मौलाना महमूद मदनी के डिनर में शामिल हुए विपक्षी सांसद, फिलिस्तीन और असम पर चर्चा गरमाई

नई दिल्ली की सर्द शाम में, शांगरी-ला होटल का माहौल गंभीर चर्चाओं और एकजुटता के संदेशों से गूंज उठा। जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी के निमंत्रण पर विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद एक मंच पर इकट्ठा हुए। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), बीजू जनता दल (बीजेडी), द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), और ऑल इंडिया मुस्लिम लीग जैसे दलों के प्रमुख नेताओं ने इस रात्रिभोज में हिस्सा लिया।

यह आयोजन केवल एक औपचारिक मुलाकात नहीं था, बल्कि देश और दुनिया के जलते मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श का अवसर था। मौलाना मदनी ने अपने स्वागत भाषण में सामाजिक एकता और राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विभिन्न विचारधाराओं के बीच संवाद ही देश को मजबूत बना सकता है।

फलस्तीन मुद्दे पर तीखी आलोचना

आयोजन में फलस्तीन के मुद्दे पर भारत सरकार की नीति की कड़ी आलोचना हुई। मौलाना मदनी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत की मौजूदा विदेश नीति देश के ऐतिहासिक और नैतिक मूल्यों के खिलाफ है। “फलस्तीन का मुद्दा अब सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि मानवता का सवाल बन चुका है,” उन्होंने जोर देकर कहा। उन्होंने तर्क दिया कि भारत का मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले समूहों के साथ खड़ा होना वैश्विक मंच पर देश की साख को नुकसान पहुंचा रहा है।

इस मुद्दे पर सांसदों ने एकजुट होकर आवाज उठाने की प्रतिबद्धता जताई। टीएमसी और डीएमके के नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि भारत को अपनी विदेश नीति में नैतिकता और मानवता को प्राथमिकता देनी चाहिए। समाजवादी पार्टी के एक सांसद ने सुझाव दिया कि भारत को संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर फलस्तीन के हक में मजबूत रुख अपनाना चाहिए।

एकजुटता और भविष्य की दिशा

रात्रिभोज में नेताओं ने न केवल फलस्तीन जैसे वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक एकता और समावेशी विकास जैसे विषयों पर भी विचार साझा किए। मौलाना मदनी ने प्रस्ताव रखा कि इस तरह के आयोजन नियमित रूप से हों, ताकि विभिन्न दलों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा मिले। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार कर राष्ट्रीय और वैश्विक हितों के लिए एकजुट होने का प्रतीक है।

रात्रिभोज के अंत में, नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने सामाजिक एकता, मानवाधिकारों की रक्षा, और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई। इस आयोजन ने यह स्पष्ट किया कि संवाद और सहयोग से ही जटिल समस्याओं का समाधान संभव है।

इस डिनर में सपा के हरेंद्र मलिक, इकरा हसन, मोहिबुल्लाह नदवी, जिया उर रहमान बर्क मौजूद रहे. वहीं, कांग्रेस के इमरान मसूद, इमरान प्रतापगढ़ी, जावेद खान, एनसी के आगा रुहुल्ला मेहंदी,मियां अल्ताफ और चंद्रशेखर आजाद मौजूद रहे. इस मीटिंग में देश के मौजूदा हालात को लेकर चिंता जाहिर की गई. साथ ही मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा और नफरत की घटनाओं पर भी गंभीर चर्चा हुई. इस मौके पर मौलाना मदनी ने कहा कि यह वक्त एकजुट होकर मुस्लिम समाज की आवाज को मजबूत करने का है.

