सांसद अफजाल अंसारी ने NH-31 को फोरलेन बनाने की उठाई मांग, नितिन गडकरी से करी मुलाकात

गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी ने आज केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की और गाजीपुर-हाजीपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-31) को फोरलेन में तब्दील करने की मांग रखी। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने जोर देकर कहा कि यह मार्ग पहले से ही नेशनल हाईवे के रूप में अधिसूचित है, जिसके कारण इसके लिए अतिरिक्त भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता नहीं होगी। यह कदम न केवल समय की बचत करेगा, बल्कि परियोजना की लागत को भी कम करेगा। सांसद ने बताया कि इस मार्ग के फोरलेन होने से उत्तर प्रदेश और बिहार के बीच आवागमन सुगम होगा, जिससे व्यापार, यात्रा और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।

अफजाल अंसारी ने केंद्रीय मंत्री को यह भी अवगत कराया कि NH-31 पूर्वांचल और बिहार के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इस मार्ग पर रोजाना भारी संख्या में वाहनों का आवागमन होता है, जिसके कारण अक्सर जाम की स्थिति बनती है। फोरलेन निर्माण से न केवल यातायात की भीड़ कम होगी, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी। उन्होंने गडकरी से इस परियोजना को प्राथमिकता देने का अनुरोध किया ताकि क्षेत्र के लोगों को जल्द से जल्द इसका लाभ मिल सके।

पूर्वांचल की आवाज़: अफजाल अंसारी का जनहित में प्रयास

पूर्वांचल की सियासत में एक जाना-माना नाम, अफजाल अंसारी, जो स्वर्गीय मुख्तार अंसारी के बड़े भाई हैं, हमेशा से जनता के मुद्दों को लेकर मुखर रहे हैं। गाजीपुर से सांसद के रूप में, वह क्षेत्र के विकास और लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए लगातार प्रयासरत रहते हैं। NH-31 को फोरलेन बनाने की उनकी मांग भी इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पहल से न केवल गाजीपुर, बल्कि आसपास के जिलों जैसे बलिया, मऊ और बिहार के हाजीपुर, पटना जैसे क्षेत्रों के लोगों को भी लाभ होगा।

अफजाल अंसारी ने अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को समझते हुए इस मुद्दे को केंद्रीय स्तर पर उठाया है। उनके इस प्रयास से स्थानीय लोगों में उम्मीद जगी है कि जल्द ही उन्हें बेहतर सड़क सुविधाएं मिलेंगी। यह मार्ग न केवल आम लोगों के लिए, बल्कि व्यापारियों और उद्यमियों के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पूर्वांचल को बिहार और अन्य राज्यों से जोड़ता है।

क्षेत्रीय विकास और भविष्य की संभावनाएं

NH-31 के फोरलेन होने से उत्तर प्रदेश और बिहार के बीच आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। यह मार्ग पूर्वांचल के कई जिलों को जोड़ता है और इसका उन्नयन क्षेत्र में निवेश और पर्यटन को भी प्रोत्साहित करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि बेहतर सड़क संपर्क से स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने में आसानी होगी। इसके अलावा, इस परियोजना से रोजगार सृजन के नए अवसर भी पैदा होंगे।

सांसद अफजाल अंसारी ने इस मुलाकात में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से यह भी अनुरोध किया कि परियोजना को जल्द से जल्द शुरू करने के लिए आवश्यक बजट और संसाधन उपलब्ध कराए जाएं। गडकरी ने इस प्रस्ताव पर सकारात्मक रुख दिखाया और आश्वासन दिया कि इस मांग पर विचार किया जाएगा। स्थानीय लोग अब इस परियोजना के जल्द शुरू होने की उम्मीद कर रहे हैं, ताकि वे वर्षों से चली आ रही यातायात समस्याओं से निजात पा सकें।

