ठाकुरद्वारा ब्लॉक प्रमुख पति ने लोहे की रॉड से किया शख्स पर हमला,लोग बोले- ये है सत्ता की हनक!

ठाकुरद्वारा नगर के तिकोनिया चेकपोस्ट पर उस समय हड़कंप मच गया जब ब्लॉक प्रमुख पति वीर सिंह सैनी ने ठाकुरद्वारा के मौहल्ला ताली निवासी पीयूष चौहान पर लोहे की रॉड से हमला बोल दिया जिसकी वीडियो तेज़ी से वायरल हो रही है,वीडियो मे ब्लॉक प्रमुख पति पीयूष चौहान को बीच सड़क पर गिराकर लोहे की रॉड से पीटता नज़र आ रहा है जिसमें पीयूष चौहान लोगो से मदद के लिए चिल्लाता नजर आ रहा है।





पीयूष चौहान पर हमले के दौरान ब्लॉक प्रमुख पति के साथ कुछ गुर्गे भी पीयूष चौहान को लाठी से पीटते नज़र आ रहे हैं।पीयूष चौहान का आरोप है कि आरोपी वीर सिंह उससे सत्ता की हनक दिखाकर तीन लाख रुपए की रंगदारी मांग रहा था,जिसका इनकार करने पर वीर सिंह सैनी अपने साथियों के साथ पीयूष चौहान पर हमलावर हो गया।फ़िलहाल घायल पीयूष चौहान ने कोतवाली पहुंचकर ब्लॉक प्रमुख पति व कई अन्य अज्ञात लोगों के विरुद्ध पुलिस को तहरीर सौंप कर कार्यवाही की मांग की है।पुलिस ने घायल पीयूष चौहान का मेडिकल कराया है।

वहीं ब्लॉक प्रमुख पति वीर सिंह सैनी ने पीयूष चौहान पर प्लॉट के नाम पर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए बताया कि आज जब पीयूष से पैसे मांगे गए तो वह मारपीट पर उतारू हो गया,ब्लॉक प्रमुख पति वीर सिंह ने भी कोतवाली पहुंचकर पीयूष चौहान के खिलाफ़ तहरीर सौंपी है।

बता दें कि इससे पूर्व भी ब्लॉक प्रमुख पति ने भाजपा के ही एक वरिष्ठ नेता के ड्राईवर के साथ मारपीट कर लहूलुहान कर दिया था।आज ब्लॉक प्रमुख पति की दबंगई की वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रही हैं वहीं लोग ब्लॉक प्रमुख पति की दबंगई को सत्ता की हनक बता रहे हैं।

कमरे में बिखरा खून, मौत का मंज़र! अयोध्या में प्रेमी-प्रेमिका की रहस्यमयी मौत

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में एक ऐसी घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया, जिसने न केवल एक परिवार को बिखेर दिया, बल्कि पूरे गांव को शोक में डुबो दिया। बाराबंकी जिले के अधुर्जन पुरवा गांव की रहने वाली 24 वर्षीय अरोमा रावत और उनके प्रेमी आयुष गुप्ता की संदिग्ध परिस्थितियों में एक होटल के कमरे में मौत हो गई। यह घटना न केवल दुखद है, बल्कि कई अनुत्तरित सवाल भी छोड़ गई है। पुलिस इस मामले को प्रेम-प्रसंग, पारिवारिक दबाव और अन्य संभावित कारणों की दृष्टि से जांच रही है। आइए, इस घटना के हर पहलू को समझते हैं।

होटल के कमरे में मिला खौफनाक मंजर

रविवार की सुबह अरोमा और आयुष, जो देवरिया के भुजौली कॉलोनी के रहने वाले थे, अयोध्या के एक होम स्टे होटल में रुके थे। दोनों ने एक साथ कमरा बुक किया और वहां समय बिताया। लेकिन उस शाम, जब होटल स्टाफ चाय देने उनके कमरे पर पहुंचा, तो दरवाजा बंद था और कोई जवाब नहीं मिला। घंटों इंतजार के बाद भी जब कोई हलचल नहीं हुई, तो स्टाफ ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दरवाजा तोड़ा, और जो नजारा सामने आया, वह किसी के भी रोंगटे खड़े कर देने वाला था।कमरे में बेड पर अरोमा का शव खून से लथपथ पड़ा था, जबकि आयुष की लाश फर्श पर थी। पुलिस की प्रारंभिक जांच में पता चला कि आयुष ने पहले अरोमा को सीने में गोली मारी और फिर खुद को कनपटी पर गोली मार ली। घटनास्थल से एक अवैध तमंचा बरामद हुआ, जो इस त्रासदी का मूक गवाह बना।

