एक ऐसी लड़की, जिसके लिए परफेक्शन था सब कुछ,बोल्ड सीन और सेक्स सिंबल का तमगा

कहानी है एक ऐसी लड़की की, जिसके लिए हर काम में परफेक्शन जरूरी था। ना कोई काम औसत करना था, ना ही खुद को औसत बनने देना था। पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहने वाली, साइंस की शौकीन, और माइक्रोबायोलॉजी में डिग्री हासिल करने वाली इस लड़की का ग्लैमर की चकाचौंध और फिल्मी दुनिया से कोई लेना-देना नहीं था। फिर भी, किस्मत ने ऐसा खेल खेला कि उसे बैठे-बिठाए फिल्म का ऑफर मिल गया। उसने साउथ के एक बड़े स्टार के साथ काम करने से इंकार कर दिया, क्योंकि उसे एवरेज नहीं बनना था। लेकिन, जैसा कि किस्मत को मंजूर होता है, वह घूम-फिरकर इंडस्ट्री में आ ही गई। आज वह बंगाली, तमिल, तेलुगु और हिंदी इंडस्ट्री में एक जाना-माना चेहरा है। ओटीटी की दुनिया में ‘आश्रम’ सीरीज में उनके बबीता के किरदार ने उन्हें ऐसी शोहरत दी कि लोग उन्हें उनके असली नाम से कम और किरदार के नाम से ज्यादा जानते हैं।

बोल्ड सीन और सेक्स सिंबल का तमगा

टीवी के बाद उन्होंने ओटीटी की दुनिया में कदम रखा। उनकी पहली मिनी सीरीज थी विक्रम भट्ट की ‘स्पॉटलाइट’। जहां टीवी सीरियल ‘दहलीज’ में वह एक साधारण लड़की का किरदार निभा रही थीं, वहीं ‘स्पॉटलाइट’ में उनका रोल काफी बोल्ड था। कहानी की मांग थी कि किरदार में ग्लैमर और बोल्डनेस हो, लेकिन लोगों का ध्यान उनकी एक्टिंग से ज्यादा उन बोल्ड सीन पर गया। दुर्भाग्यवश, उस सीरीज के कुछ क्लिप्स को एडल्ट साइट्स पर अपलोड कर दिया गया, जिसके बाद उन्हें सेक्स सिंबल का तमगा मिल गया। वह कहती हैं, “लोग ये नहीं समझते कि मैं सिर्फ एक किरदार निभा रही हूं। मेरे को-एक्टर के लिए मेरे मन में कोई फीलिंग्स नहीं होतीं। जैसे फाइट सीन में पंच असली नहीं होता, वैसे ही बोल्ड सीन भी सिर्फ अभिनय का हिस्सा हैं। अगर हीरोइन को बैकलेस दिखाया जाता है, तो इसका मतलब ये नहीं कि वो बिना कपड़ों के है। हम तब भी पूरी तरह कपड़ों में होते हैं।” इन विवादों के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और अपने काम पर फोकस बनाए रखा।

‘आश्रम’ ने बदली जिंदगी, अब लोग कहते हैं ‘जपनाम’

‘स्पॉटलाइट’ के बाद उन्होंने कई और सीरीज में काम किया, लेकिन असली पहचान उन्हें ‘आश्रम’ और ‘बंदिश बैंडिट्स’ से मिली। प्रकाश झा की ‘आश्रम’ के लिए उन्होंने ऑडिशन तक नहीं दिया था। मजेदार बात यह है कि यह रोल उन्हें एक ग्रॉसरी स्टोर में शॉपिंग करते वक्त मिला। प्रकाश झा की असिस्टेंट माधवी ने उन्हें देखा और कहा कि उनके पास एक रोल है। इसके बाद उनकी टीम ने कॉल किया और बबीता का किरदार उनके हाथ लग गया। इस शो ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया। वह कहती हैं, “लोग मुझे अब त्रिधा से ज्यादा बबीता के नाम से जानते हैं। कहीं भी जाती हूं, लोग हाय-हैलो की जगह ‘जपनाम’ कहते हैं। एयरपोर्ट पर भी ऐसा ही होता है।” इस सीरीज ने न सिर्फ उनकी पहचान बदली, बल्कि उनके काम को भी गंभीरता से लिया जाने लगा। आज वह अपनी मेहनत और टैलेंट के दम पर इंडस्ट्री में एक अलग मुकाम हासिल कर चुकी हैं।

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