होटल के खाने में निकली मक्खी, शिकायत पर मालिक का जवाब सुनकर खौल जाएगा खून…

Moradabad News:  ठाकुरद्वारा के तिकोनिया बस स्टैंड के पास स्थित नूर करीम होटल, जो अपने स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए जाना जाता था, अब एक ऐसी घटना के कारण सुर्खियों में है, जिसने इसकी साख को धूल में मिला दिया।

हाल ही में कुछ ग्राहकों को अपने खाने में मख्खी मिलने का चौंकाने वाला अनुभव हुआ, जिसके बाद होटल प्रबंधन की लापरवाही और बेशर्मी भरे रवैये ने सभी को हैरान कर दिया। यह घटना न केवल होटल की स्वच्छता पर सवाल उठाती है, बल्कि खाद्य सुरक्षा और ग्राहक सेवा के प्रति उदासीनता को भी उजागर करती है।

नूर करीम होटल में खाने का लुत्फ उठाने आए ग्राहकों को उस समय झटका लगा, जब उनके अंडा करी के प्लेट में एक मख्खी तैरती नजर आई। यह देखकर ग्राहकों ने तुरंत खाना छोड़ा और होटल के मालिक से शिकायत की। लेकिन मालिक ने इसे गंभीरता से लेने के बजाय पहले मख्खी को मेथी का पत्ता बताकर बात को टालने की कोशिश की। जब ग्राहकों ने जोर दिया, तो मालिक ने अपने कर्मचारी से पूछा, जिसने मख्खी की पुष्टि की। इसके बाद मालिक का जवाब और भी हैरान करने वाला था, “कोई बात नहीं, ऐसा तो घर में भी हो जाता है!” यह सुनकर ग्राहक भड़क गए और उन्होंने होटल को पैसे चुकाकर दोबारा कभी न लौटने की कसम खाई।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो

इस पूरी घटना का वीडियो ग्राहकों ने बनाया और सोशल मीडिया पर साझा किया, जो देखते ही देखते वायरल हो गया। वीडियो में ग्राहक बता रहे हैं कि मख्खी उनके खाने में थी और अगर उनकी नजर समय पर न पड़ी होती, तो यह उनके पेट में जा सकती थी, जिससे गंभीर स्वास्थ्य सम्याएं हो सकती थीं। वीडियो में यह भी दिखाया गया कि होटल में रखी सौंफ और मिश्री में चींटियां घूम रही थीं, जो स्वच्छता के प्रति होटल की लापरवाही को और उजागर करता है। यह देखकर सवाल उठता है कि क्या हम जिस होटल पर भरोसा करते हैं, वह वाकई सुरक्षित है?

खाद्य विभाग की चुप्पी

यह घटना दो दिन पहले की है, और सोशल मीडिया पर वायरल होने के बावजूद खाद्य विभाग ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। यह चुप्पी चिंताजनक है, क्योंकि ऐसी घटनाएं लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर सकती हैं। क्या खाद्य विभाग अपनी जिम्मेदारी निभाएगा, या होटल मालिक इसी तरह लापरवाही बरतते रहेंगे? यह सवाल हर उस व्यक्ति के मन में है, जो बाहर खाना खाने का शौकीन है।

ग्राहकों की नाराजगी और सबक

इस घटना ने ग्राहकों में गुस्सा और निराशा पैदा की। कई लोगों ने कहा कि वे अब इस होटल में कभी नहीं जाएंगे। कुछ ने तो यह भी सुझाव दिया कि बाहर खाना खाने से पहले होटल की स्वच्छता और खाद्य गुणवत्ता की जांच जरूरी है। यह घटना हमें सिखाती है कि स्वाद के चक्कर में अपनी सेहत को दांव पर नहीं लगाना चाहिए। अगली बार जब आप किसी होटल में जाएं, तो खाने की गुणवत्ता और रसोई की साफ-सफाई पर ध्यान दें।

30 साल देश की सेवा के बाद लौटे फौजी, स्टेशन से गांव तक हुआ ऐसा स्वागत कि हर कोई रह गया दंग!

