ATM से पैसे नहीं निकले, लेकिन खाते से उड़ गए ₹55,000! पूरा मामला चौंका देगा

 मुरादाबाद जिले के ठाकुरद्वारा क्षेत्र में एक सनसनीखेज ठगी का मामला सामने आया है, जहां एक युवक की मेहनत की कमाई को चंद मिनटों में ठगों ने हड़प लिया। यह घटना न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि डिजिटल युग में सतर्कता कितनी जरूरी है। आइए, जानते हैं कि आखिर हुआ क्या और कैसे एक सामान्य व्यक्ति ठगी का शिकार हो गया।

शनिवार की शाम, ठाकुरद्वारा के फैजुल्ला गंज गांव के निवासी दिशांत चौहान अपने रोजमर्रा के काम से समय निकालकर तिकोनिया बस स्टैंड के पास एक एटीएम बूथ पर पहुंचे। उनका इरादा अपने खाते से कुछ पैसे निकालने का था। लेकिन, जैसे ही उन्होंने अपना कार्ड मशीन में डाला, कुछ तकनीकी खराबी के कारण पैसे नहीं निकले। इस दौरान बूथ में मौजूद दो अजनबी युवकों ने दिशांत की मदद करने का नाटक किया। उन्होंने दिशांत से उनका कार्ड मांगा और मदद के बहाने चालाकी से उनका कार्ड बदल दिया। 

दिशांत को उस समय कुछ गड़बड़ होने का शक नहीं हुआ। लेकिन, कुछ ही देर बाद उनके मोबाइल पर लगातार मैसेज आने शुरू हुए। जब उन्होंने अपने बैंक खाते की जांच की, तो उनके होश उड़ गए। उनके खाते से 55,000 रुपये गायब थे! हैरानी की बात यह थी कि जब दिशांत ने अपना कार्ड दोबारा चेक किया, तो वह उनका मूल कार्ड नहीं था। ठगों ने चालाकी से उनका असली कार्ड बदलकर नकली कार्ड थमा दिया था।
 

इस धोखाधड़ी से आहत दिशांत ने तुरंत ठाकुरद्वारा कोतवाली पुलिस को इस घटना की लिखित शिकायत दी। उन्होंने अज्ञात ठगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। पुलिस ने शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक आरोपियों का कोई सुराग नहीं मिला है। यह घटना न केवल दिशांत के लिए, बल्कि सभी के लिए एक सबक है कि एटीएम बूथ पर सतर्कता बरतना कितना जरूरी है।

ऐसी घटनाओं से बचने के लिए कुछ सावधानियां बेहद जरूरी हैं। सबसे पहले, कभी भी किसी अजनबी को अपना एटीएम कार्ड न दें, भले ही वह मदद की पेशकश क्यों न करे। इसके अलावा, एटीएम बूथ में कार्ड डालने से पहले मशीन की जांच करें और सुनिश्चित करें कि कोई स्किमिंग डिवाइस तो नहीं लगा। अपने पिन को हमेशा गोपनीय रखें और इसे किसी के साथ साझा न करें। अगर कोई तकनीकी समस्या हो, तो तुरंत बैंक को सूचित करें।

कमरे में लटका मिला वकील, सुसाइड नोट में लिखा- ‘मैं कायर नहीं, मजबूर हूं’

प्रयागराज के झुंसी इलाके में एक दिल दहला देने वाली घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया। त्रिवेणीपुरम कॉलोनी के यमुना सेक्टर में किराए के मकान में रहने वाले 27 वर्षीय अधिवक्ता अजय साहू का शव शुक्रवार रात फंदे से लटकता हुआ मिला। उनके कमरे से मिले दो पेज के सुसाइड नोट ने न केवल उनके दर्द को उजागर किया, बल्कि एक ऐसी प्रेम कहानी की त्रासदी को भी सामने लाया, जो नौ साल तक चली, मगर अधूरी रह गई। इस घटना ने न सिर्फ अजय के परिवार, बल्कि पूरे समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर प्यार की राह में इतना दर्द क्यों?

