सिविल लाइंस पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो सोशल मीडिया और वॉट्सएप का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी और ब्लैकमेलिंग का जाल बुनता था। यह गिरोह खास तौर पर 40 साल से अधिक उम्र के संपन्न व्यक्तियों को निशाना बनाता था। गिरोह की महिलाएं वॉट्सएप पर ‘हाय’ का मैसेज भेजकर शिकार को फंसाने की शुरुआत करती थीं। जवाब मिलने पर कुछ घंटों तक कोई प्रतिक्रिया नहीं देतीं और फिर ‘गलती से मैसेज’ होने का बहाना बनाकर बातचीत शुरू करती थीं। धीरे-धीरे बात को अपने एजेंडे पर लाकर वे व्यक्ति को अकेले में मुलाकात का लालच देती थीं। मुलाकात के दौरान पहले से मौजूद गिरोह की पूरी टीम अपनी भूमिका निभाती थी। जैसे ही वीडियो बन जाता, ब्लैकमेलिंग का खेल शुरू हो जाता। चारों तरफ से फंसा व्यक्ति रुपये देने के अलावा और कोई रास्ता नहीं देख पाता था।
रेकी से शुरू होता था शिकार का चयन
गिरोह का पहला कदम था रेकी के जरिए ऐसे व्यक्ति की तलाश करना, जो 40 साल से अधिक उम्र का हो और आर्थिक रूप से सक्षम हो। पुरुष सदस्यों की जिम्मेदारी थी कि वे ऐसे व्यक्तियों को चिह्नित करें, जो महिलाओं से बात करने में रुचि रखते हों। खासकर उन लोगों को निशाना बनाया जाता था, जो किसी सरकारी विभाग में नौकरी करते हों, जिनकी पत्नी न हो या जो सेवानिवृत्त हो चुके हों। दीवान का बाजार निवासी महक उर्फ फरीदा (35 वर्ष) और गुलाबराय का बाग निवासी रानी (28 वर्ष) इस गिरोह की मुख्य महिला सदस्य थीं। अन्य सदस्यों में एकता कॉलोनी निवासी राहुल शर्मा, चंदनपुर इशापुर मूंढापांडे निवासी राधेश्याम, सोनू शर्मा और अमन शामिल थे। सभी की भूमिकाएं पहले से तय थीं।
उम्र का खेल और वसूली का जाल
महक की उम्र 35 वर्ष होने के कारण युवा पुरुष उसके झांसे में कम आते थे। वहीं, रानी की उम्र 28 वर्ष होने के चलते लोग उसके प्रति जल्दी आकर्षित हो जाते थे। वॉट्सएप पर बातचीत का जिम्मा महक संभालती थी, लेकिन जब चेहरा दिखाने या मुलाकात की बारी आती, तो रानी को आगे कर दिया जाता। पुलिस के अनुसार, गिरोह ‘हाय-हेलो’ के मैसेज के बाद महज पांच दिनों के भीतर शिकार को अपने जाल में फंसा लेता था। मुलाकात के दौरान बनाए गए वीडियो के आधार पर ब्लैकमेलिंग शुरू होती, और पीड़ित को भारी रकम चुकानी पड़ती। सिविल लाइंस पुलिस ने इस गिरोह के सभी सदस्यों को हिरासत में ले लिया है और मामले की गहन जांच कर रही है।