अमेठी। अमेठी के मुसाफिरखाना रेलवे स्टेशन पर उस दिन एक अनोखा नजारा देखने को मिला, जब भारतीय सेना से सेवानिवृत्त सूबेदार बाल गोविंद पाल अपने गांव लौटे। तीन दशकों तक देश की सीमाओं पर डटकर सेवा देने वाले इस वीर सैनिक का स्वागत इतना भव्य था कि हर दिल में देशभक्ति का जज्बा जाग उठा। जैसे ही सूबेदार स्टेशन पर उतरे, ढोल-नगाड़ों की थाप और भारत माता की जय के नारों ने माहौल को उत्साह से भर दिया। ग्रामीणों, परिजनों और युवाओं की भीड़ ने उनके सम्मान में पुष्पवर्षा की, जिसने पूरे रास्ते को फूलों से सजा दिया।

गांव का गौरव, युवाओं की प्रेरणा

सूबेदार बाल गोविंद पाल का स्वागत केवल एक व्यक्ति का सम्मान नहीं था, बल्कि यह देश के लिए उनके समर्पण और बलिदान का उत्सव था। गांव पहुंचने तक रास्ते में जगह-जगह ग्रामीणों ने फूल-मालाओं और गुलाब की पंखुड़ियों से उनका अभिनंदन किया। स्थानीय लोगों का कहना है कि बाल गोविंद पाल उनके गांव का गौरव हैं। उनकी कहानी न केवल गर्व का विषय है, बल्कि युवाओं के लिए एक प्रेरणा भी है, जो देश सेवा के लिए सेना में भर्ती होने का सपना देखते हैं। ग्रामीणों ने इसे एक ऐतिहासिक पल बताया, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा।

देश सेवा का जज्बा और युवाओं के लिए संदेश

स्वागत समारोह के दौरान सूबेदार बाल गोविंद पाल ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा, “तीन दशक तक भारतीय सेना में सेवा करना मेरे लिए गर्व की बात है। मैंने देश की सीमाओं की रक्षा की और अब अपने गांव लौटकर खुशी महसूस कर रहा हूं। मेरा संदेश युवाओं के लिए है कि वे सेना में शामिल होकर देश के लिए कुछ करें।” उनकी यह बातें सुनकर वहां मौजूद हर व्यक्ति का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। उनके शब्दों ने न केवल देशभक्ति का जज्बा जगाया, बल्कि युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रोत्साहित भी किया।

समुदाय का उत्साह और एकजुटता

इस भव्य स्वागत समारोह में गांव के शिवशंकर, राम कुमार, प्रदुम्न कुमार, अजय पाल, केशराज पाल, चंदन पाल और अमित पाल जैसे कई लोग शामिल हुए। यह आयोजन ग्रामीण समुदाय की एकजुटता और देश के प्रति उनके सम्मान को दर्शाता था। ढोल-नगाड़ों की गूंज, फूलों की वर्षा और नारों से भरा यह माहौल एक सैनिक के सम्मान का प्रतीक बन गया। यह पल अमेठी के लिए न केवल गर्व का विषय है, बल्कि यह दर्शाता है कि देश के सैनिकों के प्रति समाज में कितना सम्मान है।

मथुरा शाही ईदगाह को विवादित ढांचा घोषित करने पर हाईकोर्ट का इनकार, विवादित ढांचा घोषित करने वाली अर्जी खारिज

मथुरा स्थित शाही ईदगाह मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए शाही ईदगाह को विवादित परिसर मानने से इनकार कर दिया है यह फैसला जस्टिस राम मनोहर मिश्रा की सिंगल बेंच ने सुनाया. कोर्ट ने कहा कि मौजूद तथ्यों और याचिका के आधार पर ईदगाह को फिलहाल विवादित ढांचा घोषित नहीं किया जा सकता हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया गया था कि ईदगाह का निर्माण श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर स्थित प्राचीन मंदिर को तोड़कर किया गया।

हिंदू पक्ष के पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह ने हाईकोर्ट में 5 मार्च 2025 को मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किए जाने की मांग करते हुए प्रार्थना पत्र दाखिल किया था. इस पर 23 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट में बहस पूरी हो गई और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था.