ठाकुरद्वारा में ड्रोन के दुरुपयोग पर प्रशासन सख्त, ड्रोन का उल्लंघन करने पर 5,00,000 का जुर्माना

पंडित अनिल शर्मा: मुरादाबाद जनपद के तहसील ठाकुरद्वारा में ड्रोन के माध्यम से जासूसी और चोरी की घटनाओं ने स्थानीय प्रशासन और जनता को चिंता में डाल दिया है। जन-सामान्य और प्रिंट मीडिया के माध्यम से प्राप्त सूचनाओं के अनुसार, रात्रि के समय ड्रोन उड़ाकर ग्रामीण क्षेत्रों में दहशत फैलाने और आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने की शिकायतें सामने आई हैं। इन गतिविधियों के कारण क्षेत्र में शांति व्यवस्था भंग होने की आशंका बढ़ गई है। स्थानीय लोगों में असुरक्षा का माहौल है, और इस स्थिति पर तत्काल नियंत्रण की आवश्यकता है। प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाने का निर्णय लिया है।

ड्रोन पंजीकरण अनिवार्य, उल्लंघन पर भारी जुर्माना

तहसील ठाकुरद्वारा के उपजिलाधिकारी प्रीति सिंह ने एक अधिसूचना जारी कर सभी ड्रोन मालिकों को निर्देश दिया है कि वे अपने ड्रोन और व्यक्तिगत जानकारी, आधार कार्ड सहित, तीन दिनों के भीतर नजदीकी थाने में दर्ज कराएं। यह कदम क्षेत्र में ड्रोन के दुरुपयोग को रोकने और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाया गया है। अधिसूचना के अनुसार, तीन दिन की अवधि के बाद गहन जांच की जाएगी। यदि इस अवधि के बाद किसी व्यक्ति के पास बिना पंजीकरण का ड्रोन पाया जाता है, तो उसे सूचना छिपाने का दोषी माना जाएगा। ऐसे मामलों में संबंधित थाने के माध्यम से विधिक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें 5,00,000 रुपये का जुर्माना भी शामिल है। इस कार्रवाई का संपूर्ण उत्तरदायित्व ड्रोन मालिक पर होगा। प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे इस निर्देश का पालन करें और क्षेत्र में शांति बनाए रखने में सहयोग करें।

8th pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की बल्ले-बल्ले

8th pay Commission: देशभर के लाखों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की निगाहें 8वें वेतन आयोग की घोषणा पर टिकी हैं। यह आयोग न केवल उनके वेतन और पेंशन में बदलाव लाने की संभावना रखता है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर सकता है। हाल ही में संसद में इस मुद्दे पर हुई चर्चा ने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में नई उम्मीदें जगाई हैं। 7वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद से ही कर्मचारी संगठनों द्वारा 8वें आयोग की मांग उठ रही थी, और अब सरकार के ताजा बयानों ने इस दिशा में सकारात्मक संकेत दिए हैं। कर्मचारियों को उम्मीद है कि यह आयोग उनकी आय को मुद्रास्फीति और बढ़ती जीवन लागत के अनुरूप समायोजित करेगा।

सरकार का रुख और गठन की प्रक्रिया

हाल ही में लोकसभा में सांसदों द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि 8वें वेतन आयोग के गठन का फैसला लिया जा चुका है। विभिन्न मंत्रालयों जैसे रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, और कार्मिक प्रशिक्षण विभाग से सुझाव मांगे गए हैं। इसके अलावा, राज्य सरकारों से भी इनपुट लिए जा रहे हैं, ताकि वेतन संशोधन की प्रक्रिया समग्र और समावेशी हो। यह कदम दर्शाता है कि सरकार इस दिशा में गंभीरता से काम कर रही है। हालांकि, अभी तक आयोग की आधिकारिक अधिसूचना और इसके सदस्यों की नियुक्ति बाकी है। सूत्रों के अनुसार, सरकार इस प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने का प्रयास कर रही है, ताकि कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को समय पर लाभ मिल सके। आयोग के गठन के बाद इसके कार्यक्षेत्र और समयसीमा को लेकर भी स्थिति स्पष्ट होगी।

संभावित प्रभाव और कर्मचारियों की अपेक्षाएं

8वां वेतन आयोग केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है। कर्मचारी संगठनों का मानना है कि यह आयोग न केवल वेतन में वृद्धि करेगा, बल्कि भत्तों, जैसे महंगाई भत्ता, मकान किराया भत्ता, और यात्रा भत्ता, में भी संशोधन करेगा। इसके अलावा, पेंशनभोगियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल करने की मांग भी जोर पकड़ रही है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि बढ़ती महंगाई और आर्थिक चुनौतियों के बीच वेतन और पेंशन में उचित वृद्धि उनकी आर्थिक स्थिरता के लिए जरूरी है। आयोग के गठन से सरकारी कर्मचारियों की कार्यक्षमता और प्रेरणा पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि बेहतर वेतन और सुविधाएं कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाती हैं।

