इलाहाबाद हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी: आदेश का पालन न करने पर जिलाधिकारी मुरादाबाद से मांगा व्यक्तिगत हलफनामा

मो0 शाकिर सिद्दीकी एडवोकेट हाईकोर्ट इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट की पीठ ने गैंगस्टर एक्ट से जुड़े एक मामले में प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने टिप्पणी की कि निचली अदालत के आदेश के बावजूद आरोपी की जब्त संपत्ति वापस नहीं की गई, जो न्यायालय के निर्देशों का खुला उल्लंघन है। यह मामला रहीश उर्फ रईस प्रधान बनाम उत्तर प्रदेश राज्य से संबंधित है। हाईकोर्ट ने इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए मुरादाबाद के जिलाधिकारी को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।

संपत्ति वापसी में देरी: कोर्ट का आदेश अनुपालन में लापरवाही

रहीश उर्फ रईस प्रधान के मामले में निचली अदालत ने 21 दिसंबर 2023 को महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था। अदालत ने आरोपी को गैंगस्टर एक्ट के तहत लगाए गए सभी आरोपों से बरी कर दिया और उसकी जब्त की गई चल व अचल संपत्ति को तत्काल वापस करने का निर्देश दिया। हालांकि, हाईकोर्ट ने पाया कि लगभग दो वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रशासन ने इस आदेश का पालन नहीं किया। इस देरी के कारण आरोपी को अनुचित आर्थिक और मानसिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। कोर्ट ने इसे न्यायिक प्रक्रिया के प्रति उदासीनता का प्रतीक माना।

माननीय न्यायमूर्ति मनोज बजाज ने कहा

“एक बार जब आरोपी को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है, तो उसकी संपत्ति लौटाने में कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए। केवल अपील लंबित होने से उस आदेश के अनुपालन में बाधा नहीं आ सकती।”

जिलाधिकारी को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश

हाईकोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए मुरादाबाद के जिलाधिकारी को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। उन्हें स्पष्ट करना होगा कि 21 दिसंबर 2023 के आदेश का पालन अब तक क्यों नहीं किया गया। साथ ही, कोर्ट ने यह भी पूछा है कि संबंधित अधिकारियों की तनख्वाह से क्षतिपूर्ति राशि वसूल कर पीड़ित को नुकसान की भरपाई क्यों न की जाए। इस मामले की अगली सुनवाई 19 अगस्त 2025 को निर्धारित की गई है। हाईकोर्ट ने चेतावनी दी है कि आदेश का पालन न करने पर कठोर कदम उठाए जा सकते हैं।

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