भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखकर अपने फैसले की जानकारी दी, जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी कारणों को अपने इस्तीफे का आधार बताया। यह पहला मौका है जब भारत के किसी उपराष्ट्रपति ने स्वास्थ्य कारणों से अपने पद को छोड़ा है। धनखड़ ने 11 अगस्त 2022 को 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी और उनके कार्यकाल को उनके संवैधानिक दायित्वों के प्रति समर्पण के लिए जाना जाता है। उनके इस अप्रत्याशित कदम ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है।
जगदीप धनखड़ ने अपने पत्र में लिखा कि उन्होंने चिकित्सा सलाह का पालन करते हुए स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है। हाल ही में उनकी तबीयत को लेकर कई खबरें सामने आई थीं। मार्च 2025 में, धनखड़ को सीने में दर्द और बेचैनी के कारण दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी एंजियोप्लास्टी की गई थी। उनकी स्थिति स्थिर बताई गई थी, और उन्हें 12 मार्च को अस्पताल से छुट्टी मिली थी। इसके बाद जून 2025 में नैनीताल में एक कार्यक्रम के दौरान भी उनकी तबीयत बिगड़ने की खबर आई थी, हालांकि बाद में इसे सामान्य बताया गया। इन घटनाओं ने उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं बढ़ा दी थीं।
धनखड़ का राजनीतिक सफर और इस्तीफे का प्रभाव
जगदीप धनखड़ का राजनीतिक करियर चार दशकों से अधिक का रहा है। 1951 में राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव में जन्मे धनखड़ ने वकालत से अपने करियर की शुरुआत की और राजस्थान हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट के रूप में ख्याति प्राप्त की। 1989 में वे जनता दल के टिकट पर झुंझुनू से लोकसभा सांसद बने। बाद में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जॉइन की और 2019 से 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे। 2022 में उन्होंने उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराकर जीत हासिल की थी।
उनके इस्तीफे ने भारतीय राजनीति में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। उपराष्ट्रपति के रूप में उनकी भूमिका, विशेष रूप से राज्यसभा के सभापति के तौर पर, महत्वपूर्ण रही है। हालांकि, उनके कार्यकाल में विपक्ष ने उन पर पक्षपात का आरोप भी लगाया था, जिसके चलते 2024 में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की चर्चा हुई थी। धनखड़ के इस्तीफे से अब नए उपराष्ट्रपति की नियुक्ति का रास्ता खुल गया है, जिसके लिए जल्द ही चुनाव प्रक्रिया शुरू हो सकती है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाएं दी हैं और उनके योगदान की सराहना की है। यह कदम देश के संवैधानिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है।