भारतीय क्रिकेट टीम की तरफ से 12 वनडे और 3 T20 मैच खेलने वाले मनोज तिवारी ने रणजी ट्रॉफी में बंगाल के लिए फाइनल मैच के एक दिन बाद संन्यास की घोषणा कर दी मनोज तिवारी ने भारत के लिए 2008 में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेला था संन्यास की घोषणा करने के बाद मनोज तिवारी ने बम फोड़ दिया।

मनोज तिवारी ने 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना पहला एकदिवसीय क्रिकेट मैच खेला था उन्होंने 11 दिसंबर 2011 में चेन्नई में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना पहला एक दिवसीय शतक लगाया था उसे मैच में मनोज तिवारी को प्लेयर ऑफ द मैच दिया गया था जुलाई 2012 में श्रीलंका के खिलाफ उन्हें टीम का हिस्सा नहीं बनाया गया और प्लेइंग 11 से बाहर कर दिया गया अब संन्यास के बाद मनोज तिवारी ने टीम से बाहर करने और उनका करियर खत्म करने को लेकर एक बम फोड़ दिया।
मनोज तिवारी ने फोड़ा बम बताई पूरी कहानी
मनोज तिवारी ने इंटरव्यू के दौरान कहां की मैं 65 प्रथम श्रेणी मैच खेले तब मेरा बल्लेबाजी हो साथ लगभग 65 के आसपास था तब ऑस्ट्रेलिया की टीम ने भारत का दौरा किया था मैं चेन्नई में फिर मैं इंग्लैंड खिलाफ एक मैच में 93 रन बनाए में टेस्ट के कैप हासिल करने के करीब था लेकिन मेरी जगह युवराज सिंह को चुना गया इसलिए टेस्ट कैप मुझे नहीं मिल सकी इतना ही नहीं एक दिवसीय मैच में मैन ऑफ द मैच मिलने के बाद भी मुझे नजर अंदाज कर दिया गया मुझे लगातार 14 मैच तक नजर अंदाज किया गया जब आत्मविश्वास अपने चरम पर होता है और कोई उसे नष्ट कर देता है तो वह खिलाड़ी समाप्त हो जाता है।
धोनी को लेकर बोले मनोज तिवारी

इंटरव्यू के दौरान पत्रकार ने मनोज तिवारी से सवाल पूछा उसे समय टीम का कप्तान कौन था तो उन्होंने जवाब दिया महेंद्र सिंह धोनी उससे मैं टीम के कप्तान थे पत्रकार ने कहा अगर मुझे महेंद्र सिंह धोनी से सवाल पूछने का मौका मिला तो मैं उनसे यह सवाल जरूर मालूम करूंगा की मनोज तिवारी को शतक बनाने के बावजूद भी टीम से बाहर क्यों किया गया खास करके ऑस्ट्रेलिया के उसे दौर में जहां कोई भी बल्लेबाज रन नहीं बना रहा था मैं तो विराट कोहली ने सुरेश रैना ना रोहित शर्मा अब मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं है धोनी और मनोज तिवारी आईपीएल में एक टीम के लिए खेल चुके हैं।