चुनौतियां और भविष्य की राह

हालांकि 8वें वेतन आयोग की घोषणा ने उम्मीदें जगाई हैं, लेकिन इसकी राह में कई चुनौतियां भी हैं। आयोग के गठन और इसके सुझावों को लागू करने में समय लग सकता है, जिससे कर्मचारियों में अधीरता बढ़ सकती है। इसके अलावा, वित्तीय संसाधनों का प्रबंधन और राज्यों के साथ समन्वय भी एक जटिल प्रक्रिया है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि आयोग के सुझाव सभी वर्गों के लिए समान रूप से लाभकारी हों। कर्मचारी संगठन भी इस प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी की मांग कर रहे हैं, ताकि उनकी आवाज को सुना जाए। भविष्य में, आयोग की सिफारिशें न केवल कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के जीवन को प्रभावित करेंगी, बल्कि अर्थव्यवस्था पर भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा। सरकार और कर्मचारी संगठनों के बीच संवाद और सहयोग इस प्रक्रिया को सफल बनाने की कुंजी होगा।

स्टेशन पर भीख मांगती लड़की की दर्दनाक कहानी… रो पड़ेंगे, प्यार में मिला धोखा

महोबा की रहने वाली दो युवतियों की जिंदगी उस वक्त उजड़ गई, जब एक अनजान कॉल ने उनके सपनों को चकनाचूर कर दिया। करीब एक साल पहले, एक युवती के मोबाइल पर आगरा के शमसाबाद निवासी एक युवक का फोन आया। गलत नंबर का बहाना बनाकर शुरू हुई बातचीत धीरे-धीरे दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई। युवक ने शादी का वादा किया और युवती को 28 फरवरी को महोबा से अपने साथ ले गया। गुजरात में किराए के मकान में दोनों साथ रहने लगे, लेकिन यह रिश्ता जल्द ही दर्दनाक सच्चाई में बदल गया। युवक ने तीन महीने तक युवती का शारीरिक शोषण किया। जब युवती गर्भवती हुई, तो उसने दर्द की दवा के बहाने गर्भपात की गोली खिला दी। इसके बाद वह उसे राजस्थान के मेहंदीपुर ले गया, जहां उसका दुख और बढ़ गया। इस घटना ने न केवल युवती के विश्वास को तोड़ा, बल्कि उसके भविष्य को भी अंधेरे में धकेल दिया।

आगरा में बेवफाई और ठगी का शिकार

युवक की बेवफाई यहीं नहीं रुकी। युवती के दोबारा गर्भवती होने पर वह उसे आगरा ले आया। वहां उसका चचेरा भाई भी एक अन्य महिला के साथ शामिल हो गया। दोनों भाइयों ने होटल में कमरा बुक करने का बहाना बनाकर दोनों युवतियों को आगरा के कैंट स्टेशन पर छोड़ दिया और फरार हो गए। फोन बंद, पता गलत—युवतियों के पास अब कोई सहारा नहीं था। जब एक युवती शमसाबाद में आरोपी के बताए पते पर पहुंची, तो उसके परिजनों ने उसे मारपीट कर भगा दिया। शमसाबाद पुलिस ने भी उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। बेसहारा और ठगा हुआ महसूस करते हुए, दोनों युवतियां पिछले 18 दिनों से कैंट स्टेशन पर भीख मांगकर गुजारा कर रही हैं। यह घटना समाज में महिलाओं के प्रति विश्वासघात और असंवेदनशीलता की गंभीर समस्या को उजागर करती है।