एक अधूरी प्रेम कहानी का दुखद अंत

हंडिया के कुकुडहा गांव के रहने वाले अजय साहू अपने पांच भाइयों में सबसे छोटे थे। चार साल से वे त्रिवेणीपुरम में बृजेंद्र कुमार राय के मकान की दूसरी मंजिल पर किराए पर रह रहे थे। उनकी जिंदगी एक आम अधिवक्ता की तरह चल रही थी, लेकिन उनके दिल में एक ऐसी आग सुलग रही थी, जिसने धीरे-धीरे उन्हें अंदर ही अंदर खोखला कर दिया। सुसाइड नोट में अजय ने अपनी प्रेमिका के लिए लिखा, “आई रियली लव यू, मैं हमेशा तुम्हें मिस करूंगा।” उन्होंने यह भी अपील की कि उनकी मौत के बाद परिवार और दोस्तों को परेशान न किया जाए, क्योंकि यह उनका अपना निर्णय था। नौ साल के प्यार को ठुकराए जाने का दर्द उनके लिए असहनीय हो गया था।

रात ने बदली जिंदगी की तस्वीर

शुक्रवार रात करीब साढ़े आठ बजे, मकान मालिक बृजेंद्र ने अजय को कई बार फोन किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। चिंतित होकर जब वे अजय के कमरे में पहुंचे, तो दरवाजा खुला था। अंदर का दृश्य देखकर वे सन्न रह गए—अजय फंदे से लटके हुए थे। शोर सुनकर आसपास के लोग इकट्ठा हो गए, और पुलिस को सूचना दी गई। झुंसी के एसओ उपेंद्र प्रताप सिंह ने मौके पर पहुंचकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। अजय की मां शकुंतला देवी और उनके भाई संतोष, अशोक, संजय, और विनोद रात में रोते-बिलखते मौके पर पहुंचे। मां का दर्द देखकर वहां मौजूद हर शख्स की आंखें नम थीं।

शादी का टूटा सपना

पिछले महीने 16 मई को अजय की शादी भदोही की एक युवती से तय थी। निमंत्रण कार्ड तक बंट चुके थे, लेकिन अजय ने 27 अप्रैल को शादी से इनकार कर दिया। एक दिन पहले वे अपनी मां के साथ कहीं चले गए थे। पुलिस जांच में पता चला कि अजय कई दिनों से अवसाद में थे और गुमसुम रहने लगे थे। उनके सुसाइड नोट में लिखा था, “मेरे नौ साल के प्यार को ठुकराकर तुमने मुझे मरने के लिए मजबूर कर दिया।” उन्होंने मीडिया से भी गुहार लगाई कि उनकी कहानी को दुनिया तक पहुंचाया जाए, ताकि लोग समझ सकें कि वे कायर नहीं, बल्कि मजबूर थे।

समाज के लिए एक सबक

अजय की इस त्रासदी ने एक बार फिर मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक दर्द के मुद्दे को सामने ला दिया। प्यार में असफलता और सामाजिक दबाव कई बार इंसान को ऐसे कदम उठाने के लिए मजबूर कर देते हैं। उनके नोट में परिवार और समाज से अपील थी कि उनके परिजनों का मजाक न उड़ाया जाए। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमें अपने आसपास के लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें समय रहते मदद पहुंचानी चाहिए।

रेलवे कर्मचारी बना ‘नकली नोटों का किंग’, घर में चल रही थी करेंसी फैक्ट्री!

उत्तर प्रदेश के पिलखुवा में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां रेलवे में कार्यरत एक कर्मचारी ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर नकली नोट छापने का बड़ा रैकेट खड़ा कर लिया था। यह गैंग न केवल जाली मुद्रा छाप रहा था, बल्कि इसे प्रदेश के कई जिलों में सप्लाई भी कर रहा था। इस संगठित अपराध ने नकली नोटों के कारोबार को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया था, लेकिन यूपी की एटीएस (एंटी-टेरेरिस्ट स्क्वॉड) ने इस गैंग को रंगे हाथ पकड़कर इसके काले कारनामों का पर्दाफाश कर दिया।