गांव में छाया मातम, परिवार सदमे में

सोमवार को जब अरोमा का शव उनके पैतृक गांव अधुर्जन पुरवा पहुंचा, तो वहां का माहौल देख हर किसी की आंखें नम हो गईं। माता-पिता और स्वजन शव को देखकर फूट-फूटकर रोने लगे। गांव में शोक की लहर दौड़ गई, और अंतिम संस्कार में सैकड़ों लोग शामिल हुए। अरोमा के परिवार के लिए यह नुकसान असहनीय था। स्थानीय लोगों ने बताया कि अरोमा एक जिंदादिल और मेहनती लड़की थी, जिसके सपने अभी अधूरे ही रह गए।

पुलिस की जांच और अनसुलझे सवाल

अयोध्या पुलिस इस मामले को गंभीरता से ले रही है। दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है, और फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल से साक्ष्य जमा किए हैं। पुलिस का कहना है कि यह मामला प्रेम-प्रसंग से जुड़ा हो सकता है, लेकिन पारिवारिक तनाव और ऑनर किलिंग जैसे पहलुओं को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और फोरेंसिक जांच के नतीजों के आधार पर ही इस घटना का पूरा सच सामने आएगा।

घटना की खबर फैलते ही बसपा के कई वरिष्ठ नेता, जिनमें प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल और पूर्व जिलाध्यक्ष विजय कुमार शामिल थे, गांव पहुंचे। उन्होंने परिवार से मुलाकात कर संवेदना व्यक्त की और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया।

22 दिन तक डॉक्टर करते रहे मृत बच्चे का इलाज! अस्पताल ने वसूले लाखों, मां-बाप ने बेच डाले गहने

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है, जो इंसानियत को शर्मसार करती है। एक निजी अस्पताल पर आरोप है कि उसने 22 दिन तक एक मृत नवजात शिशु का इलाज दिखाकर परिवार से लाखों रुपए वसूल किए। इस दिल दहला देने वाली कहानी ने न केवल माता-पिता के सपनों को चकनाचूर किया, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं पर भरोसे को भी हिलाकर रख दिया। आइए, इस मामले की गहराई में उतरकर समझते हैं कि आखिर हुआ क्या और यह समाज के लिए कितना बड़ा सबक है।

मासूम की जान से खिलवाड़

एक साधारण परिवार, जिसका सब कुछ उस छोटे से बच्चे के इर्द-गिर्द घूमता था, ने अपने नवजात को गंभीर हालत में बस्ती के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। शुरुआत में इलाज आयुष्मान भारत योजना के तहत शुरू हुआ, जिसने परिवार को थोड़ी राहत दी। मगर जल्द ही अस्पताल ने इस सुविधा को बंद कर दिया और नकद भुगतान की मांग शुरू कर दी। परिवार का कहना है कि बच्चे की हालत बिगड़ती रही, लेकिन डॉक्टरों ने न तो सही जानकारी दी और न ही उसे किसी बड़े अस्पताल में रेफर किया। बाद में पता चला कि बच्चे की मृत्यु हो चुकी थी, फिर भी अस्पताल ने उसे आईसीयू में रखकर इलाज का नाटक जारी रखा।

आर्थिक और भावनात्मक लूट

अस्पताल की इस बेरहमी ने परिवार को आर्थिक और भावनात्मक रूप से तोड़ दिया। माता-पिता ने अपने बच्चे को बचाने की हर मुमकिन कोशिश की। पहले अपनी बचत खर्च की, फिर जमीन गिरवी रखी, और अंत में मां को अपने गहने तक बेचने पड़े। करीब दो लाख रुपये वसूलने के बाद भी अस्पताल ने कोई जवाबदेही नहीं दिखाई। परिवार का कहना है कि अगर समय रहते बच्चे को सही इलाज मिला होता, तो शायद उनकी जिंदगी का सबसे कीमती हिस्सा आज उनके साथ होता।

लापरवाही या सुनियोजित साजिश?