इंसाफ की उम्मीद में डीसीपी कार्यालय पहुंचीं युवतियां

निराशा और दुख के बीच, दोनों युवतियों ने हिम्मत नहीं हारी। बुधवार को वे डीसीपी सिटी कार्यालय पहुंचीं और अपनी आपबीती के साथ शिकायती पत्र सौंपा। उनकी कहानी न केवल उनके दर्द को बयां करती है, बल्कि समाज में महिलाओं के साथ होने वाले विश्वासघात और शोषण की गंभीर समस्या को भी सामने लाती है। अब सवाल यह है कि क्या इन युवतियों को इंसाफ मिलेगा? क्या समाज और कानून उनकी मदद के लिए आगे आएंगे? यह मामला न केवल कानूनी कार्रवाई की मांग करता है, बल्कि समाज से यह भी अपेक्षा करता है कि वह ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता और संवेदनशीलता दिखाए। इन युवतियों की कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारा समाज और कानून व्यवस्था सचमुच कमजोर वर्ग की रक्षा करने में सक्षम है?

सनातन धर्म हिंदू इंटर कॉलेज में अनियमितताओं की जांच नही मिले दस्तावेज

पंडित अनिल शर्मा: मुरादाबाद जनपद के ठाकुरद्वारा में स्थित सनातन धर्म हिंदू इंटर कॉलेज में चल रही कथित अनियमितताओं की जांच के लिए बुधवार को संयुक्त शिक्षा निदेशक, मुरादाबाद मंडल के आदेश पर एक जांच टीम कॉलेज पहुंची। इस टीम में संस्कृत पाठशाला मुरादाबाद मंडल के उप निरीक्षक प्रीतम सिंह और लेखाकार नरेंद्र कुमार शामिल थे। जांच दल ने विद्यालय के अभिलेखों की बारीकी से जांच की और कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज अपने साथ ले गए। जांच के दौरान शिकायतकर्ता पंकज यादव और उनके साथी रुद्र दत्त शर्मा का पक्ष भी सुना गया। प्रीतम सिंह ने बताया कि सभी 17 बिंदुओं पर गहन जांच के बाद ही उनकी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को प्रेषित की जाएगी।

शिकायत में 17 बिंदुओं पर गंभीर आरोप

नगर के निवासी पंकज यादव ने जिला विद्यालय निरीक्षक को एक शिकायती पत्र भेजकर विद्यालय में चल रही कथित धांधलियों को उजागर किया था। इस पत्र में 17 बिंदुओं पर आधारित शिकायतें शामिल थीं, जिनमें विद्यालय की 385 बीघा कृषि भूमि को लंबे समय से एक ही व्यक्ति को ठेके पर देने, भूमि से होने वाली वार्षिक आय, और ब्लॉक परिसर के सामने बनी दुकानों के किराए में अनियमितता जैसे गंभीर आरोप शामिल थे। इसके अलावा, नवनिर्मित भवन में हुई अनियमितताओं की भी जांच की गई। शिकायतकर्ताओं ने दावा किया कि विद्यालय प्रशासन द्वारा पारदर्शिता का अभाव है और कई दस्तावेज प्रबंधक के कब्जे में हैं, जिसके कारण जांच में बाधा उत्पन्न हो रही है।

दुकानों के किराए और प्रबंधक पर सवाल

जांच के दौरान ब्लॉक परिसर के सामने स्थित दुकानों के किराएदारों से पूछताछ की गई। किराएदारों ने बताया कि पिछले डेढ़ वर्ष से उनसे किराया नहीं वसूला गया है, जबकि प्रति माह 650 रुपये किराया निर्धारित है। इस खुलासे ने जांच को और गंभीर बना दिया। प्रधान लिपिक पवन कुमार ने विद्यालय के प्रबंधक पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज प्रबंधक के पास हैं, जिसके कारण जांच में कठिनाई हो रही है। इससे पहले भी विद्यालय की दो बार जांच हो चुकी है, लेकिन संपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध न होने के कारण जांच अधूरी रह गई थी। जांच के दौरान निलंबित प्रिंसिपल डॉ. विक्रम सिंह, शिकायतकर्ता पंकज यादव, रुद्र दत्त शर्मा, संजीव सिंह और अन्य लोग मौजूद रहे। जांच टीम ने सभी बिंदुओं पर साक्ष्य जुटाने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार करने की बात कही।

