उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के लुहारी गांव में एक ऐसी घटना ने सबको हिलाकर रख दिया, जो इंसानियत पर सवाल उठाती है। एक बेटी, शिवानी, जिसने अपने प्यार को जिंदगी का आधार बनाया, उसी प्यार की वजह से अपने परिवार के हाथों मारी गई। यह कहानी न सिर्फ एक प्रेमी जोड़े की है, बल्कि समाज की उन रूढ़ियों की भी है, जो आज भी इंसान से ज्यादा जाति और इज्जत को तवज्जो देती हैं।
प्रेम की कीमत चुकानी पड़ी जान देकर
शिवानी का दिल पड़ोसी युवक अंकित प्रजापति पर आ गया था। दोनों ने कोर्ट मैरिज का सपना देखा, लेकिन यह सपना उनके लिए काल बन गया। शिवानी के पिता संजीव, मां, भाई रवि और फुफेरी बहन को यह रिश्ता मंजूर नहीं था। वजह? अंकित दूसरी जाति का था। गांव में पहले से ही दोनों के प्रेम की चर्चाएं थीं, और परिवार को लगता था कि यह रिश्ता उनकी “इज्जत” को मिट्टी में मिला देगा। एक रात, जब शिवानी ने कोर्ट मैरिज की जिद की, गुस्से में आकर परिवार ने उसकी जिंदगी ही छीन ली।
हत्या की साजिश और क्रूरता की हद
पुलिस पूछताछ में संजीव ने बताया कि उस रात शिवानी को पहले बुरी तरह पीटा गया। फिर, चारों ने मिलकर उसका गला दबा दिया। संजीव और उसकी पत्नी ने शिवानी के हाथ-पैर पकड़े, जबकि रवि ने उसकी जान ले ली। हत्या के बाद, परिवार ने सबूत मिटाने की ठानी। शव को जलाया गया, और राख को यमुना नदी में बहा दिया। हैरानी की बात यह है कि हत्या के बाद चारों आरोपी शव के पास एक घंटे तक बैठे रहे, मानो यह कोई सामान्य बात हो।
गांव की बातें और परिवार का दबाव
शिवानी और अंकित के रिश्ते की खबर गांव में डेढ़ साल से फैली थी। गांववाले ताने मारते थे, और परिवार को लगता था कि उनकी बदनामी हो रही है। शिवानी की जिद और अंकित से उसकी लगातार बातचीत ने घर में तनाव बढ़ा दिया। कई बार झगड़े हुए, मारपीट तक बात पहुंची, लेकिन शिवानी अपने फैसले पर अडिग रही। वह बार-बार कहती थी कि वह अंकित से ही शादी करेगी। यह जिद उसके लिए मौत का कारण बन गई।
प्रेमी अंकित की जान पर खतरा
शिवानी की हत्या के बाद अंकित डर के साये में जी रहा है। उसने एक वीडियो जारी कर अपनी जान को खतरा बताया। “मुझे भी मार सकते हैं,” उसने कहा, “और अगर ऐसा हुआ तो इसके जिम्मेदार शिवानी का परिवार होगा।” अंकित की यह अपील न सिर्फ उसकी बेबसी दिखाती है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि क्या प्यार करना आज भी इतना बड़ा गुनाह है?
समाज के लिए एक सबक
यह घटना सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं है। यह उन सामाजिक बेड़ियों की सच्चाई है, जो आज भी प्रेम को जाति और इज्जत की भेंट चढ़ा देती हैं।