ATM से पैसे नहीं निकले, लेकिन खाते से उड़ गए ₹55,000! पूरा मामला चौंका देगा

 मुरादाबाद जिले के ठाकुरद्वारा क्षेत्र में एक सनसनीखेज ठगी का मामला सामने आया है, जहां एक युवक की मेहनत की कमाई को चंद मिनटों में ठगों ने हड़प लिया। यह घटना न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि डिजिटल युग में सतर्कता कितनी जरूरी है। आइए, जानते हैं कि आखिर हुआ क्या और कैसे एक सामान्य व्यक्ति ठगी का शिकार हो गया।

शनिवार की शाम, ठाकुरद्वारा के फैजुल्ला गंज गांव के निवासी दिशांत चौहान अपने रोजमर्रा के काम से समय निकालकर तिकोनिया बस स्टैंड के पास एक एटीएम बूथ पर पहुंचे। उनका इरादा अपने खाते से कुछ पैसे निकालने का था। लेकिन, जैसे ही उन्होंने अपना कार्ड मशीन में डाला, कुछ तकनीकी खराबी के कारण पैसे नहीं निकले। इस दौरान बूथ में मौजूद दो अजनबी युवकों ने दिशांत की मदद करने का नाटक किया। उन्होंने दिशांत से उनका कार्ड मांगा और मदद के बहाने चालाकी से उनका कार्ड बदल दिया। 

दिशांत को उस समय कुछ गड़बड़ होने का शक नहीं हुआ। लेकिन, कुछ ही देर बाद उनके मोबाइल पर लगातार मैसेज आने शुरू हुए। जब उन्होंने अपने बैंक खाते की जांच की, तो उनके होश उड़ गए। उनके खाते से 55,000 रुपये गायब थे! हैरानी की बात यह थी कि जब दिशांत ने अपना कार्ड दोबारा चेक किया, तो वह उनका मूल कार्ड नहीं था। ठगों ने चालाकी से उनका असली कार्ड बदलकर नकली कार्ड थमा दिया था।
 

इस धोखाधड़ी से आहत दिशांत ने तुरंत ठाकुरद्वारा कोतवाली पुलिस को इस घटना की लिखित शिकायत दी। उन्होंने अज्ञात ठगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। पुलिस ने शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक आरोपियों का कोई सुराग नहीं मिला है। यह घटना न केवल दिशांत के लिए, बल्कि सभी के लिए एक सबक है कि एटीएम बूथ पर सतर्कता बरतना कितना जरूरी है।

ऐसी घटनाओं से बचने के लिए कुछ सावधानियां बेहद जरूरी हैं। सबसे पहले, कभी भी किसी अजनबी को अपना एटीएम कार्ड न दें, भले ही वह मदद की पेशकश क्यों न करे। इसके अलावा, एटीएम बूथ में कार्ड डालने से पहले मशीन की जांच करें और सुनिश्चित करें कि कोई स्किमिंग डिवाइस तो नहीं लगा। अपने पिन को हमेशा गोपनीय रखें और इसे किसी के साथ साझा न करें। अगर कोई तकनीकी समस्या हो, तो तुरंत बैंक को सूचित करें।

कमरे में लटका मिला वकील, सुसाइड नोट में लिखा- ‘मैं कायर नहीं, मजबूर हूं’

प्रयागराज के झुंसी इलाके में एक दिल दहला देने वाली घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया। त्रिवेणीपुरम कॉलोनी के यमुना सेक्टर में किराए के मकान में रहने वाले 27 वर्षीय अधिवक्ता अजय साहू का शव शुक्रवार रात फंदे से लटकता हुआ मिला। उनके कमरे से मिले दो पेज के सुसाइड नोट ने न केवल उनके दर्द को उजागर किया, बल्कि एक ऐसी प्रेम कहानी की त्रासदी को भी सामने लाया, जो नौ साल तक चली, मगर अधूरी रह गई। इस घटना ने न सिर्फ अजय के परिवार, बल्कि पूरे समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर प्यार की राह में इतना दर्द क्यों?

एक अधूरी प्रेम कहानी का दुखद अंत

हंडिया के कुकुडहा गांव के रहने वाले अजय साहू अपने पांच भाइयों में सबसे छोटे थे। चार साल से वे त्रिवेणीपुरम में बृजेंद्र कुमार राय के मकान की दूसरी मंजिल पर किराए पर रह रहे थे। उनकी जिंदगी एक आम अधिवक्ता की तरह चल रही थी, लेकिन उनके दिल में एक ऐसी आग सुलग रही थी, जिसने धीरे-धीरे उन्हें अंदर ही अंदर खोखला कर दिया। सुसाइड नोट में अजय ने अपनी प्रेमिका के लिए लिखा, “आई रियली लव यू, मैं हमेशा तुम्हें मिस करूंगा।” उन्होंने यह भी अपील की कि उनकी मौत के बाद परिवार और दोस्तों को परेशान न किया जाए, क्योंकि यह उनका अपना निर्णय था। नौ साल के प्यार को ठुकराए जाने का दर्द उनके लिए असहनीय हो गया था।

रात ने बदली जिंदगी की तस्वीर

शुक्रवार रात करीब साढ़े आठ बजे, मकान मालिक बृजेंद्र ने अजय को कई बार फोन किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। चिंतित होकर जब वे अजय के कमरे में पहुंचे, तो दरवाजा खुला था। अंदर का दृश्य देखकर वे सन्न रह गए—अजय फंदे से लटके हुए थे। शोर सुनकर आसपास के लोग इकट्ठा हो गए, और पुलिस को सूचना दी गई। झुंसी के एसओ उपेंद्र प्रताप सिंह ने मौके पर पहुंचकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। अजय की मां शकुंतला देवी और उनके भाई संतोष, अशोक, संजय, और विनोद रात में रोते-बिलखते मौके पर पहुंचे। मां का दर्द देखकर वहां मौजूद हर शख्स की आंखें नम थीं।

शादी का टूटा सपना

पिछले महीने 16 मई को अजय की शादी भदोही की एक युवती से तय थी। निमंत्रण कार्ड तक बंट चुके थे, लेकिन अजय ने 27 अप्रैल को शादी से इनकार कर दिया। एक दिन पहले वे अपनी मां के साथ कहीं चले गए थे। पुलिस जांच में पता चला कि अजय कई दिनों से अवसाद में थे और गुमसुम रहने लगे थे। उनके सुसाइड नोट में लिखा था, “मेरे नौ साल के प्यार को ठुकराकर तुमने मुझे मरने के लिए मजबूर कर दिया।” उन्होंने मीडिया से भी गुहार लगाई कि उनकी कहानी को दुनिया तक पहुंचाया जाए, ताकि लोग समझ सकें कि वे कायर नहीं, बल्कि मजबूर थे।

समाज के लिए एक सबक

अजय की इस त्रासदी ने एक बार फिर मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक दर्द के मुद्दे को सामने ला दिया। प्यार में असफलता और सामाजिक दबाव कई बार इंसान को ऐसे कदम उठाने के लिए मजबूर कर देते हैं। उनके नोट में परिवार और समाज से अपील थी कि उनके परिजनों का मजाक न उड़ाया जाए। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमें अपने आसपास के लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें समय रहते मदद पहुंचानी चाहिए।