‘वहां पहले मंदिर था…’
हिंदू पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने मासिर ए आलम गिरी से लेकर मथुरा के कलेक्टर रहे एफएस ग्राउस तक के समय में लिखी गई इतिहास की पुस्तकों का हवाला देते हुए कोर्ट के समक्ष कहा था कि वहां पहले मंदिर था, वहां पर मस्जिद होने का कोई साक्ष्य आज तक शाही ईदगाह मस्जिद पक्ष न्यायालय में पेश नहीं कर सका. साथ ही न खसरा खतौनी में मस्जिद का नाम है और न ही नगर निगम में उसका कोई रिकॉर्ड है. न कोई टैक्स दिया जा रहा. उनका दावा है कि शाही ईदगाह प्रबंध कमेटी के खिलाफ बिजली चोरी की रिपोर्ट भी भी हो चुकी है, फिर इसे मस्जिद क्यों कहा जाए ऐसे में मस्जिद विवादित ढांचा घोषित हो।

बहस के दौरान खास बात ये रही कि सभी हिन्दू पक्षकारों ने महेंद्र प्रताप सिंह की ही दलीलों का समर्थन किया था और 23 मई को इस मामले में न्यायाधीश राम मनोहर नारायण मिश्र के न्यायालय में बहस पूरी हो गई. जिसमे महेंद्र प्रताप सिंह ने कोर्ट में कहा कि भारतीय पुरातत्व विभाग के सर्वेक्षण में यह सब स्पष्ट हो जाएगा. उन्होंने मुकदमे की प्रकृति को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि किसी की जमीन पर अतिक्रमण करके बैठ जाने से वह जमीन उसकी नहीं हो सकती है. साथ ही उन्होंने कोर्ट को बताया था कि जो प्रकरण अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का था, ठीक ऐसा मामला मथुरा में भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि का है.

हिंदू पक्ष के मुताबिक न्यायालय ने अयोध्या मामले में अपना निर्णय देने से पहले बाबरी मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किया था इसलिए शाही ईदगाह मस्जिद को भी विवादित ढांचा घोषित किया जाए. महेंद्र प्रताप सिंह ने न्यायालय को यह भी अवगत कराया कि इसके संबंध में सभी साक्ष्य पहले ही प्रस्तुत कर चुके हैं और जितने भी विदेशी यात्री भारत आए, उन सभी ने यहां भगवान का मंदिर बताया. किसी ने भी वहां मस्जिद होने का जिक्र नहीं किया.

महेंद्र प्रताप सिंह की दलीलों का अन्य हिंदू पक्षकारों ने भी न्यायालय में समर्थन किया था. हालांकि मस्जिद पक्ष ने इसका पुरजोर विरोध किया था.

किडनैप हुई बच्ची को बरामद कर दारोगा ने थाने में किया बलात्कार

उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है, जो पुलिस की वर्दी पर गहरा दाग लगाती है। कादरचौक थाना क्षेत्र में एक 15 वर्षीय किशोरी के अपहरण और उसके बाद थाने में कथित दुष्कर्म की घटना ने न केवल स्थानीय समुदाय को झकझोर दिया है, बल्कि पूरे समाज में पुलिस की जवाबदेही और नैतिकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने दिए अपने बयान में एक पुलिस उपनिरीक्षक (एसआई) पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसके बाद इस मामले ने सुर्खियां बटोरीं। यह घटना न केवल कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि समाज में कमजोर वर्गों की सुरक्षा कितनी चुनौतीपूर्ण है।

अपहरण से शुरू हुई कहानी

यह दिल दहलाने वाली घटना नौ जून को तब शुरू हुई, जब कादरचौक थाना क्षेत्र के एक गांव से एक 15 साल की किशोरी का अपहरण कर लिया गया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, मुजक्किर नामक एक व्यक्ति ने किशोरी को अगवा किया और उसे तमिलनाडु ले गया। पीड़िता की दादी ने कथित तौर पर उसे इस व्यक्ति को बेच दिया था, जो इस मामले को और भी जटिल बनाता है। परिजनों ने 10 जून को थाने में शिकायत दर्ज की, जिसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 21 जून को तमिलनाडु से किशोरी को मुक्त कराया। उसे 23 जून को ट्रेन से बदायूं वापस लाया गया। यहाँ तक तो यह एक सफल पुलिस ऑपरेशन की कहानी लग रही थी, लेकिन जो हुआ उसके बाद ने सबको हैरान कर दिया।

