनी है, जिसके साथ बिजली गिरने की घटनाएं भी हो सकती हैं। पूर्वोत्तर राज्यों जैसे असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में भी 16 और 19 से 21 जुलाई के बीच मूसलाधार बारिश की संभावना है। उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में भी इस दौरान बारिश का सिलसिला जारी रहेगा। इन क्षेत्रों में रहने वालों को मौसम की ताजा जानकारी के लिए स्थानीय समाचार और मौसम अपडेट्स पर नजर रखने की सलाह दी जाती है।

दक्षिण भारत में तेज हवाओं के साथ बारिश

दक्षिण भारत के कई্রीज़नल क्षेत्रों में भी मानसून偶्सी प्रांतों में भारी बारिश की चेतावनी है। केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और लक्षद्वीप में 16 से 21 जुलाई तक भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना है। तटीय आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 17 से 21 जुलाई के बीच लगातार बारिश हो सकती है। रायलसीमा में 17 से 19 जुलाई तक मूसलाधार बारिश का अनुमान है। इसके साथ ही, दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में 40-50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं। मछुआरों और तटीय क्षेत्रों में रहने वालों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। कोकण, गोवा और घाट क्षेत्रों में 20 और 21 जुलाई को भारी बारिश की संभावना है। स्थानीय लोगों को अपने घरों में रहने और बिजली गिरने से बचने के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।

सांसद चंद्र शेखर आजाद पर पीएचडी स्कॉलर रोहिणी घावरी ने लगाए संगीन आरोप, इस्तेमाल कर छोड़ दिया…

नगीना से सांसद और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के संस्थापक चंद्र शेखर आजाद एक बार फिर चर्चा में हैं, लेकिन इस बार वजह उनकी सामाजिक सक्रियता नहीं, बल्कि एक गंभीर विवाद है। इंदौर की रहने वाली पीएचडी स्कॉलर डॉ. रोहिणी घावरी ने उन पर मानसिक और भावनात्मक उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं। रोहिणी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपनी आपबीती साझा कर समाज में महिलाओं के साथ होने वाले छल और दर्द को उजागर किया है। उनकी यह पोस्ट न केवल वायरल हो रही है, बल्कि सोशल मीडिया पर तीखी बहस का कारण भी बन रही है। आइए, इस मामले को गहराई से समझते हैं।

एक महिला की पीड़ा, समाज की सच्चाई

डॉ. रोहिणी घावरी ने अपने लंबे और भावुक पोस्ट में बताया कि कैसे उनके और चंद्र शेखर आजाद के बीच कथित निजी संबंध थे। रोहिणी का दावा है कि चंद्र शेखर ने उन्हें प्यार के जाल में फंसाया और उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण वर्षों को बर्बाद किया। उन्होंने लिखा, “25 से 30 साल की उम्र, जब एक महिला को अपने जीवनसाथी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, उस वक्त मुझे प्यार का भरोसा देकर छोड़ दिया गया। जब मैंने शादी की बात उठाई, तो मुझे अकेले छोड़कर चले गए।” रोहिणी की यह कहानी केवल उनकी नहीं, बल्कि उन तमाम महिलाओं की है, जो प्यार में धोखा खाकर भावनात्मक और मानसिक तनाव से गुजरती हैं।

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समाज का दोहरा चेहरा

रोहिणी ने अपनी पोस्ट में समाज के उस क्रूर चेहरे को भी उजागर किया, जो ऐसी स्थिति में महिलाओं को ही दोषी ठहराता है। उन्होंने लिखा, “जब एक महिला अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज उठाती है, तो उसे ब्लैकमेलर या षड्यंत्रकारी कहकर खारिज कर दिया जाता है। समाज और परिवार उसका साथ देने की बजाय उसके चरित्र पर सवाल उठाते हैं।” रोहिणी का कहना है कि ऐसी स्थिति में कई महिलाएं आत्मघाती विचारों का शिकार हो जाती हैं। उनकी पोस्ट में यह दर्द साफ झलकता है कि कैसे एक महिला का विश्वास टूटने के बाद उसका पूरा जीवन बिखर जाता है।

“मेरी ईमानदारी मेरा सबूत है”

रोहिणी ने अपनी पोस्ट में यह भी बताया कि उन्होंने अपनी कहानी इसलिए साझा की, ताकि दूसरी महिलाओं को हिम्मत मिले। उन्होंने लिखा, “अगर मैं अपने लिए नहीं लड़ी, तो देश की बाकी बेटियों के लिए क्या लड़ूंगी? मेरी ईमानदारी ही मेरा सबसे बड़ा सबूत है।” उनकी यह बात न केवल उनकी दृढ़ता को दर्शाती है, बल्कि समाज में बदलाव की जरूरत को भी रेखांकित करती है। रोहिणी ने उन तमाम महिलाओं की आवाज बनने की कोशिश की है, जो चुपचाप इस दर्द को सहती हैं।

सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं

रोहिणी की पोस्ट के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग उनकी हिम्मत की तारीफ कर रहे हैं, तो कुछ इसे एक साजिश का हिस्सा बता रहे हैं। यह मामला न केवल चंद्र शेखर आजाद की छवि पर सवाल उठा रहा है, बल्कि समाज में महिलाओं के प्रति व्यवहार और प्यार के नाम पर होने वाले छल को भी सामने ला रहा है।