मुसलमान की ज़ुबान और हाथ से नही पहुंचनी चाहिए किसी को तकलीफ़ – मुफ़्ती इमामुद्दीन

Moradabad News: आगामी त्यौहार ईद उल अज़हा को लेकर कोतवाली परिसर मे अमन कमेटी की बैठक का आयोजन किया गया।बैठक की अध्यक्षता उपजिलाधिकारी प्रीति सिंह ने की,बैठक के दौरान भारी संख्या मे सामाजिक लोग व धर्मगुरुओं शामिल रहे।

अमन कमेटी की बैठक के दौरान शहर इमाम मुफ़्ती इमामुद्दीन ने मुस्लिम समुदाय को जागरूक करते हुए कहा कि कुर्बानी के दौरान साफ़ – सफ़ाई का ख़ास ख़्याल रखे,ऐसा कोई काम न करें जिससे हमारे किसी भाई को तकलीफ़ पहुंचे।उन्होंने कहा कि सच्चा मुसलमान वो है जिसकी ज़ुबान व हाथ से किसी इंसान को तकलीफ़ न पहुंचे।इस दौरान शहर इमाम ने कहा कि दुनिया भर मे हमारे मुल्क हिंदुस्तान को हमारे भाईचारे और गंगा ज़मुनी तहज़ीब के लिए जाना जाता है हमे इस पहचान को क़ायम रखना है।

वहीं बैठक के दौरान पुलिस क्षेत्राधिकारी रुद्र कुमार व उपजिलाधिकारी प्रीति सिंह ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि कोई भी नया काम न करें भाईचारे के साथ आगामी त्यौहार को मनाए।वहीं कोतवाली प्रभारी जसपाल सिंह ग्वाल ने क्षेत्रीय लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि यदि कोई समस्या सामने आए तो प्रशासन को सूचना दें प्रशासन सदैव आपकी सेवा मे तत्पर है।

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क्या आप अपने पैसे को ऐसी जगह निवेश करना चाहते हैं, जो न केवल सुरक्षित हो, बल्कि अच्छा मुनाफा भी दे? अगर हां, तो भारत सरकार की नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) योजना आपके लिए एक सुनहरा अवसर हो सकती है। यह छोटी बचत योजना न केवल आपकी पूंजी की सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि 7.7% की चक्रवृद्धि ब्याज दर के साथ आपके निवेश को बढ़ाने में भी मदद करती है। चाहे आप अपने बच्चों के भविष्य के लिए बचत कर रहे हों या रिटायरमेंट की योजना बना रहे हों, यह योजना हर किसी के लिए एक भरोसेमंद और लचीला विकल्प है। 

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सरकार की गारंटी, जोखिम-मुक्त निवेश

नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) एक ऐसी योजना है, जो अपनी विश्वसनीयता और आकर्षक रिटर्न के लिए जानी जाती है। इस योजना में आप न्यूनतम 1,000 रुपये से निवेश शुरू कर सकते हैं, और इसमें कोई ऊपरी सीमा नहीं है। यानी, आप अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार जितना चाहें निवेश कर सकते हैं। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा समर्थित है, जिससे आपका पैसा हमेशा सुरक्षित रहता है। पांच साल की परिपक्वता अवधि के बाद आपको निवेश की राशि के साथ-साथ चक्रवृद्धि ब्याज का लाभ मिलता है, जो इसे जोखिम-मुक्त निवेश का एक शानदार विकल्प बनाता है। सरकार हर तिमाही में ब्याज दरों की समीक्षा करती है, ताकि निवेशकों को हमेशा प्रतिस्पर्धी रिटर्न मिले।

टैक्स बचत का सुनहरा अवसर

NSC योजना का एक और बड़ा फायदा है इसकी टैक्स बचत सुविधा। आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत, आप एक वित्तीय वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं। यह सुविधा उन लोगों के लिए खास तौर पर फायदेमंद है, जो अपने टैक्स बोझ को कम करना चाहते हैं। साथ ही, इस योजना में निवेश की कोई अधिकतम सीमा नहीं होने के कारण, आप अपनी जरूरत के हिसाब से जितना चाहें निवेश कर सकते हैं। चाहे आप अपने भविष्य के लिए बचत कर रहे हों या लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्यों को हासिल करना चाहते हों, NSC आपको दोहरा फायदा देती है—सुरक्षित निवेश और टैक्स बचत।

बच्चों के भविष्य के लिए आदर्श

NSC योजना की एक खास विशेषता यह है कि आप इसे अपने बच्चों के नाम से भी शुरू कर सकते हैं। अगर आपके बच्चे की उम्र 10 साल से कम है, तो उनके खाते को माता-पिता संचालित कर सकते हैं। यह सुविधा इसे बच्चों के भविष्य के लिए बचत का एक शानदार विकल्प बनाती है। चाहे आप उनकी पढ़ाई, शादी, या अन्य बड़े खर्चों के लिए पैसा जोड़ना चाहते हों, NSC आपको एक सुरक्षित और सुनिश्चित रास्ता देती है। आप अपने नजदीकी डाकघर में जाकर या ऑनलाइन इस योजना में निवेश शुरू कर सकते हैं, जिससे यह और भी सुगम और सुविधाजनक हो जाता है।

