उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के पाकबड़ा थाना क्षेत्र में रहने वाले यूट्यूबर मोहम्मद आमिर को पुलिस ने 25 जुलाई 2025 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। आमिर पर अपने यूट्यूब चैनल ‘TRT’ के माध्यम से साधु-संतों और देवी-देवताओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां करने और समाज में घृणा फैलाने का आरोप है। एक वायरल वीडियो में आमिर साधु के भेष में भद्दी गालियां देता दिखाई दिया, जिसने स्थानीय समुदाय में आक्रोश पैदा किया। इस वीडियो के वायरल होने के बाद मुरादाबाद के निवासी अमन ठाकुर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर मुरादाबाद पुलिस से कार्रवाई की मांग की थी। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आमिर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 296 (अश्लील कृत्य) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप से आपत्तिजनक सामग्री प्रसारित करना) के तहत मुकदमा दर्ज किया। जांच में आरोप सही पाए गए, जिसके बाद आमिर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
सामाजिक और धार्मिक संदर्भ
यह मामला धार्मिक संवेदनशीलता से गहराई से जुड़ा है। आमिर के वीडियो में साधु-संतों और देवी-देवताओं का अपमान किया गया, जिससे स्थानीय समुदाय में तीव्र आक्रोश फैल गया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कई यूजर्स ने मुरादाबाद पुलिस की त्वरित कार्रवाई की सराहना की, लेकिन साथ ही यह भी मांग की कि इस तरह के भड़काऊ और आपत्तिजनक कंटेंट को रोकने के लिए और सख्त कदम उठाए जाएं। उत्तर प्रदेश में सोशल मीडिया पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले कंटेंट के खिलाफ पुलिस का अभियान तेज है। हाल ही में मेरठ में 40 सोशल मीडिया अकाउंट्स के खिलाफ कार्रवाई इसका उदाहरण है। इस तरह की घटनाएं समाज में तनाव और विभाजन को बढ़ावा दे सकती हैं, जिसके चलते प्रशासन और पुलिस ऐसे मामलों को गंभीरता से ले रहे हैं।
कानूनी और सामाजिक प्रभाव
मोहम्मद आमिर की गिरफ्तारी ने सोशल मीडिया पर कंटेंट निर्माण और उसकी जिम्मेदारी को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के साथ, इस तरह के मामलों में कानूनी कार्रवाई और जागरूकता दोनों की जरूरत है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाल के महीनों में ऐसे कई मामलों में त्वरित कार्रवाई की है, जिससे यह संदेश गया है कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले कंटेंट को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। X पर कई यूजर्स ने मांग की है कि यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स को भी ऐसी सामग्री की निगरानी के लिए और सख्त नीतियां लागू करनी चाहिए। इस घटना ने एक बार फिर सोशल मीडिया के दुरुपयोग और उससे उत्पन्न होने वाली सामाजिक चुनौतियों को उजागर किया है।