दक्षिण-पूर्व दिल्ली के जैतपुर इलाके में हरिनगर पार्ट-2 में शनिवार सुबह बारिश के दौरान एक भीषण हादसा हो गया। यहां एक समाधि स्थल की ऊंची दीवार अचानक ढह गई और पास के खाली प्लॉट में बनी झुग्गियों पर जा गिरी। दीवार के गिरते ही इलाके में अफरा-तफरी मच गई। स्थानीय लोगों ने शोर-शराबे के बीच तुरंत मदद शुरू की और पुलिस व दमकल विभाग को सूचना दी। पुलिस और स्थानीय लोगों की मदद से मलबे में दबे आठ लोगों को तत्काल एम्स ट्रॉमा सेंटर और सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया। दुखद रूप से, दो मासूम बच्चियों समेत सात लोगों को मृत घोषित कर दिया गया। एक अन्य युवक की हालत गंभीर बनी हुई है, और उसका इलाज चल रहा है। हादसे की खबर मिलते ही दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया।
बचाव कार्य में तेजी, पुलिस ने शुरू की जांच
हादसे के बाद बचाव कार्य में तेजी लाई गई। दमकल विभाग की आठ गाड़ियां, एनडीआरएफ, नगर निगम, एंबुलेंस और अन्य बचाव दलों ने तुरंत मोर्चा संभाला। दोपहर बाद तक बचाव कार्य जारी रहा। पुलिस ने शुरुआती जांच के बाद लापरवाही से मौत और लापरवाही बरतकर चोट पहुंचाने का मामला दर्ज किया है। पुलिस ने स्थानीय लोगों के बयान दर्ज किए और मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। क्राइम टीम और फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की टीम ने मौके से साक्ष्य जुटाए। जांच में पता चला कि समाधि स्थल को मिट्टी का भराव करके बनाया गया था, जिसके कारण दीवार की नींव कमजोर हो गई थी। बारिश के पानी ने नींव को और कमजोर कर दिया, जिससे बिना पिलर की ऊंची दीवार अचानक ढह गई।
लापरवाही ने छीनीं सात जिंदगियां
यह हादसा लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण है। जांच में सामने आया कि समाधि स्थल की दीवार बिना मजबूत नींव और पिलर के बनाई गई थी। खाली प्लॉट में बनी झुग्गियां गहराई में थीं, जिससे दीवार का दबाव बढ़ गया। बारिश के कारण नींव में पानी रिसने से दीवार की स्थिरता और कमजोर हो गई। इस हादसे ने न केवल सात जिंदगियां छीन लीं, बल्कि कई परिवारों को गहरे सदमे में डाल दिया। पुलिस अब इस मामले में जिम्मेदार लोगों की पहचान कर रही है और यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों। स्थानीय लोग भी प्रशासन से ऐसी जगहों पर सुरक्षा मानकों को लागू करने की मांग कर रहे हैं।