इस घटना ने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। आखिर क्यों एक मृत बच्चे का इलाज दिखाया गया? आयुष्मान भारत योजना का दुरुपयोग क्यों हुआ? क्या अस्पतालों में कोई निगरानी तंत्र नहीं है जो ऐसी अमानवीय हरकतों को रोक सके? यह मामला किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं, जहां लालच में अंधे होकर कुछ लोग इंसानियत को ताक पर रख देते हैं। इस घटना ने एक बार फिर निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिया है।

प्रशासन का रवैया और न्याय की उम्मीद

जब इस मामले को लेकर बस्ती के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) राजीव निगम से बात की गई, तो उन्होंने आश्वासन दिया कि शिकायत मिलने पर जांच कमेटी गठित की जाएगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कार्रवाई परिवार के दर्द को कम कर पाएगी? परिवार अब केवल न्याय की उम्मीद में है, ताकि भविष्य में कोई और माता-पिता इस तरह की त्रासदी का शिकार न हों।

समाज के लिए सबक

यह घटना केवल एक परिवार की कहानी नहीं, बल्कि हमारे समाज और स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियों का आईना है। निजी अस्पतालों में पारदर्शिता की कमी, लालच, और जवाबदेही का अभाव ऐसी घटनाओं को जन्म देता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि स्वास्थ्य सेवाएं इंसानियत के लिए हों, न कि केवल मुनाफे के लिए। इस मामले ने यह भी सिखाया कि मरीजों और उनके परिजनों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना होगा।

सलाखों के पीछे पहुंचीं पापा की ‘गालीबाज परियां, पुलिस की दो टूक चेतावनी

Sambhal News: सोशल मीडिया पॉपुलैरिटी के लिए अश्लील बातें और इशारे करके रील्स-वीडियो बनाने वाली संभल की परी और महक नाम की युवतियों के खिलाफ बड़ा एक्शन हो गया है. पुलिस ने पापा की गालीबाज परियों को सलाख़ों के पीछे पहुंचा दिया बता दे कि संभल पुलिस ने महक-परी, इनके कैमरामैन समेत कुल 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है

पिछले कुछ दिनों से महक और परी की वीडियो-रील्स सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थीं. इन रील्स में वह खूब गाली गलौज, अश्लील बातें और अश्लील इशारे करती थीं. उनकी ये रील्स सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही थी. सोशल मीडिया पर लोग भी पुलिस से इस मामले में कार्रवाई करने की अपील कर रहे थे।

इसके बाद संभल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी थी. जांच में सामने आया था कि रील्स बना रही युवतियों का नाम महक और परी है. ये संभल के असमोली क्षेत्र के शहवाजपुर गांव की रहने वाली हैं. दोनों आपस में दोस्त हैं.

जांच में सामने आया था कि इन दोनों ने सोशल मीडिया पर Mehakpari143 अकाउंट बनाया था, जहां वह अपनी ये रील्स-वीडियो अपलोड कर रही थीं. इसके बाद पुलिस ने इनके खिलाफ केस दर्ज करके मामले की जांच शुरू कर दी थी.

हिना और आलम भी गिरफ्तार

मिली जानकारी के मुताबिक, पुलिस ने अभी तक इस मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. महक और परी के साथ इस मामले में हिना नाम की युवती भी गिरफ्त में हैं. इसी के साथ कैमरामैन आलम भी पुलिस गिरफ्त में हैं. अब पुलिस इन चारों से पूछताछ कर रही है.

सोशल मीडिया पर फेमस होना चाहती थीं परी और महक
माना जा रहा है कि परी और महक सोशल मीडिया पर फेसम होना चाहती थीं. वह सोशल मीडिया के माध्यम से रुपये भी कमाना चाहती थीं. इसके लिए उन्होंने ये रास्ता अपनाया. मगर जिस रास्ते का उन्होंने इस्तेमाल किया, अब उसी को लेकर वह फंस गईं. पुलिस अब इन दोनों के खिलाफ एक्शन मोड में हैं.