ब्लैकमेलिंग का जाल: हाय-हेलो से शुरू, वसूली पर खत्म

सिविल लाइंस पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो सोशल मीडिया और वॉट्सएप का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी और ब्लैकमेलिंग का जाल बुनता था। यह गिरोह खास तौर पर 40 साल से अधिक उम्र के संपन्न व्यक्तियों को निशाना बनाता था। गिरोह की महिलाएं वॉट्सएप पर ‘हाय’ का मैसेज भेजकर शिकार को फंसाने की शुरुआत करती थीं। जवाब मिलने पर कुछ घंटों तक कोई प्रतिक्रिया नहीं देतीं और फिर ‘गलती से मैसेज’ होने का बहाना बनाकर बातचीत शुरू करती थीं। धीरे-धीरे बात को अपने एजेंडे पर लाकर वे व्यक्ति को अकेले में मुलाकात का लालच देती थीं। मुलाकात के दौरान पहले से मौजूद गिरोह की पूरी टीम अपनी भूमिका निभाती थी। जैसे ही वीडियो बन जाता, ब्लैकमेलिंग का खेल शुरू हो जाता। चारों तरफ से फंसा व्यक्ति रुपये देने के अलावा और कोई रास्ता नहीं देख पाता था।

रेकी से शुरू होता था शिकार का चयन

गिरोह का पहला कदम था रेकी के जरिए ऐसे व्यक्ति की तलाश करना, जो 40 साल से अधिक उम्र का हो और आर्थिक रूप से सक्षम हो। पुरुष सदस्यों की जिम्मेदारी थी कि वे ऐसे व्यक्तियों को चिह्नित करें, जो महिलाओं से बात करने में रुचि रखते हों। खासकर उन लोगों को निशाना बनाया जाता था, जो किसी सरकारी विभाग में नौकरी करते हों, जिनकी पत्नी न हो या जो सेवानिवृत्त हो चुके हों। दीवान का बाजार निवासी महक उर्फ फरीदा (35 वर्ष) और गुलाबराय का बाग निवासी रानी (28 वर्ष) इस गिरोह की मुख्य महिला सदस्य थीं। अन्य सदस्यों में एकता कॉलोनी निवासी राहुल शर्मा, चंदनपुर इशापुर मूंढापांडे निवासी राधेश्याम, सोनू शर्मा और अमन शामिल थे। सभी की भूमिकाएं पहले से तय थीं।

उम्र का खेल और वसूली का जाल

महक की उम्र 35 वर्ष होने के कारण युवा पुरुष उसके झांसे में कम आते थे। वहीं, रानी की उम्र 28 वर्ष होने के चलते लोग उसके प्रति जल्दी आकर्षित हो जाते थे। वॉट्सएप पर बातचीत का जिम्मा महक संभालती थी, लेकिन जब चेहरा दिखाने या मुलाकात की बारी आती, तो रानी को आगे कर दिया जाता। पुलिस के अनुसार, गिरोह ‘हाय-हेलो’ के मैसेज के बाद महज पांच दिनों के भीतर शिकार को अपने जाल में फंसा लेता था। मुलाकात के दौरान बनाए गए वीडियो के आधार पर ब्लैकमेलिंग शुरू होती, और पीड़ित को भारी रकम चुकानी पड़ती। सिविल लाइंस पुलिस ने इस गिरोह के सभी सदस्यों को हिरासत में ले लिया है और मामले की गहन जांच कर रही है।

मौलाना महमूद मदनी के डिनर में शामिल हुए विपक्षी सांसद, फिलिस्तीन और असम पर चर्चा गरमाई

नई दिल्ली की सर्द शाम में, शांगरी-ला होटल का माहौल गंभीर चर्चाओं और एकजुटता के संदेशों से गूंज उठा। जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी के निमंत्रण पर विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद एक मंच पर इकट्ठा हुए। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), बीजू जनता दल (बीजेडी), द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), और ऑल इंडिया मुस्लिम लीग जैसे दलों के प्रमुख नेताओं ने इस रात्रिभोज में हिस्सा लिया।

यह आयोजन केवल एक औपचारिक मुलाकात नहीं था, बल्कि देश और दुनिया के जलते मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श का अवसर था। मौलाना मदनी ने अपने स्वागत भाषण में सामाजिक एकता और राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विभिन्न विचारधाराओं के बीच संवाद ही देश को मजबूत बना सकता है।