सपा नेता अब्दुल्ला आजम को इलाहाबाद हाईकोर्ट से झटका

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता और पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम खान को बड़ा झटका दिया है। फर्जी पासपोर्ट और दो पैन कार्ड से जुड़े मामलों में दायर उनकी दोनों याचिकाओं को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। बुधवार को अदालत ने यह फैसला सुनाया, जिसके बाद अब रामपुर के एमपी-एमएलए कोर्ट में इन मामलों की सुनवाई जारी रहेगी। कोर्ट ने एक जुलाई को दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस निर्णय से अब्दुल्ला आजम की कानूनी मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि अब उन्हें निचली अदालत में चल रहे ट्रायल का सामना करना होगा।

फर्जी पासपोर्ट और पैन कार्ड मामले में याचिकाएं खारिज

अब्दुल्ला आजम ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की थीं। पहली याचिका फर्जी पासपोर्ट से संबंधित थी, जिसमें उन पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट बनवाने का आरोप है। दूसरी याचिका दो पैन कार्ड बनवाने से जुड़ी थी, जो आयकर नियमों का उल्लंघन माना जाता है। इन दोनों मामलों में अब्दुल्ला ने रामपुर एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रही कार्यवाही को रद्द करने की मांग की थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने उनकी दलीलों को स्वीकार नहीं किया और दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट के इस फैसले ने सपा नेता के लिए कानूनी चुनौतियों को और जटिल कर दिया है।

रामपुर कोर्ट में जारी रहेगी सुनवाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब इन मामलों की सुनवाई रामपुर के एमपी-एमएलए कोर्ट में आगे बढ़ेगी। अब्दुल्ला आजम के खिलाफ ये मामले लंबे समय से चर्चा में हैं, और उनके पिता, सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान के साथ भी कई कानूनी विवाद जुड़े हैं। हाईकोर्ट का यह निर्णय अब्दुल्ला के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि अब उन्हें निचली अदालत में इन गंभीर आरोपों का जवाब देना होगा। इस मामले में आगे की सुनवाई और सबूतों की जांच पर सभी की नजरें टिकी हैं।

मुरादाबाद के ठाकुरद्वारा कोतवाली में सिपाहियों का व्यवहार सवालों के घेरे में

पंडित अनिल शर्मा: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जनपद के ठाकुरद्वारा कोतवाली में हाल ही में तैनात किए गए नव नियुक्त सिपाहियों का व्यवहार चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रशिक्षण के दौरान इन सिपाहियों को कानून और व्यवस्था की बारीकियां सिखाई जाती हैं, लेकिन शिष्टाचार और जनता के साथ व्यवहार की शिक्षा का स्पष्ट अभाव उनकी कार्यशैली में नजर आता है। वर्दी पहनते ही कुछ सिपाहियों का रवैया इतना उद्दंड हो जाता है कि वे आम जनता को जवाब देना अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते। इस तरह की घटनाएं पुलिस विभाग की छवि को धूमिल कर रही हैं और जनता के बीच असंतोष पैदा कर रही हैं।

अभद्र व्यवहार की ताजा घटना

हाल ही में ठाकुरद्वारा कोतवाली परिसर में एक ऐसी घटना सामने आई, जिसने पुलिस के व्यवहार पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। कोतवाली परिसर में एक व्यक्ति अपनी कार सही स्थान पर खड़ी करने की कोशिश कर रहा था। इस दौरान एक सिपाही ने उससे बेहद अभद्रता से बात की। जब व्यक्ति ने शांतिपूर्वक स्थिति समझाने की कोशिश की, तो सिपाही ने अपमानजनक लहजे में कहा, “चल वे, चल जा यहां से,” और उसे वहां से भगा दिया। यह घटना न केवल उस व्यक्ति के लिए अपमानजनक थी, बल्कि पुलिस की कार्यशैली और प्रशिक्षण प्रणाली पर भी सवाल उठाती है। इस घटना ने स्थानीय लोगों में नाराजगी पैदा की है, और वे इसे एक गंभीर मुद्दे के रूप में देख रहे हैं।

मुरादाबाद के ठाकुरद्वारा में नवविवाहिता की हत्या: पति उमर फारुख गिरफ्तार

पंडित अनिल शर्मा: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के ठाकुरद्वारा क्षेत्र के मोहल्ला मुंडो में रहने वाली नवविवाहिता मंतशा की हत्या के मामले में कोतवाली पुलिस ने कड़ा कदम उठाते हुए मुख्य आरोपी, मृतका के पति उमर फारुख को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने उमर फारुख को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया है।