पिलखुवा के लाखन रेलवे स्टेशन पर पॉइंट्समैन के तौर पर काम करने वाला गजेंद्र यादव बुलंदशहर के गजौरी गांव का रहने वाला है। बाहर से देखने में शालीन और मिलनसार गजेंद्र ने अपने दो साथियों, सिद्धार्थ झा (गाजीपुर, नई दिल्ली) और विजय वीर चौधरी (रसूलपुर, बुलंदशहर) के साथ मिलकर नकली नोटों का कारोबार शुरू किया। इस तिकड़ी ने काम का बंटवारा इस तरह किया था कि हर कोई अपनी भूमिका बखूबी निभा रहा था। गजेंद्र की जिम्मेदारी थी नकली नोटों की सप्लाई और ग्राहकों की तलाश, जबकि सिद्धार्थ नोटों की डिजाइनिंग और छपाई का काम संभालता था। विजय वीर चौधरी का काम था खास कागज और अन्य सामग्री का इंतजाम करना।

हाईटेक तकनीक और अलीबाबा का खेल

यह गैंग इतना शातिर था कि नकली नोटों को असली जैसा बनाने के लिए हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल करता था। नोटों की छपाई के लिए जरूरी वाटरमार्क और सिक्योरिटी थ्रेड युक्त खास पेपर को विजय वीर चौधरी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अलीबाबा डॉट कॉम से मंगवाता था। इसके बाद सिद्धार्थ झा अपने लैपटॉप और प्रिंटर की मदद से नोटों की डिजाइन तैयार करता और उन्हें प्रिंट करता। छपाई के बाद नोटों को असली जैसा दिखाने के लिए विशेष प्रोसेसिंग की जाती थी, जिसमें लेमिनेशन, कटिंग और खास स्याही का उपयोग शामिल था। यह पूरी प्रक्रिया इतनी सटीक थी कि नकली नोटों को पहचानना आम लोगों के लिए मुश्किल था।

सोशल मीडिया बना हथियार

गजेंद्र यादव इस गैंग का मास्टरमाइंड था, जो सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके नकली नोटों के खरीददार ढूंढ़ता था। वह अलग-अलग जिलों में अपने ग्राहकों से संपर्क करता और नकली मुद्रा की सप्लाई सुनिश्चित करता। इस तरह यह गैंग धीरे-धीरे अपने नेटवर्क को पूरे उत्तर प्रदेश में फैलाता जा रहा था। सोशल मीडिया की पहुंच ने इस अपराध को और आसान बना दिया, क्योंकि गैंग बिना किसी शक के अपने ग्राहकों तक पहुंच रहा था।

एटीएस की सटीक कार्रवाई

पिलखुवा के फरीदनगर-भोजपुर रोड पर एटीएस ने तब छापा मारा, जब यह गैंग नकली नोटों की एक बड़ी खेप लेकर किसी ग्राहक को देने जा रहा था। एटीएस ने तीनों आरोपियों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया और उनकी कार से 3.90 लाख रुपये की नकली मुद्रा बरामद की। इसके अलावा, छपाई में इस्तेमाल होने वाले हाईटेक उपकरण जैसे लैपटॉप, प्रिंटर, लेमिनेशन मशीन, कटर ब्लेड, सिक्योरिटी थ्रेड पेपर, और खास स्याही की बोतलें भी जब्त की गईं। गैंग के पास से 103 सिक्योरिटी शीट, पांच मोबाइल फोन, दो पेन ड्राइव और एक कार भी बरामद हुई। पूछताछ में पता चला कि यह गैंग लंबे समय से सक्रिय था और कई जिलों में नकली नोटों की सप्लाई कर चुका था।

गजेंद्र का रहस्यमयी व्यवहार

गजेंद्र यादव को सभी एक शांत और मिलनसार व्यक्ति के रूप में जानते थे। उसने चार दिन की छुट्टी ली थी और अपने घर चला गया था, लेकिन पांचवें दिन ड्यूटी पर नहीं लौटा। इस पर उसके पिता खुद पिलखुवा स्टेशन पर उसकी खोजबीन करने पहुंचे। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि उन्हें कभी गजेंद्र पर कोई शक नहीं हुआ। हैरानी की बात यह है कि गैंग के एक सदस्य की पत्नी उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही है, जिससे इस मामले में और भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