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पांच साल में लाखों का मुनाफा

NSC योजना की खूबसूरती इसकी चक्रवृद्धि ब्याज दर में छिपी है। उदाहरण के लिए, अगर आप 11 लाख रुपये का निवेश करते हैं, तो 7.7% की ब्याज दर के साथ पांच साल बाद आपको लगभग 15.94 लाख रुपये मिलेंगे। यानी, आपको करीब 4.94 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा होगा। अगर आप और अधिक निवेश करते हैं, तो आपका लाभ भी उसी अनुपात में बढ़ेगा। यह योजना उन लोगों के लिए आदर्श है, जो जोखिम से बचते हुए सुनिश्चित और आकर्षक रिटर्न चाहते हैं। हालांकि, इस योजना में पांच साल का लॉक-इन पीरियड होता है, जिसका मतलब है कि आपको पूरे ब्याज का लाभ तभी मिलेगा, जब आप निवेश को इस अवधि तक बनाए रखेंगे। अगर आप समय से पहले खाता बंद करते हैं, तो आपको केवल निवेश की राशि वापस मिलेगी, बिना किसी ब्याज के।

क्यों चुनें NSC?

नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट उन लोगों के लिए एकदम सही है, जो अपने निवेश को सुरक्षित और लाभकारी बनाना चाहते हैं। यह योजना न केवल आपको सरकार की गारंटी देती है, बल्कि टैक्स बचत और आकर्षक रिटर्न के साथ आपके वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में भी मदद करती है।

मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी की सदस्यता को लेकर योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री ने कर लिया बड़ा प्लान तैयार

उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के नेता और पूर्व विधायक अब्बास अंसारी की विधायकी को हाल ही में कोर्ट के एक फैसले के बाद रद्द कर दिया गया है। यह फैसला 2022 के हेट स्पीच मामले से जुड़ा है, जिसमें अब्बास को दो साल की सजा सुनाई गई। इस घटनाक्रम ने न केवल सुभासपा बल्कि पूरे प्रदेश की राजनीति में चर्चा का माहौल बना दिया है। पार्टी अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने इस फैसले को चुनौती देने का ऐलान करते हुए कहा कि वे हाईकोर्ट का रुख करेंगे और अब्बास के साथ मजबूती से खड़े रहेंगे। आइए, इस मामले की पूरी कहानी को समझते हैं।

हेट स्पीच मामला: क्या है पूरा विवाद?

यह पूरा विवाद 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से शुरू हुआ। उस दौरान सुभासपा ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था। चुनाव प्रचार के समय अब्बास अंसारी ने एक जनसभा में ऐसा बयान दिया, जिसे हेट स्पीच माना गया। उन्होंने बिना नाम लिए कहा था, “भैया से बात हो गई है, सबका हिसाब-किताब होगा।” यह बयान इतना विवादित हो गया कि मामला कोर्ट तक पहुंच गया। कोर्ट ने इस मामले में अब्बास को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई, जिसके बाद उनकी विधायकी को रद्द करने का आदेश जारी हुआ। यह सजा न केवल अब्बास के लिए बल्कि सुभासपा के लिए भी एक बड़ा झटका मानी जा रही है।

ओम प्रकाश राजभर का रुख: ‘न्याय के लिए लड़ेंगे’

सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने इस फैसले पर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने कहा, “कोर्ट का फैसला हम स्वीकार करते हैं, लेकिन हम इसे चुनौती देंगे। हाईकोर्ट में अपील की तैयारी चल रही है, और हमें पूरा भरोसा है कि वहां से न्याय मिलेगा।” राजभर ने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी अब्बास के साथ पूरी तरह खड़ी है। उन्होंने कहा, “अब्बास हमारे विधायक हैं, और हम उनके साथ हर कदम पर रहेंगे। चाहे हम हाईकोर्ट जाएं या वे खुद जाएं, सुभासपा एकजुट है।” हालांकि, हाईकोर्ट की छुट्टियों के कारण अभी एक महीने तक कोई सुनवाई नहीं हो सकती, लेकिन पार्टी ने कानूनी कार्रवाई के लिए सभी जरूरी दस्तावेज तैयार कर लिए हैं।

राजनीतिक मायने: क्या बदलेगा सियासी समीकरण?