इस मामले में दहेज हत्या और गला दबाकर हत्या करने के गंभीर आरोपों के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। मंतशा की मौत ने स्थानीय समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है, और परिजनों ने दहेज उत्पीड़न को इस जघन्य अपराध का मुख्य कारण बताया है।

पुलिस के अनुसार, मृतका के पिता इरशाद अली, जो नगर के मोहल्ला नई बस्ती के निवासी हैं, ने कोतवाली में तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की थी। तहरीर के आधार पर पुलिस ने उमर फारुख, उसकी मां (सास), पिता (ससुर), और जेठ के खिलाफ गंभीर धाराओं में प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की।

इरशाद ने अपनी तहरीर में बताया कि उनकी बेटी मंतशा को शादी के बाद से ही दहेज के लिए लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था। परिजनों का कहना है कि दहेज की मांग को लेकर मंतशा को मानसिक और शारीरिक रूप से यातनाएं दी जाती थीं। घटना वाले दिन मंतशा और उमर फारुख के बीच किसी बात को लेकर विवाद हुआ, जो धीरे-धीरे इतना बढ़ गया कि बात मारपीट तक पहुंच गई। आरोप है कि इसी दौरान उमर फारुख ने गुस्से में आकर मंतशा का गला दबाकर उसकी हत्या कर दी।

जांच में जुटी पुलिस, अन्य आरोपियों की तलाश जारी

मंतशा का शव उसके ससुराल, यानी उमर फारुख के घर से बरामद हुआ था, जिसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई शुरू की। मृतका के पिता की शिकायत के आधार पर पुलिस ने तुरंत मुकदमा दर्ज किया और जांच शुरू की। प्रारंभिक जांच में दहेज उत्पीड़न और हत्या के आरोपों की पुष्टि होने पर पुलिस ने उमर फारुख को हिरासत में लिया और पूछताछ के बाद उसे जेल भेज दिया। पुलिस ने बताया कि मामले में अन्य आरोपियों, यानी सास, ससुर, और जेठ की तलाश जारी है। पुलिस टीमें उनकी गिरफ्तारी के लिए संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही हैं।

इस घटना ने दहेज प्रथा और महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा जैसे गंभीर मुद्दों को एक बार फिर से उजागर किया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं समाज में जागरूकता की कमी और दहेज जैसी कुप्रथाओं को दर्शाती हैं। मंतशा के परिजनों ने प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि मामले की गहन जांच की जा रही है और सभी दोषियों को जल्द ही कानून के दायरे में लाया जाएगा।

सावन में शिवरात्रि पर भक्तों ने किया जलाभिषेक

पंडित अनिल शर्मा : श्रावण मास की शिवरात्रि पर उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के ठाकुरद्वारा में शिव भक्तों ने उत्साहपूर्वक भगवान शिव का जलाभिषेक किया। ठाकुरद्वारा निवासी मोहित सिंघल की अगुवाई में दर्जनभर शिव भक्त मंगलवार को अपने वाहनों से हरिद्वार रवाना हुए। उन्होंने वहां से डाक कांवड में गंगाजल लाकर नगर के प्रसिद्ध मंढ़ी मंदिर में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की। बुधवार को शिवरात्रि के पावन अवसर पर भक्तों ने विधि-विधान से गंगाजल से जलाभिषेक किया और भगवान शिव के जयकारे लगाए।

भक्तिमय हुआ ठाकुरद्वारा का माहौल

शिव भक्तों के जयकारों से ठाकुरद्वारा का माहौल भक्तिमय हो गया। मंढ़ी मंदिर, जो हाईवे पर स्थित है, में भक्तों की भीड़ उमड़ी। जलाभिषेक में आरूष अग्रवाल, निवेश अग्रवाल, पार्थ अग्रवाल, अर्चित अग्रवाल, हर्ष अग्रवाल, चेतन वर्मा, राहुल अग्रवाल, सार्थक रूहेला, सक्ष्म अग्रवाल सहित कई भक्त शामिल रहे। इस आयोजन ने क्षेत्र में धार्मिक उत्साह को और बढ़ा दिया, और श्रद्धालुओं ने भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने की कामना की।

