योगी की तारीफ बनी निष्कासन की वजह
लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कौशांबी की चायल सीट से विधायक पूजा पाल को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। यह कार्रवाई गुरुवार, 14 अगस्त 2025 को उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान हुई, जब पूजा पाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ की। पूजा ने ‘विजन डॉक्यूमेंट 2047’ पर चर्चा के दौरान योगी की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति की सराहना की और कहा कि उनके पति राजू पाल की हत्या के मामले में योगी ने उन्हें न्याय दिलाया। सपा ने इसे पार्टी विरोधी गतिविधि और अनुशासनहीनता मानते हुए तत्काल निष्कासन का फैसला लिया। यह कदम सपा के सख्त अनुशासन और राजनैतिक रणनीति को दर्शाता है, विशेष रूप से तब जब पार्टी 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारी कर रही है।
पूजा पाल का बयान और प्रतिक्रिया
निष्कासन के बाद पूजा पाल ने भावुक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “शायद आप प्रयागराज की उन महिलाओं की बात नहीं सुन पाए जो मुझसे भी ज्यादा परेशान थीं। मैं उनकी आवाज हूं, मुझे विधायक चुनकर विधानसभा भेजा गया है। मैं उन माताओं-बहनों की आवाज हूं जिन्होंने अपनों को खोया है।” पूजा ने अपने बयान पर कायम रहते हुए कहा, “प्रयागराज में अतीक अहमद के कारण परेशान सभी लोगों को सीएम ने न्याय दिलाया, सिर्फ पूजा पाल को नहीं। मैं ये बात पहले दिन से कह रही हूं। मैं विधायक बाद में बनी, लेकिन मैं पहले एक पीड़ित महिला हूं, एक पत्नी हूं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि वह अपने बयान पर अडिग हैं और पीड़ितों की आवाज उठाती रहेंगी।
सपा की रणनीति और आंतरिक कलह
पूजा पाल का निष्कासन सपा की आंतरिक एकता पर सवाल उठाता है। इससे पहले भी पूजा ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग कर सपा के लिए असहज स्थिति पैदा की थी। पार्टी सूत्रों के अनुसार, अखिलेश यादव इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं करना चाहते, क्योंकि वे पार्टी को एकजुट और अनुशासित रखना चाहते हैं। सपा का पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूला उनकी प्रमुख रणनीति है, लेकिन पूजा ने इस पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि वह स्वयं पिछड़े समुदाय से हैं, फिर भी उनकी आवाज को अनसुना किया गया। यह विवाद सपा के लिए चुनौती बन सकता है, क्योंकि विपक्षी दल इस स्थिति का फायदा उठा सकते हैं।
राजनीतिक हलचल और भविष्य की संभावनाएं
पूजा पाल के निष्कासन ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सपा की इस कार्रवाई को निंदनीय बताया और इसे पार्टी की असहिष्णुता का प्रतीक करार दिया। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पूजा पाल अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) या अन्य विपक्षी दलों के साथ जा सकती हैं। उनके बयानों से स्पष्ट है कि वह अपने क्षेत्र में पीड़ितों की आवाज उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह घटना सपा के लिए नुकसानदेह हो सकती है, क्योंकि पूजा का प्रभाव कौशांबी और प्रयागराज के कुछ हिस्सों में मजबूत माना जाता है। दूसरी ओर, सपा का यह कदम अन्य नेताओं के लिए संदेश है कि पार्टी अनुशासन से समझौता नहीं करेगी।