फलस्तीन मुद्दे पर तीखी आलोचना

आयोजन में फलस्तीन के मुद्दे पर भारत सरकार की नीति की कड़ी आलोचना हुई। मौलाना मदनी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत की मौजूदा विदेश नीति देश के ऐतिहासिक और नैतिक मूल्यों के खिलाफ है। “फलस्तीन का मुद्दा अब सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि मानवता का सवाल बन चुका है,” उन्होंने जोर देकर कहा। उन्होंने तर्क दिया कि भारत का मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले समूहों के साथ खड़ा होना वैश्विक मंच पर देश की साख को नुकसान पहुंचा रहा है।

इस मुद्दे पर सांसदों ने एकजुट होकर आवाज उठाने की प्रतिबद्धता जताई। टीएमसी और डीएमके के नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि भारत को अपनी विदेश नीति में नैतिकता और मानवता को प्राथमिकता देनी चाहिए। समाजवादी पार्टी के एक सांसद ने सुझाव दिया कि भारत को संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर फलस्तीन के हक में मजबूत रुख अपनाना चाहिए।

एकजुटता और भविष्य की दिशा

रात्रिभोज में नेताओं ने न केवल फलस्तीन जैसे वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक एकता और समावेशी विकास जैसे विषयों पर भी विचार साझा किए। मौलाना मदनी ने प्रस्ताव रखा कि इस तरह के आयोजन नियमित रूप से हों, ताकि विभिन्न दलों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा मिले। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार कर राष्ट्रीय और वैश्विक हितों के लिए एकजुट होने का प्रतीक है।

रात्रिभोज के अंत में, नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने सामाजिक एकता, मानवाधिकारों की रक्षा, और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई। इस आयोजन ने यह स्पष्ट किया कि संवाद और सहयोग से ही जटिल समस्याओं का समाधान संभव है।

इस डिनर में सपा के हरेंद्र मलिक, इकरा हसन, मोहिबुल्लाह नदवी, जिया उर रहमान बर्क मौजूद रहे. वहीं, कांग्रेस के इमरान मसूद, इमरान प्रतापगढ़ी, जावेद खान, एनसी के आगा रुहुल्ला मेहंदी,मियां अल्ताफ और चंद्रशेखर आजाद मौजूद रहे. इस मीटिंग में देश के मौजूदा हालात को लेकर चिंता जाहिर की गई. साथ ही मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा और नफरत की घटनाओं पर भी गंभीर चर्चा हुई. इस मौके पर मौलाना मदनी ने कहा कि यह वक्त एकजुट होकर मुस्लिम समाज की आवाज को मजबूत करने का है.

ठाकुरद्वारा में ड्रोन के दुरुपयोग पर प्रशासन सख्त, ड्रोन का उल्लंघन करने पर 5,00,000 का जुर्माना

पंडित अनिल शर्मा: मुरादाबाद जनपद के तहसील ठाकुरद्वारा में ड्रोन के माध्यम से जासूसी और चोरी की घटनाओं ने स्थानीय प्रशासन और जनता को चिंता में डाल दिया है। जन-सामान्य और प्रिंट मीडिया के माध्यम से प्राप्त सूचनाओं के अनुसार, रात्रि के समय ड्रोन उड़ाकर ग्रामीण क्षेत्रों में दहशत फैलाने और आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने की शिकायतें सामने आई हैं। इन गतिविधियों के कारण क्षेत्र में शांति व्यवस्था भंग होने की आशंका बढ़ गई है। स्थानीय लोगों में असुरक्षा का माहौल है, और इस स्थिति पर तत्काल नियंत्रण की आवश्यकता है। प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाने का निर्णय लिया है।