मुरादाबाद में बैंक लॉकर से 30 लाख के जेवरात चोरी: फिल्मी अंदाज में हुआ खुलासा

लॉकर में रखे जेवरात गायब, ग्राहक के उड़े होश

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। मझोला थाना इलाके के दिल्ली रोड पर स्थित आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में एक ग्राहक के करीब 30 लाख रुपये की कीमत के जेवरात लॉकर से रहस्यमय तरीके से गायब हो गए। ग्राहक ने अपनी जिंदगी की जमा-पूंजी को सुरक्षित रखने के लिए बैंक के लॉकर का सहारा लिया था, यह सोचकर कि वहां उनके गहने पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे। लेकिन जब उसे पता चला कि उसके जेवरात लॉकर से गायब हैं, तो उसके होश उड़ गए। इस घटना ने न केवल ग्राहक को झकझोर दिया, बल्कि बैंक की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए।

ग्राहक ने बैंक में 3 लाख रुपये का लोन लिया था और इसके बदले 365.53 ग्राम सोना लॉकर में गिरवी रखा था। यह सोना उसकी जिंदगी की धरोहर था, जिसे उसने बड़े जतन से सहेजा था। लेकिन जब वह अपने गहनों की स्थिति जानने बैंक पहुंचा, तो उसे लॉकर खाली मिला। इस खुलासे के बाद बैंक परिसर में हंगामा मच गया। ग्राहक ने तुरंत पुलिस को सूचना दी, और मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई।

बैंक मैनेजर ने दर्ज कराई शिकायत, दो कर्मचारी निशाने पर

जांच-पड़ताल शुरू होने के बाद मामला और भी पेचीदा हो गया। बैंक मैनेजर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई की और अपने ही दो कर्मचारियों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। प्रारंभिक जांच में पता चला कि लॉकर से जेवरात गायब होने के पीछे बैंक के ही कुछ कर्मचारियों का हाथ हो सकता है। पुलिस ने दोनों कर्मचारियों से पूछताछ शुरू की, और मामला धीरे-धीरे सुलझने लगा। यह खुलासा बैंक के ग्राहकों के लिए और भी चौंकाने वाला था, क्योंकि जिन कर्मचारियों पर वे भरोसा करते थे, वही इस चोरी में शामिल हो सकते थे।

पुलिस ने बैंक के सीसीटीवी फुटेज और अन्य सबूतों की जांच शुरू की। साथ ही, लॉकर की सुरक्षा प्रणाली की भी गहन छानबीन की जा रही है। यह सवाल उठ रहा है कि आखिर इतनी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद जेवरात कैसे गायब हो गए। क्या यह चोरी सुनियोजित थी, या फिर इसमें किसी तरह की सेंधमारी हुई? पुलिस इस मामले को हर कोण से जांच रही है।

सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल, ग्राहकों में दहशत

इस घटना ने न केवल बैंक की साख को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि उन तमाम ग्राहकों में दहशत पैदा कर दी है, जो अपने कीमती सामान को सुरक्षित रखने के लिए बैंकों के लॉकर पर निर्भर हैं। मुरादाबाद के इस मामले ने पूरे देश में बैंक लॉकरों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोग अब यह सोचने पर मजबूर हैं कि अगर बैंक जैसे सुरक्षित स्थान में भी उनकी संपत्ति सुरक्षित नहीं है, तो फिर वे भरोसा कहां करें।

पुलिस ने आश्वासन दिया है कि इस मामले की तह तक जाएगी और दोषियों को सजा दिलवाएगी। साथ ही, बैंक प्रबंधन ने भी ग्राहक को भरोसा दिलाया है कि उनकी हानि की भरपाई की जाएगी। लेकिन इस घटना ने एक बार फिर बैंकों की जवाबदेही और सुरक्षा प्रणाली पर सवाल उठाए हैं। यह मामला अभी जांच के दायरे में है, और जल्द ही इसके पूरे सच का खुलासा होने की उम्मीद है।