क्या जवान बने रहने की दवाएं बनीं वजह, ‘कांटा लगा गर्ल’ की रहस्यमयी मौत

फिल्म और टेलीविजन जगत में ‘कांटा लगा गर्ल’ के नाम से मशहूर अभिनेत्री शेफाली जरीवाला के अचानक निधन ने सभी को स्तब्ध कर दिया है। उनकी असामयिक मृत्यु ने न केवल उनके प्रशंसकों को शोक में डुबो दिया, बल्कि कई अनुत्तरित सवाल भी खड़े कर दिए हैं। मुंबई पुलिस इस मामले की गहन जांच में जुटी है, और शेफाली के पति, टीवी अभिनेता पराग त्यागी का बयान इस दुखद घटना को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। क्या यह महज एक दुर्भाग्यपूर्ण हादसा था, या इसके पीछे कोई गहरा रहस्य छिपा है? आइए, इस मामले की तह तक जाते हैं।

एक सितारे का असमय अंत

शेफाली जरीवाला, जिन्होंने अपने ग्लैमरस अंदाज और ‘कांटा लगा’ गाने से रातोंरात सुर्खियां बटोरी थीं, अब हमारे बीच नहीं हैं। उनकी चमकती मुस्कान और जीवंत व्यक्तित्व ने लाखों दिलों को जीता था, लेकिन यह खबर कि वह अब इस दुनिया में नहीं हैं, ने उनके चाहने वालों को गहरे आघात में डाल दिया है। मुंबई पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और उनकी मृत्यु के कारणों की जांच शुरू कर दी है। शेफाली की मृत्यु के बाद उनकी देह को पोस्टमॉर्टम के लिए कूपर अस्पताल भेजा गया है, और सभी को उस अंतिम रिपोर्ट का इंतजार है जो इस रहस्य को सुलझा सकती है।

पति का बयान: क्या थी शेफाली की दिनचर्या?

मुंबई पुलिस ने शेफाली के पति पराग त्यागी से उनके आवास पर पूछताछ की। पराग ने बताया कि शेफाली पिछले कुछ वर्षों से अपनी जवानी और त्वचा की चमक बनाए रखने के लिए एंटी-एजिंग उपचार ले रही थीं। वह नियमित रूप से विटामिन सी और ग्लूटाथियोन जैसी दवाओं का सेवन करती थीं, जो त्वचा को निखारने और उसकी रंगत को बढ़ाने के लिए जानी जाती हैं। पराग के अनुसार, शेफाली पूरी तरह स्वस्थ थीं और उन्हें किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या की शिकायत नहीं थी। यह खुलासा सुनकर कई लोग हैरान हैं कि आखिर ऐसी क्या वजह हो सकती है जिसने इस हंसमुख अभिनेत्री की जिंदगी को अचानक खत्म कर दिया।

डॉक्टरों का पक्ष: क्या कहती है मेडिकल राय?

शेफाली के इलाज से जुड़े चिकित्सकों ने स्पष्ट किया है कि उनके द्वारा ली जा रही दवाएं, जैसे विटामिन सी और ग्लूटाथियोन, केवल त्वचा के लिए होती हैं और इनका हृदय या अन्य महत्वपूर्ण अंगों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। डॉक्टरों ने यह भी जोड़ा कि शेफाली शारीरिक रूप से फिट थीं और उन्होंने कभी किसी गंभीर बीमारी की बात नहीं की थी। फिर भी, सवाल यह उठता है कि अगर शेफाली स्वस्थ थीं, तो उनकी मृत्यु का कारण क्या हो सकता है? क्या यह दवाओं का कोई अज्ञात दुष्प्रभाव था, या कोई और वजह सामने आएगी?

पुलिस की जांच: अब तक क्या हुआ?