ड्रोन पंजीकरण अनिवार्य, उल्लंघन पर भारी जुर्माना

तहसील ठाकुरद्वारा के उपजिलाधिकारी प्रीति सिंह ने एक अधिसूचना जारी कर सभी ड्रोन मालिकों को निर्देश दिया है कि वे अपने ड्रोन और व्यक्तिगत जानकारी, आधार कार्ड सहित, तीन दिनों के भीतर नजदीकी थाने में दर्ज कराएं। यह कदम क्षेत्र में ड्रोन के दुरुपयोग को रोकने और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाया गया है। अधिसूचना के अनुसार, तीन दिन की अवधि के बाद गहन जांच की जाएगी। यदि इस अवधि के बाद किसी व्यक्ति के पास बिना पंजीकरण का ड्रोन पाया जाता है, तो उसे सूचना छिपाने का दोषी माना जाएगा। ऐसे मामलों में संबंधित थाने के माध्यम से विधिक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें 5,00,000 रुपये का जुर्माना भी शामिल है। इस कार्रवाई का संपूर्ण उत्तरदायित्व ड्रोन मालिक पर होगा। प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे इस निर्देश का पालन करें और क्षेत्र में शांति बनाए रखने में सहयोग करें।

8th pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की बल्ले-बल्ले

8th pay Commission: देशभर के लाखों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की निगाहें 8वें वेतन आयोग की घोषणा पर टिकी हैं। यह आयोग न केवल उनके वेतन और पेंशन में बदलाव लाने की संभावना रखता है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर सकता है। हाल ही में संसद में इस मुद्दे पर हुई चर्चा ने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में नई उम्मीदें जगाई हैं। 7वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद से ही कर्मचारी संगठनों द्वारा 8वें आयोग की मांग उठ रही थी, और अब सरकार के ताजा बयानों ने इस दिशा में सकारात्मक संकेत दिए हैं। कर्मचारियों को उम्मीद है कि यह आयोग उनकी आय को मुद्रास्फीति और बढ़ती जीवन लागत के अनुरूप समायोजित करेगा।

सरकार का रुख और गठन की प्रक्रिया

हाल ही में लोकसभा में सांसदों द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि 8वें वेतन आयोग के गठन का फैसला लिया जा चुका है। विभिन्न मंत्रालयों जैसे रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, और कार्मिक प्रशिक्षण विभाग से सुझाव मांगे गए हैं। इसके अलावा, राज्य सरकारों से भी इनपुट लिए जा रहे हैं, ताकि वेतन संशोधन की प्रक्रिया समग्र और समावेशी हो। यह कदम दर्शाता है कि सरकार इस दिशा में गंभीरता से काम कर रही है। हालांकि, अभी तक आयोग की आधिकारिक अधिसूचना और इसके सदस्यों की नियुक्ति बाकी है। सूत्रों के अनुसार, सरकार इस प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने का प्रयास कर रही है, ताकि कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को समय पर लाभ मिल सके। आयोग के गठन के बाद इसके कार्यक्षेत्र और समयसीमा को लेकर भी स्थिति स्पष्ट होगी।

संभावित प्रभाव और कर्मचारियों की अपेक्षाएं

8वां वेतन आयोग केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है। कर्मचारी संगठनों का मानना है कि यह आयोग न केवल वेतन में वृद्धि करेगा, बल्कि भत्तों, जैसे महंगाई भत्ता, मकान किराया भत्ता, और यात्रा भत्ता, में भी संशोधन करेगा। इसके अलावा, पेंशनभोगियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल करने की मांग भी जोर पकड़ रही है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि बढ़ती महंगाई और आर्थिक चुनौतियों के बीच वेतन और पेंशन में उचित वृद्धि उनकी आर्थिक स्थिरता के लिए जरूरी है। आयोग के गठन से सरकारी कर्मचारियों की कार्यक्षमता और प्रेरणा पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि बेहतर वेतन और सुविधाएं कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाती हैं।