नौकरी गई तो बेटी ने लगा लिया फंदा! पिता बोले- सब कुछ बदल सकता था अगर…

शाहजहाँपुर के ख्वाजा फिरोज मोहल्ले में एक दर्दनाक घटना ने पूरे इलाके को झकझोर दिया। 24 वर्षीय निधि, जो अपनी मेहनत और लगन के लिए जानी जाती थी, ने शनिवार शाम अपने कमरे में फंदे से लटककर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। इस घटना ने उनके परिवार और आसपास के लोगों को गहरे सदमे में डाल दिया। निधि के पिता यशपाल ने बताया कि उनकी बेटी पिछले कुछ महीनों से दिल्ली में नौकरी छूटने और स्वास्थ्य समस्याओं के कारण तनाव में थी। यह दुखद घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि यह समाज में मानसिक स्वास्थ्य और बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दों पर भी सवाल उठाती है।

एक होनहार बेटी की कहानी

निधि ने बीबीए की पढ़ाई पूरी की थी और पिछले दो सालों से दिल्ली में एक निजी कंपनी में काम कर रही थी। यशपाल ने बताया कि कंपनी के दूसरी जगह शिफ्ट होने के कारण निधि की नौकरी छूट गई थी। इसके बाद वह अपने घर शाहजहाँपुर लौट आई और बच्चों को कोचिंग पढ़ाने लगी। निधि ने न केवल हरदोई की एक बैंक में काम किया था, बल्कि हाल ही में पुलिस भर्ती की परीक्षा भी दी थी।

शनिवार की शाम, निधि ने परिवार को चाय बनाकर पिलाई थी। इसके बाद परिजन पास के हथौड़ा गांव में सत्संग के लिए चले गए। घर पर अकेली निधि ने अपने कमरे का दरवाजा बंद किया और पंखे के कुंडे से लटककर अपनी जान दे दी। बच्चों ने खिड़की से झांककर उसे देखा और तुरंत परिजनों को सूचित किया। दरवाजा तोड़कर निधि के शव को उतारा गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। इस घटना ने पूरे मोहल्ले को स्तब्ध कर दिया।

सोशल मीडिया पर अश्लीलता फैलाने के मामले में परी और महक पर IT एक्ट के तहत FIR दर्ज

Sambhal News : सोशल मीडिया पर अश्लील भाषा और गाली-गलौज से भरी रील्स बनाकर मशहूर हुईं महक और परी अब कानून के शिकंजे में हैं। इंस्टाग्राम पर लाखों व्यूज बटोरने वाली इन दोनों सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स के खिलाफ संभल पुलिस ने आईटी एक्ट और सार्वजनिक अश्लीलता फैलाने के आरोप में FIR दर्ज की है।

महक और परी नाम की ये लड़कियां अपने इंस्टाग्राम अकाउंट्स पर लगातार ऐसी रील्स पोस्ट कर रही थीं, जिनमें अश्लील शब्दावली, अभद्र भाषा और गाली-गलौज का खुला प्रयोग हो रहा था। पुलिस के मुताबिक, इस तरह की सामग्री से युवाओं, खासकर नाबालिगों पर गलत असर पड़ रहा था।मुख्य आरोप

गालियों और आपत्तिजनक भाषा से भरी वीडियो रील्स

सार्वजनिक मंच पर अश्लीलता फैलाना

सोशल मीडिया का दुरुपयोग

युवाओं को भड़काने और गलत दिशा में ले जाने की कोशिश

कानूनी धाराएं

आईटी एक्ट की संबंधित धाराएं

सार्वजनिक अश्लीलता, शांति भंग करने, और समाजिक सौहार्द बिगाड़ने के आरोप

पुलिस की कार्रवाई

FIR दर्ज कर ली गई है

जल्द ही दोनों को पूछताछ के लिए तलब किया जाएगा

मामले की साइबर सेल से जांच कराई जा रही है

पुलिस का बयान
“महक और परी की वीडियो रील्स समाज पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही थीं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं कि सार्वजनिक मंच पर गालियों और भड़काऊ भाषा का खुला प्रदर्शन किया जाए।” यह मामला सोशल मीडिया पर सीमाओं की चर्चा को एक बार फिर ज़ोरों से उठा रहा है. जहां मनोरंजन की आड़ में अश्लीलता को बढ़ावा देना अब कानूनी कार्रवाई की जद में आ चुका है।