थाने में दुष्कर्म का सनसनीखेज आरोप

पीड़िता ने 27 जून को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने दिए अपने बयान में जो बताया, वह रोंगटे खड़े करने वाला था। उसने आरोप लगाया कि उसे बदायूं लाने के बाद कादरचौक थाने में उपनिरीक्षक हरिओम ने उसे अपने कमरे में ले जाकर दुष्कर्म किया। किशोरी ने बताया कि 23 जून को शाम सात बजे थाने पहुँचने पर हरिओम ने उसे अपने कमरे में बुलाया और उसके साथ जबरदस्ती की। इतना ही नहीं, उसने किशोरी को धमकी दी कि अगर उसने यह बात किसी को बताई तो उसे जान से मार दिया जाएगा। डर के मारे किशोरी ने पहले चुप्पी साधी, लेकिन बाद में उसने अपनी माँ को इस भयावह अनुभव के बारे में बताया। इस बयान ने पुलिस महकमे में हड़कंप मचा दिया।

पुलिस का पक्ष और जांच की स्थिति

इस मामले में पुलिस का पक्ष भी सामने आया है। उझानी के पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) देवेंद्र सिंह ने बताया कि किशोरी को 23 जून को दोपहर 3:37 बजे थाने लाया गया था और उसी दिन शाम 4:41 बजे उसे वन स्टॉप सेंटर भेज दिया गया। वहाँ उसकी मेडिकल जाँच की गई, जो तीन दिन तक चली। सीओ के अनुसार, पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने यह भी कहा कि अपहरणकर्ता मुजक्किर ने उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया और एसआई हरिओम ने ट्रेन में उसके साथ छेड़छाड़ की। पुलिस ने इस मामले को छेड़छाड़ का मामला बताया, लेकिन पीड़िता के दुष्कर्म के आरोपों की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी गई है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बृजेश सिंह ने कहा कि इस मामले की गहन जाँच के आदेश दे दिए गए हैं। साथ ही, आरोपी एसआई हरिओम को 28 जून को कादरचौक थाने से शाहजहांपुर स्थानांतरित कर दिया गया।

पति को सांप ने डसा, फिर जो पत्नी ने किया वो हैरान कर देगा! नाग-नागिन दोनों का किया खात्मा

फिरोजाबाद के अलीनगर कंजरा गांव में एक ऐसी घटना घटी, जिसने पूरे क्षेत्र में चर्चा का माहौल बना दिया। एक युवक को खेत में काम करते समय सांप ने काट लिया, और फिर जो हुआ, वह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। ग्रामीणों की जुबानी यह घटना अब लोगों के बीच कौतूहल का विषय बन गई है। आइए, जानते हैं इस रोमांचक और हैरान करने वाली घटना के बारे में, जिसमें साहस, डर, और अनोखी मान्यताओं का मिश्रण देखने को मिला।

खेत में शुरू हुई कहानी

अलीनगर कंजरा के रहने वाले शिवम निषाद, जो महेश निषाद के बेटे हैं, रविवार की सुबह अपने खेत में चारा लेने गए थे। खेतों की हरियाली और शांति के बीच शिवम को क्या पता था कि उनकी यह सामान्य सी सुबह एक खतरनाक मोड़ लेने वाली है। काम के दौरान उनका पैर गलती से एक सांप पर पड़ गया। गुस्साए सांप ने तुरंत शिवम को डस लिया। डर और दर्द के बीच शिवम ने हिम्मत दिखाई और डंडे से उस सांप को मार डाला। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई।

सांप का पीछा और गांव की हलचल

ग्रामीणों का कहना है कि यह सांप कोई साधारण सांप नहीं था। उनके अनुसार, सांप ने शिवम का पीछा करते हुए खेत से गांव तक का रास्ता तय किया। यह सुनकर हर कोई हैरान था। सांप के काटने के बाद शिवम ने तुरंत अपने परिजनों को सूचना दी। परिजन फौरन हरकत में आए और उसे इलाज के लिए एक निजी डॉक्टर के पास ले गए। इस बीच, गांव में यह खबर आग की तरह फैल गई। लोग सांप को देखने के लिए घटनास्थल पर जमा होने लगे।

