जिलाधिकारी के निर्देश पर नगर पालिका सीमा के अंतर्गत ग्राम समाज की भूमि पर किए गए अवैध कब्जों को हटाने के लिए शनिवार को एक बड़ी कार्रवाई अमल में लाई गई। प्रशासन ने बार-बार चेतावनी देने के बावजूद अवैध कब्जाधारियों द्वारा कब्जा नहीं हटाए जाने पर कड़ी कार्रवाई करते हुए करोड़ों रुपये की सरकारी भूमि पर बनी दुकानों को जेसीबी मशीनों की सहायता से ध्वस्त कर दिया। इस कार्रवाई से नगर में हड़कंप मच गया, और अवैध निर्माणों के खिलाफ प्रशासन की सख्ती का संदेश स्पष्ट हो गया।
कदीर तिराहा पर अवैध दुकानों पर चला बुलडोजर
नगर के कदीर तिराहा क्षेत्र में ग्राम समाज की करोड़ों रुपये की कीमती भूमि पर कुछ लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर दुकानों का निर्माण कर लिया था। जिला अधिकारी के स्पष्ट आदेश पर एसडीएम प्रीति सिंह के नेतृत्व में प्रशासनिक टीम ने इस सरकारी संपत्ति को कब्जामुक्त करने का अभियान शुरू किया। जानकारी के अनुसार, अवैध कब्जाधारियों को पहले ही नोटिस जारी कर कब्जा हटाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन उनकी ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
शनिवार दोपहर बाद एसडीएम प्रीति सिंह, नायब तहसीलदार आदित्य कुमार, कोतवाली प्रभारी निरीक्षक जसपाल सिंह ग्वाल, उपनिरीक्षक बलराम सिंह दीक्षित, क्राइम इंस्पेक्टर संजय शुक्ला, नगर पालिका के बड़े बाबू विजयपाल सिंह, दीपक कुमार, अर्जुन सहित अन्य कर्मचारियों की मौजूदगी में जेसीबी मशीनों के साथ मौके पर पहुंचकर अवैध निर्माणों को ध्वस्त करना शुरू किया गया।
इस दौरान हाजी मुख्तियार सैफी और समीर सैफी ने दुकानों को अपनी निजी भूमि पर निर्मित बताकर विरोध जताया। उन्होंने वर्ष 2005 का एक स्थानांतरण आदेश दिखाने का प्रयास भी किया, लेकिन अधिकारियों ने इसे यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि सरकारी भूमि पर कोई स्थानांतरण आदेश मान्य नहीं है। देखते ही देखते उनकी दुकानों को ध्वस्त कर दिया गया। इसके बाद पास ही में हाजी उस्मान ऐसी की चार दुकानों को भी जेसीबी से तोड़ दिया गया।
कब्जाधारियों ने लगाया गैरकानूनी कार्रवाई का आरोप
हाजी मुख्तियार सैफी और समीर सैफी ने कार्रवाई को गैरकानूनी करार देते हुए दावा किया कि उक्त दुकानें उनकी निजी भूमि पर बनी थीं। उनका कहना है कि प्रशासन ने बिना किसी पूर्व सूचना या वैधानिक प्रक्रिया का पालन किए उनकी दुकानों को तोड़ दिया। उन्होंने भूमि के दस्तावेज और स्थानांतरण आदेश की कॉपी दिखाने की कोशिश की, लेकिन अधिकारियों ने इसे स्वीकार नहीं किया। कब्जाधारियों ने कहा कि वे इस मामले में उच्च अधिकारियों से संपर्क करेंगे और अपनी बात रखेंगे। इस कार्रवाई ने स्थानीय लोगों में चर्चा का विषय बना दिया है, और कई लोग प्रशासन की इस सख्ती को सरकारी संपत्ति की रक्षा के लिए जरूरी बता रहे हैं, जबकि कुछ इसे एकतरफा कार्रवाई मान रहे हैं।