सरेआम पुरुषों की पिटाई, महिलाओं पर हमले! समा खातून का वायरल ‘गुंडा राज’

उत्तर प्रदेश का बस्ती जिला इन दिनों एक ऐसी महिला के आतंक से दहल रहा है, जिसे लोग अब ‘लेडी डॉन’ के नाम से जानने लगे हैं। समा खातून नाम की इस महिला की दबंगई और बेलगाम गुंडागर्दी ने न केवल स्थानीय लोगों के दिलों में खौफ पैदा किया है, बल्कि प्रशासन को भी सकते में डाल दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में समा खातून की क्रूरता और बेखौफ अंदाज साफ दिखाई देता है, जिसने हर किसी को हैरान कर रखा है। आइए, इस सनसनीखेज मामले को गहराई से समझते हैं और जानते हैं कि आखिर समा खातून की दबंगई की कहानी क्या है।

रजिस्ट्री दफ्तर में थप्पड़ों की बौछार

बस्ती सदर कोतवाली के रजिस्ट्री दफ्तर में हाल ही में एक ऐसी घटना घटी, जिसने सबको चौंका दिया। एक युवक किसी मुकदमे की पैरवी के लिए दफ्तर पहुंचा था, लेकिन उसे क्या पता था कि वहां उसका सामना समा खातून की दबंगई से होगा। चश्मदीदों के मुताबिक, समा पहले से ही वहां मौजूद थी और मौका मिलते ही उसने युवक पर थप्पड़ों की बौछार कर दी। यह पूरा वाकया किसी ने अपने फोन में रिकॉर्ड कर लिया और देखते ही देखते यह वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया। वीडियो में साफ दिख रहा है कि समा बिना किसी डर के युवक को एक के बाद एक थप्पड़ मार रही है। इस हमले से आहत पीड़ित ने तुरंत कोतवाली थाने में समा के खिलाफ शिकायत दर्ज की, जिसके बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

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एक नहीं, कई घटनाओं का हिस्सा

समा खातून की दबंगई का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी उनके खिलाफ कई गंभीर आरोप सामने आ चुके हैं। एक अन्य सनसनीखेज घटना में समा पर एक महिला को अपने गुर्गों से पिटवाने का आरोप लगा है। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें कुछ लोग एक महिला को लाठी-डंडों से बेरहमी से पीटते दिख रहे हैं। इस क्रूर हमले ने न केवल स्थानीय लोगों को डरा दिया, बल्कि प्रशासन पर भी सवाल उठाए। पीड़िता ने इस मामले में पुलिस महानिरीक्षक (डीआईजी) से गुहार लगाई, जिसके बाद डीआईजी ने तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। सीओ सत्येंद्र भूषण तिवारी ने बताया कि इस मारपीट के मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और वीडियो के आधार पर जांच की जा रही है।

स्थानीय लोगों में डर और आक्रोश

समा खातून की इन हरकतों ने बस्ती के लोगों में डर और गुस्से का माहौल पैदा कर दिया है। लोग अब खुलकर उनके खिलाफ बोलने से डर रहे हैं, क्योंकि समा और उनके गुर्गों का खौफ हर तरफ फैल चुका है। सोशल मीडिया पर लोग इस मामले पर अपनी राय रख रहे हैं और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कई लोगों का कहना है कि समा की बेलगाम दबंगई को रोकने के लिए पुलिस को तुरंत कदम उठाने चाहिए, ताकि आम लोग सुरक्षित महसूस कर सकें।

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पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी है। कोतवाली थाने में समा खातून के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज किए गए हैं। डीआईजी ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और पुलिस को सख्त निर्देश दिए हैं कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। सीओ तिवारी ने बताया कि सभी वायरल वीडियो की जांच की जा रही है और जल्द ही इस मामले में ठोस कदम उठाए जाएंगे। हालांकि, स्थानीय लोग चाहते हैं कि समा खातून को जल्द से जल्द सजा मिले, ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।