नागिन का आगमन और पत्नी का साहस

जब परिजन और ग्रामीण घटनास्थल पर पहुंचे, तो उन्होंने कुछ ऐसा देखा, जिसने सभी को चौंका दिया। मरे हुए सांप के पास एक नागिन बैठी थी। ग्रामीणों का मानना है कि यह नागिन अपने जोड़ीदार की मौत का बदला लेने आई थी। जैसे ही नागिन ने लोगों की ओर बढ़ने की कोशिश की, वहां मौजूद शिवम की पत्नी गुड़िया ने अद्भुत साहस दिखाया। गुड़िया ने डर को दरकिनार करते हुए उस नागिन को भी डंडे से मार डाला। इस घटना ने पूरे गांव में गुड़िया की हिम्मत की तारीफ शुरू कर दी।

इकरा हसन की ‘वायरल अश्लील क्लिप’ की सच्चाई आई सामने! गांव में माफी, सांसद का बड़ा दिल

हाल ही में, समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसने लोगों के बीच खासी चर्चा बटोरी। इस वीडियो में सांसद को कथित तौर पर आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया था। यह वीडियो इतनी तेजी से फैला कि इसने न केवल इकरा हसन की छवि को प्रभावित किया, बल्कि कई सवाल भी खड़े किए। लेकिन जब इस मामले की गहराई में जाकर जांच की गई, तो एक चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई। यह वीडियो वास्तविक नहीं, बल्कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की मदद से बनाया गया था। इस घटना ने न केवल तकनीक के दुरुपयोग को उजागर किया, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी और नैतिकता पर भी सवाल उठाए।

जांच ने खोला राज

जैसे ही इकरा हसन को इस वीडियो की जानकारी मिली, उन्होंने तुरंत इसकी सच्चाई जानने के लिए जांच शुरू कराई। जांच का नेतृत्व महिला कांग्रेस की जिलाध्यक्ष रजिया बानो ने किया, जो सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर हरियाणा के नूंह जिले के आमका गांव पहुंचीं। वहां पता चला कि यह वीडियो दो नाबालिग लड़कों ने बनाया था। इन लड़कों ने AI तकनीक का उपयोग करके सांसद का फर्जी वीडियो तैयार किया और फिर इसे एक फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए वायरल कर दिया। उनका मकसद केवल सोशल मीडिया पर लाइक और व्यूज हासिल करना था, लेकिन इस हरकत ने एक सांसद की प्रतिष्ठा को दांव पर लगा दिया।

पंचायत में माफी और सुलह

जांच के बाद, गांव की पंचायत में दोनों नाबालिग लड़कों को बुलाया गया। पंचायत के सामने उन्होंने अपनी गलती स्वीकारी और सांसद इकरा हसन से माफी मांगी। गांव वालों ने भी इस घटना के लिए सामूहिक रूप से खेद व्यक्त किया। सांसद इकरा हसन ने इस मामले में उदारता दिखाते हुए दोनों लड़कों को माफ कर दिया। इस घटना ने न केवल माफी और सुलह की मिसाल कायम की, बल्कि यह भी दिखाया कि गलतियों को स्वीकार करने और उन्हें सुधारने की हिम्मत समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती है।

तकनीक का दुरुपयोग: एक चेतावनी

यह घटना आधुनिक तकनीक, खासकर AI, के गलत इस्तेमाल का एक जीता-जागता उदाहरण है। आज के डिजिटल युग में, जहां तकनीक ने हमारे जीवन को आसान बनाया है, वहीं इसका गलत उपयोग किसी की प्रतिष्ठा को चंद मिनटों में नष्ट कर सकता है। इस मामले ने यह सवाल उठाया कि क्या हम अपनी युवा पीढ़ी को डिजिटल नैतिकता और जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाने में नाकाम रहे हैं? सांसद इकरा हसन ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए समाज को जागरूक करने की दिशा में कदम उठाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

ATM से पैसे नहीं निकले, लेकिन खाते से उड़ गए ₹55,000! पूरा मामला चौंका देगा

 मुरादाबाद जिले के ठाकुरद्वारा क्षेत्र में एक सनसनीखेज ठगी का मामला सामने आया है, जहां एक युवक की मेहनत की कमाई को चंद मिनटों में ठगों ने हड़प लिया। यह घटना न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि डिजिटल युग में सतर्कता कितनी जरूरी है। आइए, जानते हैं कि आखिर हुआ क्या और कैसे एक सामान्य व्यक्ति ठगी का शिकार हो गया।

