केंद्र सरकार की कैबिनेट ने शुक्रवार को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 12,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी को मंजूरी दी है। यह योजना गरीब और वंचित परिवारों को स्वच्छ और किफायती रसोई गैस कनेक्शन प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी। इस सब्सिडी का उद्देश्य घरेलू रसोई गैस की कीमतों को कम रखते हुए ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सस्ता और पर्यावरण-अनुकूल ईंधन उपलब्ध कराना है। पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस योजना के तहत लाखों परिवारों को लाभ मिलेगा, जिससे उनकी जीवनशैली में सुधार होगा और वे पारंपरिक ईंधनों जैसे लकड़ी और कोयले पर निर्भरता कम कर सकेंगे। यह कदम न केवल स्वच्छता को बढ़ावा देगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देगा। सरकार का लक्ष्य है कि इस योजना के माध्यम से देश के हर कोने में स्वच्छ ईंधन की पहुंच सुनिश्चित हो।
तकनीकी शिक्षा में सुधार के लिए कैबिनेट का महत्वपूर्ण फैसला
केंद्र सरकार ने तकनीकी शिक्षा को सशक्त बनाने के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि मल्टीडिसिप्लिनरी एजुकेशन और रिसर्च इंप्रूवमेंट स्कीम के तहत 275 तकनीकी संस्थानों को शामिल किया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना और छात्रों को आधुनिक तकनीकों से लैस करना है। यह कदम देश में नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है। इन संस्थानों को आधुनिक सुविधाओं और संसाधनों से लैस किया जाएगा, ताकि वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सकें। यह पहल न केवल शिक्षा क्षेत्र में सुधार लाएगी, बल्कि युवाओं को रोजगार के नए अवसर भी प्रदान करेगी।
तेल कंपनियों को 30,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी मंजूर
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को राज्य संचालित तेल कंपनियों- इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड को एलपीजी पर हुए नुकसान की भरपाई के लिए 30,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी को मंजूरी दी। पिछले 15 महीनों से इन कंपनियों ने एलपीजी को लागत से कम कीमत पर बेचा, जिसके कारण उन्हें भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा। सरकारी बयान के अनुसार, यह सब्सिडी 12 किस्तों में तेल विपणन कंपनियों को प्रदान की जाएगी। वर्ष 2024-25 के दौरान अंतर्राष्ट्रीय एलपीजी कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया, लेकिन उपभोक्ताओं को इस वृद्धि का बोझ नहीं उठाना पड़ा। सरकार ने कीमतों को स्थिर रखने के लिए यह कदम उठाया, जिससे आम जनता को राहत मिली। इस सब्सिडी से तेल कंपनियों की वित्तीय स्थिति में सुधार होगा और वे अपनी सेवाओं को और बेहतर ढंग से प्रदान कर सकेंगी।