होटल के बाहर मिले कंडोम, मोहल्ले के लोग बोले- यहां हो रहा गंदा काम

ठाकुरद्वारा। उत्तर प्रदेश के ठाकुरद्वारा में एक OYO होटल को लेकर भारी बवाल मच गया। स्थानीय निवासियों, खासकर महिलाओं ने होटल में अवैध और संदिग्ध गतिविधियों का आरोप लगाते हुए जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। गुस्साए लोगों ने होटल का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया जिसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर चार युवकों और चार युवतियों को हिरासत में लिया। स्थानीय समुदाय का कहना है कि इस होटल की वजह से इलाके का माहौल खराब हो रहा है, और बच्चों की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है। इस घटना ने पुलिस की कार्यशैली और स्थानीय प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

स्थानीय लोगों की चिंता: बच्चों की सुरक्षा खतरे में

स्थानीय निवासियों का आरोप है कि होटल में बाहरी जोड़े आते हैं और यहां देह व्यापार जैसी गैरकानूनी गतिविधियां चल रही हैं। लोगों का कहना है कि होटल के आसपास अश्लील सामग्री फेंकी जाती है, जिससे बच्चों का सड़क से गुजरना मुश्किल हो गया है। गुस्साई महिलाओं ने होटल को बंद करने की मांग की और प्रदर्शन के दौरान पुलिस के खिलाफ नारेबाजी भी की। उनका कहना है कि यह होटल न केवल नैतिकता के खिलाफ है, बल्कि उनके बच्चों के भविष्य के लिए भी खतरा बन चुका है।पुलिस की कार्रवाई और विवाद

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सूचना मिलने पर डायल 112 की टीम मौके पर पहुंची, लेकिन बिना कोई कार्रवाई किए लौट गई, जिससे स्थानीय लोगों का गुस्सा और भड़क गया। कई घंटों बाद कोतवाली पुलिस ने होटल में छापेमारी की और आठ लोगों को हिरासत में लिया। युवतियों को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया, जबकि युवकों को कोतवाली ले जाया गया। हालांकि, पुलिस की इस कार्रवाई को लेकर भी सवाल उठे, क्योंकि स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस पिछले एक साल से शिकायतों को नजरअंदाज कर रही है। कुछ लोगों ने तो पुलिस और होटल संचालक के बीच सांठगांठ का भी आरोप लगाया।

पुलिस की कार्रवाई और विवाद

सूचना मिलने पर डायल 112 की टीम मौके पर पहुंची, लेकिन बिना कोई कार्रवाई किए लौट गई, जिससे स्थानीय लोगों का गुस्सा और भड़क गया। कई घंटों बाद कोतवाली पुलिस ने होटल में छापेमारी की और आठ लोगों को हिरासत में लिया। युवतियों को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया, जबकि युवकों को कोतवाली ले जाया गया। हालांकि, पुलिस की इस कार्रवाई को लेकर भी सवाल उठे, क्योंकि स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस पिछले एक साल से शिकायतों को नजरअंदाज कर रही है। कुछ लोगों ने तो पुलिस और होटल संचालक के बीच सांठगांठ का भी आरोप लगाया।

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सत्ताधारी नेता पर संरक्षण का आरोप

विवाद ने तब और तूल पकड़ा जब स्थानीय लोगों ने एक सत्ताधारी दल के नेता पर होटल को संरक्षण देने का आरोप लगाया। लोगों का कहना है कि राजनीतिक संरक्षण के कारण ही होटल बिना किसी रोक-टोक के चल रहा है। गुस्साए निवासियों ने साफ कहा कि वे किसी भी कीमत पर अपने इलाके का माहौल खराब नहीं होने देंगे। इस घटना ने न केवल होटल के संचालन पर सवाल उठाए, बल्कि स्थानीय नेताओं और पुलिस की जवाबदेही पर भी चर्चा छेड़ दी है।