शनिवार की शाम, ठाकुरद्वारा के फैजुल्ला गंज गांव के निवासी दिशांत चौहान अपने रोजमर्रा के काम से समय निकालकर तिकोनिया बस स्टैंड के पास एक एटीएम बूथ पर पहुंचे। उनका इरादा अपने खाते से कुछ पैसे निकालने का था। लेकिन, जैसे ही उन्होंने अपना कार्ड मशीन में डाला, कुछ तकनीकी खराबी के कारण पैसे नहीं निकले। इस दौरान बूथ में मौजूद दो अजनबी युवकों ने दिशांत की मदद करने का नाटक किया। उन्होंने दिशांत से उनका कार्ड मांगा और मदद के बहाने चालाकी से उनका कार्ड बदल दिया। 

दिशांत को उस समय कुछ गड़बड़ होने का शक नहीं हुआ। लेकिन, कुछ ही देर बाद उनके मोबाइल पर लगातार मैसेज आने शुरू हुए। जब उन्होंने अपने बैंक खाते की जांच की, तो उनके होश उड़ गए। उनके खाते से 55,000 रुपये गायब थे! हैरानी की बात यह थी कि जब दिशांत ने अपना कार्ड दोबारा चेक किया, तो वह उनका मूल कार्ड नहीं था। ठगों ने चालाकी से उनका असली कार्ड बदलकर नकली कार्ड थमा दिया था।
 

इस धोखाधड़ी से आहत दिशांत ने तुरंत ठाकुरद्वारा कोतवाली पुलिस को इस घटना की लिखित शिकायत दी। उन्होंने अज्ञात ठगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। पुलिस ने शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक आरोपियों का कोई सुराग नहीं मिला है। यह घटना न केवल दिशांत के लिए, बल्कि सभी के लिए एक सबक है कि एटीएम बूथ पर सतर्कता बरतना कितना जरूरी है।

ऐसी घटनाओं से बचने के लिए कुछ सावधानियां बेहद जरूरी हैं। सबसे पहले, कभी भी किसी अजनबी को अपना एटीएम कार्ड न दें, भले ही वह मदद की पेशकश क्यों न करे। इसके अलावा, एटीएम बूथ में कार्ड डालने से पहले मशीन की जांच करें और सुनिश्चित करें कि कोई स्किमिंग डिवाइस तो नहीं लगा। अपने पिन को हमेशा गोपनीय रखें और इसे किसी के साथ साझा न करें। अगर कोई तकनीकी समस्या हो, तो तुरंत बैंक को सूचित करें।

कमरे में लटका मिला वकील, सुसाइड नोट में लिखा- ‘मैं कायर नहीं, मजबूर हूं’

प्रयागराज के झुंसी इलाके में एक दिल दहला देने वाली घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया। त्रिवेणीपुरम कॉलोनी के यमुना सेक्टर में किराए के मकान में रहने वाले 27 वर्षीय अधिवक्ता अजय साहू का शव शुक्रवार रात फंदे से लटकता हुआ मिला। उनके कमरे से मिले दो पेज के सुसाइड नोट ने न केवल उनके दर्द को उजागर किया, बल्कि एक ऐसी प्रेम कहानी की त्रासदी को भी सामने लाया, जो नौ साल तक चली, मगर अधूरी रह गई। इस घटना ने न सिर्फ अजय के परिवार, बल्कि पूरे समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर प्यार की राह में इतना दर्द क्यों?

एक अधूरी प्रेम कहानी का दुखद अंत

हंडिया के कुकुडहा गांव के रहने वाले अजय साहू अपने पांच भाइयों में सबसे छोटे थे। चार साल से वे त्रिवेणीपुरम में बृजेंद्र कुमार राय के मकान की दूसरी मंजिल पर किराए पर रह रहे थे। उनकी जिंदगी एक आम अधिवक्ता की तरह चल रही थी, लेकिन उनके दिल में एक ऐसी आग सुलग रही थी, जिसने धीरे-धीरे उन्हें अंदर ही अंदर खोखला कर दिया। सुसाइड नोट में अजय ने अपनी प्रेमिका के लिए लिखा, “आई रियली लव यू, मैं हमेशा तुम्हें मिस करूंगा।” उन्होंने यह भी अपील की कि उनकी मौत के बाद परिवार और दोस्तों को परेशान न किया जाए, क्योंकि यह उनका अपना निर्णय था। नौ साल के प्यार को ठुकराए जाने का दर्द उनके लिए असहनीय हो गया था।