अब्बास अंसारी की विधायकी रद्द होने से उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई सवाल खड़े हो गए हैं। सुभासपा और समाजवादी पार्टी के गठबंधन पर भी इसका असर पड़ सकता है। अब्बास, जो मुख्तार अंसारी के बेटे हैं, पूर्वांचल की सियासत में एक अहम चेहरा माने जाते हैं। उनकी विधायकी रद्द होने से क्षेत्र में सुभासपा की स्थिति पर भी सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, ओम प्रकाश राजभर का दावा है कि यह मामला पार्टी की एकता को कमजोर नहीं करेगा। उन्होंने कहा, “हमारी लड़ाई न्याय के लिए है, और हम इसे पूरी ताकत से लड़ेंगे।”

इस मामले में अगला कदम हाईकोर्ट में अपील होगा। सुभासपा ने स्पष्ट किया है कि वे इस फैसले को पलटने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे। अब्बास अंसारी की सजा और विधायकी रद्द होने से न केवल उनके राजनीतिक करियर पर सवाल उठे हैं, बल्कि सुभासपा की रणनीति पर भी इसका असर पड़ सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि हाईकोर्ट का फैसला क्या होता है और यह मामला उत्तर प्रदेश की सियासत को किस दिशा में ले जाता है।

बकरीद की बलि निंदनीय धीरेंद्र शास्त्री के बयान पर पूर्व सांसद एसटी हसन का तीखा हमला, योगी आदित्यनाथ बनने की होड़

बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र शास्त्री के बकरीद के मौके पर दिए गए विवादास्पद बयान पर मुरादाबाद के पूर्व सपा सांसद डॉक्टर एसटी हसन का तीखा पलटवार सामने आया है।

धीरेंद्र शास्त्री ने बकरीद पर बकरा बलि देने की प्रथा को निंदनीय और बर्बरतापूर्ण बताया था इस तरह की प्रथाओं को समाप्त करना चाहिए, क्योंकि इससे जानवरों के साथ अत्याचार होता है। यह बयान उन्होंने बकरीद के अवसर पर दिया था, जब मुस्लिम समुदाय बकरा ईद मनाता है और इस दिन पशुओं की कुर्बानी जाती है।

पूर्व सपा सांसद डॉक्टर एसटी हसन बागेश्वर धाम के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि कुर्बानी केवल इस्लाम में नहीं बल्कि हिंदू धर्म में भी बलि प्रथा मौजूद है हम अपनी अच्छी चीज को अल्लाह को कुर्बान करते हैं अल्लाह हमारा और इन जानवरों को पैदा करने वाला एवं पालनहार है ।

सपा सांसद में आगे कहा धीरेंद्र शास्त्री का बयान उकसाने वाला है हम धार्मिक लोगों का सम्मान करते हैं लेकिन जो दूसरे मजहब को दुष्ट कहे उनका सम्मान नहीं करते ऐसी बातें देश में नफरत और दरार पैदा करती है डॉक्टर एसटी हसन ने कहा कि हर कोई योगी आदित्यनाथ नहीं बन सकता और ऐसी बयान बाजी से पहले सोचना चाहिए।

आखिर क्या कहा जो मच गया देशभर में बवाल, 22 साल की शर्मिष्ठा पनोली का वायरल वीडियो

22 वर्षीय शर्मिष्ठा पनोली एक उभरती हुई सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और पुणे की सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में कानून की छात्रा हैं। उनके इंस्टाग्राम पर 90,000 और एक्स पर 85,000 फॉलोअर्स हैं, जो उनकी बेबाक राय और सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर टिप्पणियों के लिए उन्हें जानते हैं। हाल ही में, शर्मिष्ठा उस समय सुर्खियों में आईं, जब उनके एक इंस्टाग्राम वीडियो ने देशभर में हंगामा मचा दिया। इस वीडियो में उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और बॉलीवुड हस्तियों की चुप्पी को लेकर टिप्पणी की थी, जिसमें कथित तौर पर एक धर्म विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक बयान शामिल थे। इस वीडियो के वायरल होने के बाद शर्मिष्ठा को न केवल भारी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा, बल्कि उनकी गिरफ्तारी भी हो गई। आखिर क्या है इस विवाद की पूरी कहानी? आइए, जानते हैं।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की एक सैन्य कार्रवाई थी, जिसने देश में गर्व की भावना जगाई। शर्मिष्ठा ने इस मौके पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बॉलीवुड सितारों की खामोशी पर सवाल उठाए। लेकिन उनके कुछ बयानों को धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला माना गया। वीडियो में कथित तौर पर इस्लाम और पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां थीं, जिसके बाद सोशल मीडिया पर बवाल मच गया। कई यूजर्स ने उनके खिलाफ धमकी भरे संदेश भेजे, और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता वारिस पठान ने भी इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए कार्रवाई की मांग की।

शर्मिष्ठा के वीडियो के वायरल होने के बाद कोलकाता में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज की गई। कोलकाता पुलिस ने 15 मई, 2025 को गार्डन रीच थाने में उनके खिलाफ FIR दर्ज की, जिसमें उन पर विभिन्न समुदायों के बीच दुश्मनी बढ़ाने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, और शांति भंग करने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए। पुलिस ने 30 मई, 2025 को हरियाणा के गुरुग्राम से शर्मिष्ठा को गिरफ्तार किया और ट्रांजिट रिमांड पर कोलकाता ले जाया गया। 31 मई को उन्हें कोलकाता की अलीपुर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।