पुलिस की निष्क्रियता और मीडियाकर्मियों पर दबाव

होटल में छापेमारी के दौरान कोतवाली प्रभारी की कार्यशैली पर भी सवाल उठे। स्थानीय लोगों ने बताया कि प्रभारी बिना महिला पुलिसकर्मियों के होटल पहुंचे, जिसके कारण कार्रवाई में देरी हुई। इस बीच, कोतवाली प्रभारी ने मीडियाकर्मियों को कवरेज करने से रोकने की कोशिश की और उन्हें मौके से हटने का आदेश दिया। हालांकि, पत्रकारों ने निष्पक्ष पत्रकारिता का हवाला देते हुए इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर मीडिया ने दबाव नहीं बनाया होता, तो पुलिस इस मामले में लीपापोती कर देती।

पति मांगे गुजारा भत्ता, PCS अफसर पत्नी को कोर्ट से मिला नोटिस! 8 अगस्त को होगी बड़ी सुनवाई

उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित पीसीएस ज्योति मौर्या मामले में एक नया मोड़ सामने आया है। ज्योति मौर्या के पति, आलोक मौर्या ने अपनी अफसर पत्नी से गुजारा भत्ता प्राप्त करने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया है। इस मामले ने न केवल व्यक्तिगत विवादों को सुर्खियों में लाया है, बल्कि वैवाहिक और सामाजिक जिम्मेदारियों पर भी सवाल उठाए हैं। आइए, इस मामले की गहराई में उतरकर समझते हैं कि आलोक मौर्या की याचिका और हाईकोर्ट का फैसला क्या संदेश देता है।

पृष्ठभूमि: ज्योति और आलोक का विवाद

ज्योति मौर्या, एक प्रख्यात पीसीएस अधिकारी, और उनके पति आलोक मौर्या के बीच वैवाहिक विवाद लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। आलोक ने दावा किया है कि उनकी पत्नी, जो एक उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारी हैं, उनकी तुलना में कहीं अधिक आय अर्जित करती हैं। दूसरी ओर, आलोक की आय सीमित है, जिसके कारण वह अपनी आजीविका चलाने में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। इस आधार पर, आलोक ने आजमगढ़ की पारिवारिक अदालत में गुजारा भत्ता की मांग की थी, लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई। इस फैसले से असंतुष्ट होकर, आलोक ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की।

हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण कदम

इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा और डॉ. वाईके श्रीवास्तव शामिल थे, ने आलोक मौर्या की अपील पर विचार किया। आलोक ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि उनकी पत्नी की आर्थिक स्थिति मजबूत होने के कारण, वैवाहिक विवादों के निपटारे तक उन्हें गुजारा भत्ता प्रदान किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए ज्योति मौर्या को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 8 अगस्त, 2025 की तारीख तय की है।

हालांकि, कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि आलोक की अपील निर्धारित समय से 77 दिन की देरी से दाखिल की गई थी और पारिवारिक अदालत की डिक्री की प्रमाणित प्रति भी प्रस्तुत नहीं की गई थी। इसके बावजूद, आलोक ने देरी को माफ करने और प्रति दाखिल करने की छूट की मांग की, जिसे कोर्ट ने विचार के लिए स्वीकार किया। यह कदम दर्शाता है कि हाईकोर्ट इस मामले में निष्पक्ष और गहन सुनवाई के लिए प्रतिबद्ध है।

सामाजिक और कानूनी परिप्रेक्ष्य

ज्योति मौर्या और आलोक मौर्या का मामला केवल एक व्यक्तिगत विवाद तक सीमित नहीं है; यह समाज में लैंगिक भूमिकाओं और आर्थिक असमानता जैसे गंभीर मुद्दों को भी उजागर करता है। परंपरागत रूप से, गुजारा भत्ता की मांग महिलाओं द्वारा की जाती रही है, लेकिन इस मामले में एक पुरुष द्वारा ऐसी मांग उठाना सामाजिक बहस को नई दिशा देता है। यह सवाल उठता है कि क्या कानून और समाज अब पुरुषों को भी वैवाहिक विवादों में आर्थिक सहायता का हकदार मानने के लिए तैयार हैं?

क्या होगा अगला कदम?

इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा जारी नोटिस के बाद, सभी की निगाहें 8 अगस्त की सुनवाई पर टिकी हैं। इस तारीख को कोर्ट यह तय करेगा कि क्या आलोक मौर्या की गुजारा भत्ता की मांग जायज है और क्या ज्योति मौर्या को इस संबंध में कोई आदेश दिया जाएगा। यह मामला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैवाहिक संबंधों और पारिवारिक जिम्मेदारियों के प्रति समाज की सोच को भी प्रभावित कर सकता है।

ओयो होटल से 4 युवक और 4 युवतियां बरामद, स्थानीय लोगों ने पुलिस के खिलाफ की जमकर नारेबाजी

अनिल शर्मा ठाकुरद्वारा। उत्तर प्रदेश के ठाकुरद्वारा शहर में रतुपुरा रोड पर स्थित एक ओयो होटल के बाहर उस दिन माहौल गरम हो गया, जब स्थानीय निवासियों, खासकर महिलाओं ने होटल में संदिग्ध गतिविधियों का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। गुस्साए लोगों ने होटल का मुख्य दरवाजा बाहर से बंद कर दिया, जिसके बाद मामला और तूल पकड़ गया। स्थानीय लोगों का कहना था कि इस होटल की वजह से उनके मोहल्ले का माहौल खराब हो रहा है, और उनकी बेटियों की सुरक्षा खतरे में है। इस घटना ने न केवल स्थानीय समुदाय को झकझोर दिया, बल्कि पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े किए।

पुलिस की देरी और स्थानीय लोगों का आक्रोश

सूचना मिलने के बाद डायल 112 की टीम मौके पर पहुंची, लेकिन बिना कोई ठोस कार्रवाई किए वापस लौट गई। इससे गुस्साए स्थानीय निवासियों ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। कई घंटों बाद कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और होटल में दबिश देकर चार युवकों और चार युवतियों को हिरासत में लिया। पुलिस ने युवतियों को चेतावनी देकर छोड़ दिया, जबकि युवकों को कोतवाली ले जाया गया। इस दौरान मौके पर मौजूद मीडिया कर्मियों को होटल के अंदर जाने से रोक दिया गया, जिससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर और सवाल उठे।

मोहल्ले की चिंता: बेटियों की सुरक्षा

स्थानीय महिलाओं ने होटल में कथित तौर पर चल रही अवैध गतिविधियों पर गहरी चिंता जताई। उनका कहना है कि इस होटल में लंबे समय से संदिग्ध गतिविधियां चल रही हैं, और युवक-युवतियों का आना-जाना मोहल्ले के माहौल को खराब कर रहा है। खासकर, स्कूल जाने वाली बेटियों को इस रास्ते से गुजरना पड़ता है, जिससे उनकी सुरक्षा को लेकर परिवार चिंतित हैं। महिलाओं ने पुलिस से मांग की कि इस होटल को तत्काल बंद किया जाए, ताकि मोहल्ले का शांतिपूर्ण माहौल बहाल हो सके।

पुलिस का रवैया और जनता का विरोध

कोतवाली प्रभारी ने मौके पर पहुंचकर होटल की जांच की, लेकिन उनका कहना था कि किसी की निजी जिंदगी में दखल नहीं देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि शिकायत की जांच की जा रही है। हालांकि, पुलिस के इस ढीले-ढाले रवैये से स्थानीय लोग और भड़क गए। गुस्साए लोगों ने “पुलिस हाय-हाय” के नारे लगाए और सख्त कार्रवाई की मांग की। निवासियों का कहना है कि उन्होंने पहले भी कई बार पुलिस को शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस घटना ने पुलिस प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल उठाए हैं।

क्या होगा इस विवाद का हल?

यह घटना ठाकुरद्वारा में चर्चा का विषय बन चुकी है। स्थानीय लोग इस बात से नाराज हैं कि पुलिस बार-बार की शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठा रही। अब सभी की नजर इस बात पर टिकी है कि पुलिस प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है। क्या यह होटल बंद होगा, या यह विवाद और गहराएगा? यह सवाल न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि पूरे शहर के लिए महत्वपूर्ण है।