रात ने बदली जिंदगी की तस्वीर

शुक्रवार रात करीब साढ़े आठ बजे, मकान मालिक बृजेंद्र ने अजय को कई बार फोन किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। चिंतित होकर जब वे अजय के कमरे में पहुंचे, तो दरवाजा खुला था। अंदर का दृश्य देखकर वे सन्न रह गए—अजय फंदे से लटके हुए थे। शोर सुनकर आसपास के लोग इकट्ठा हो गए, और पुलिस को सूचना दी गई। झुंसी के एसओ उपेंद्र प्रताप सिंह ने मौके पर पहुंचकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। अजय की मां शकुंतला देवी और उनके भाई संतोष, अशोक, संजय, और विनोद रात में रोते-बिलखते मौके पर पहुंचे। मां का दर्द देखकर वहां मौजूद हर शख्स की आंखें नम थीं।

शादी का टूटा सपना

पिछले महीने 16 मई को अजय की शादी भदोही की एक युवती से तय थी। निमंत्रण कार्ड तक बंट चुके थे, लेकिन अजय ने 27 अप्रैल को शादी से इनकार कर दिया। एक दिन पहले वे अपनी मां के साथ कहीं चले गए थे। पुलिस जांच में पता चला कि अजय कई दिनों से अवसाद में थे और गुमसुम रहने लगे थे। उनके सुसाइड नोट में लिखा था, “मेरे नौ साल के प्यार को ठुकराकर तुमने मुझे मरने के लिए मजबूर कर दिया।” उन्होंने मीडिया से भी गुहार लगाई कि उनकी कहानी को दुनिया तक पहुंचाया जाए, ताकि लोग समझ सकें कि वे कायर नहीं, बल्कि मजबूर थे।

समाज के लिए एक सबक

अजय की इस त्रासदी ने एक बार फिर मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक दर्द के मुद्दे को सामने ला दिया। प्यार में असफलता और सामाजिक दबाव कई बार इंसान को ऐसे कदम उठाने के लिए मजबूर कर देते हैं। उनके नोट में परिवार और समाज से अपील थी कि उनके परिजनों का मजाक न उड़ाया जाए। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमें अपने आसपास के लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें समय रहते मदद पहुंचानी चाहिए।

रेलवे कर्मचारी बना ‘नकली नोटों का किंग’, घर में चल रही थी करेंसी फैक्ट्री!

उत्तर प्रदेश के पिलखुवा में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां रेलवे में कार्यरत एक कर्मचारी ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर नकली नोट छापने का बड़ा रैकेट खड़ा कर लिया था। यह गैंग न केवल जाली मुद्रा छाप रहा था, बल्कि इसे प्रदेश के कई जिलों में सप्लाई भी कर रहा था। इस संगठित अपराध ने नकली नोटों के कारोबार को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया था, लेकिन यूपी की एटीएस (एंटी-टेरेरिस्ट स्क्वॉड) ने इस गैंग को रंगे हाथ पकड़कर इसके काले कारनामों का पर्दाफाश कर दिया।

पिलखुवा के लाखन रेलवे स्टेशन पर पॉइंट्समैन के तौर पर काम करने वाला गजेंद्र यादव बुलंदशहर के गजौरी गांव का रहने वाला है। बाहर से देखने में शालीन और मिलनसार गजेंद्र ने अपने दो साथियों, सिद्धार्थ झा (गाजीपुर, नई दिल्ली) और विजय वीर चौधरी (रसूलपुर, बुलंदशहर) के साथ मिलकर नकली नोटों का कारोबार शुरू किया। इस तिकड़ी ने काम का बंटवारा इस तरह किया था कि हर कोई अपनी भूमिका बखूबी निभा रहा था। गजेंद्र की जिम्मेदारी थी नकली नोटों की सप्लाई और ग्राहकों की तलाश, जबकि सिद्धार्थ नोटों की डिजाइनिंग और छपाई का काम संभालता था। विजय वीर चौधरी का काम था खास कागज और अन्य सामग्री का इंतजाम करना।

