Ameen Jaspuri Best Ghazal: खुली है पलक और सोती है आंखें…

ना आंचल न तकिया भिगोती है आंखें
बड़ी एहतियातों से रोती हैं आंखें

कभी दिल में नश्तर चुभोती है आंखें
कभी मिशले मरहम भी होती हैं आंखें

रवा रंजिशो में तो आंसू है लेकिन
खुशी में भी मोती पिरोती है आंखें

ताल्लुक नहीं है कोई जिन गमों से
कभी उन गमों पर भी रोती है आंखें

यह क्या मरहला जात का आ गया है
खुली है पलक और सोती है आंखें

अमीन जसपुरी

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