चुनौतियां और भविष्य की राह

हालांकि 8वें वेतन आयोग की घोषणा ने उम्मीदें जगाई हैं, लेकिन इसकी राह में कई चुनौतियां भी हैं। आयोग के गठन और इसके सुझावों को लागू करने में समय लग सकता है, जिससे कर्मचारियों में अधीरता बढ़ सकती है। इसके अलावा, वित्तीय संसाधनों का प्रबंधन और राज्यों के साथ समन्वय भी एक जटिल प्रक्रिया है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि आयोग के सुझाव सभी वर्गों के लिए समान रूप से लाभकारी हों। कर्मचारी संगठन भी इस प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी की मांग कर रहे हैं, ताकि उनकी आवाज को सुना जाए। भविष्य में, आयोग की सिफारिशें न केवल कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के जीवन को प्रभावित करेंगी, बल्कि अर्थव्यवस्था पर भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा। सरकार और कर्मचारी संगठनों के बीच संवाद और सहयोग इस प्रक्रिया को सफल बनाने की कुंजी होगा।

स्टेशन पर भीख मांगती लड़की की दर्दनाक कहानी… रो पड़ेंगे, प्यार में मिला धोखा

महोबा की रहने वाली दो युवतियों की जिंदगी उस वक्त उजड़ गई, जब एक अनजान कॉल ने उनके सपनों को चकनाचूर कर दिया। करीब एक साल पहले, एक युवती के मोबाइल पर आगरा के शमसाबाद निवासी एक युवक का फोन आया। गलत नंबर का बहाना बनाकर शुरू हुई बातचीत धीरे-धीरे दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई। युवक ने शादी का वादा किया और युवती को 28 फरवरी को महोबा से अपने साथ ले गया। गुजरात में किराए के मकान में दोनों साथ रहने लगे, लेकिन यह रिश्ता जल्द ही दर्दनाक सच्चाई में बदल गया। युवक ने तीन महीने तक युवती का शारीरिक शोषण किया। जब युवती गर्भवती हुई, तो उसने दर्द की दवा के बहाने गर्भपात की गोली खिला दी। इसके बाद वह उसे राजस्थान के मेहंदीपुर ले गया, जहां उसका दुख और बढ़ गया। इस घटना ने न केवल युवती के विश्वास को तोड़ा, बल्कि उसके भविष्य को भी अंधेरे में धकेल दिया।

आगरा में बेवफाई और ठगी का शिकार

युवक की बेवफाई यहीं नहीं रुकी। युवती के दोबारा गर्भवती होने पर वह उसे आगरा ले आया। वहां उसका चचेरा भाई भी एक अन्य महिला के साथ शामिल हो गया। दोनों भाइयों ने होटल में कमरा बुक करने का बहाना बनाकर दोनों युवतियों को आगरा के कैंट स्टेशन पर छोड़ दिया और फरार हो गए। फोन बंद, पता गलत—युवतियों के पास अब कोई सहारा नहीं था। जब एक युवती शमसाबाद में आरोपी के बताए पते पर पहुंची, तो उसके परिजनों ने उसे मारपीट कर भगा दिया। शमसाबाद पुलिस ने भी उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। बेसहारा और ठगा हुआ महसूस करते हुए, दोनों युवतियां पिछले 18 दिनों से कैंट स्टेशन पर भीख मांगकर गुजारा कर रही हैं। यह घटना समाज में महिलाओं के प्रति विश्वासघात और असंवेदनशीलता की गंभीर समस्या को उजागर करती है।

इंसाफ की उम्मीद में डीसीपी कार्यालय पहुंचीं युवतियां

निराशा और दुख के बीच, दोनों युवतियों ने हिम्मत नहीं हारी। बुधवार को वे डीसीपी सिटी कार्यालय पहुंचीं और अपनी आपबीती के साथ शिकायती पत्र सौंपा। उनकी कहानी न केवल उनके दर्द को बयां करती है, बल्कि समाज में महिलाओं के साथ होने वाले विश्वासघात और शोषण की गंभीर समस्या को भी सामने लाती है। अब सवाल यह है कि क्या इन युवतियों को इंसाफ मिलेगा? क्या समाज और कानून उनकी मदद के लिए आगे आएंगे? यह मामला न केवल कानूनी कार्रवाई की मांग करता है, बल्कि समाज से यह भी अपेक्षा करता है कि वह ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता और संवेदनशीलता दिखाए। इन युवतियों की कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारा समाज और कानून व्यवस्था सचमुच कमजोर वर्ग की रक्षा करने में सक्षम है?