हाईटेक तकनीक और अलीबाबा का खेल

यह गैंग इतना शातिर था कि नकली नोटों को असली जैसा बनाने के लिए हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल करता था। नोटों की छपाई के लिए जरूरी वाटरमार्क और सिक्योरिटी थ्रेड युक्त खास पेपर को विजय वीर चौधरी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अलीबाबा डॉट कॉम से मंगवाता था। इसके बाद सिद्धार्थ झा अपने लैपटॉप और प्रिंटर की मदद से नोटों की डिजाइन तैयार करता और उन्हें प्रिंट करता। छपाई के बाद नोटों को असली जैसा दिखाने के लिए विशेष प्रोसेसिंग की जाती थी, जिसमें लेमिनेशन, कटिंग और खास स्याही का उपयोग शामिल था। यह पूरी प्रक्रिया इतनी सटीक थी कि नकली नोटों को पहचानना आम लोगों के लिए मुश्किल था।

सोशल मीडिया बना हथियार

गजेंद्र यादव इस गैंग का मास्टरमाइंड था, जो सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके नकली नोटों के खरीददार ढूंढ़ता था। वह अलग-अलग जिलों में अपने ग्राहकों से संपर्क करता और नकली मुद्रा की सप्लाई सुनिश्चित करता। इस तरह यह गैंग धीरे-धीरे अपने नेटवर्क को पूरे उत्तर प्रदेश में फैलाता जा रहा था। सोशल मीडिया की पहुंच ने इस अपराध को और आसान बना दिया, क्योंकि गैंग बिना किसी शक के अपने ग्राहकों तक पहुंच रहा था।

एटीएस की सटीक कार्रवाई

पिलखुवा के फरीदनगर-भोजपुर रोड पर एटीएस ने तब छापा मारा, जब यह गैंग नकली नोटों की एक बड़ी खेप लेकर किसी ग्राहक को देने जा रहा था। एटीएस ने तीनों आरोपियों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया और उनकी कार से 3.90 लाख रुपये की नकली मुद्रा बरामद की। इसके अलावा, छपाई में इस्तेमाल होने वाले हाईटेक उपकरण जैसे लैपटॉप, प्रिंटर, लेमिनेशन मशीन, कटर ब्लेड, सिक्योरिटी थ्रेड पेपर, और खास स्याही की बोतलें भी जब्त की गईं। गैंग के पास से 103 सिक्योरिटी शीट, पांच मोबाइल फोन, दो पेन ड्राइव और एक कार भी बरामद हुई। पूछताछ में पता चला कि यह गैंग लंबे समय से सक्रिय था और कई जिलों में नकली नोटों की सप्लाई कर चुका था।

गजेंद्र का रहस्यमयी व्यवहार

गजेंद्र यादव को सभी एक शांत और मिलनसार व्यक्ति के रूप में जानते थे। उसने चार दिन की छुट्टी ली थी और अपने घर चला गया था, लेकिन पांचवें दिन ड्यूटी पर नहीं लौटा। इस पर उसके पिता खुद पिलखुवा स्टेशन पर उसकी खोजबीन करने पहुंचे। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि उन्हें कभी गजेंद्र पर कोई शक नहीं हुआ। हैरानी की बात यह है कि गैंग के एक सदस्य की पत्नी उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही है, जिससे इस मामले में और भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी को याद किया

पंडित अनिल शर्मा
मुरादाबाद ।भारतीय जनता पार्टी के निवर्तमान जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह चौहान के आवास लक्ष्य फार्म हाउस पर पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस को कार्यकर्ताओं के साथ पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। उनके जीवन पर प्रकाश डाला गया।

जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपने जीवनकाल में समाज हित के लिए अपना जीवन समर्पण किया। इस अवसर पर राजपाल सिंह चौहान ने पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जीवन पर प्रकाश डाला। उनके बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया।

इसमें पूर्व नगर अध्यक्ष शिवेन्द्र गुप्ता, पूर्व मंडल अध्यक्ष मनोज कुमार चौहान,  पवन कुमार पुष्पद, अल्पसंख्यक मोर्चा जिला उपाध्यक्ष शईक पठान, मुखलाल सिंह , नगर मंडल अध्यक्ष धर्मेंद्र पाल सिंह, मुकेश चौधरी ,नागेंद्र लामा ,हेमेंद्र प्रताप सिंह,आशुतोष अग्रवालआदि थे।