मुंबई पुलिस इस मामले में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। अब तक चार लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें पराग त्यागी के अलावा दो घरेलू कर्मचारी और एक सुरक्षा गार्ड शामिल हैं। पुलिस ने शेफाली के घर और उनके आसपास के लोगों से पूछताछ शुरू की है ताकि इस रहस्यमयी घटना के हर पहलू को समझा जा सके। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार अब इस जांच का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है, क्योंकि यही वह दस्तावेज है जो शेफाली की मृत्यु के सटीक कारण को उजागर कर सकता है।

पत्नी के मायके से मकान बनाने के लिए रकम न मिलने पर विवाहिता को बच्चे सहित मारपीट कर निकाला

न्यायालय के आदेश पर पति सहित चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज

मुरादाबाद/ ठाकुरद्वारा ।
पत्नी के मायके से मकान बनवाने के लिए रुपए न मिलने पर पति ,सास , जेठ, जेठानी ने विवाहिता को मारपीट कर मासूम बच्चे सहित गर्भवती हालत में निकाल दिया । धमकी दी कि जब तक मकान बनवाने के लिएअपने पिता से रुपए लाकर नहीं देती तब तक उसे अपने घर मे नहीं रखेंगे । इस पर विवाहिता ने न्यायालय में याचिका दायर की सुनवाई के बाद न्यायालय ने पुलिस को चार लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए । पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी ।
नगर के मोहल्ला आर्य नगर पीपल टोला वार्ड 9निवासी प्रतीक्षा सक्सेना पुत्री प्रमोद शंकर सक्सेना ने न्यायालय में याचिका दायर कर कहा कि 28 अप्रैल 2021 को उसकी शादी मेरठ के मोहल्ला जय देवी नगर मकान नंबर 240 निकट संजय नान खटाई थाना नौचंदी निवासी विकास सक्सेना पुत्र स्वर्गीय अरुण कुमार सक्सेना के साथ हिंदू रीति रिवाज के अनुसार हुई थी । शादी के समय पिता ने सामर्थ से अधिक दान दहेज दिया था । लेकिन शादी में मिले दान दहेज से पति, सास, जेठ,खुश नहीं थे । प्रार्थी का कोई भाई नहीं है । एक उसकी शादी शुदा बहन है घर पर माता-पिता रहते हैं । ससुराल वालों ने एक राय होकर मेरठ में नया मकान बनाने के लिए रूप यो की मांग शुरू कर दी जब उसने विरोध किया तो उसका शारीरिक ब मानसिक उत्पीड़न करने लगे । उसने यह बात अपने माता-पिता से बताई जिस पर पिता ने उनको व्यापार में सहारा देने के लिए तीन लाख रुपये भी दिए । लेकिन उसके पति व ससुराल वालों को इस पर भी संतोष नहीं हुआ ।और अधिक अत्याचार करने लगे । असहनीय पीड़ा होने पर उसने इसकी शिकायत अपने माता-पिता से कीउसके माता-पिता वहां पर पहुंचे तो उनके साथ भी मारपीट कीइसी दौरान30 मार्च 2023 को प्रार्थना ने एक पुत्र को जन्म दिया । पिता ने झूचक मे सामर्थ से अधिक दान दहेज दिया । लेकिन उनका अत्याचार बढ़ता ही चला गयातमाम रिश्तेदारों में बिरादरी के लोगों की कई बार पंचायतें भी हूं लेकिन उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब तक मकान बनाने के लिए यह रकम नहीं देंगे तब तक वैसे नहीं रखेंगे । वह चार माह की गर्भवती थीउन्होंने उसे बुरी तरह मारपीट करनिकाल दिया सूचना पर उसके माता-पिता अपने साथ ले आए । कोतवाली पुलिस को तहरीर दी लेकिन पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया तब उसने न्यायालय की शरण ली । न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने मेरठ निवासी पति विकास सक्सेना ,जेठ विशाल सक्सेना, सास सरिता सक्सेना,जेठानी पूर्णिमा सक्सेना के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी ।

पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी को याद किया

पंडित अनिल शर्मा
मुरादाबाद ।भारतीय जनता पार्टी के निवर्तमान जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह चौहान के आवास लक्ष्य फार्म हाउस पर पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस को कार्यकर्ताओं के साथ पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। उनके जीवन पर प्रकाश डाला गया।

जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपने जीवनकाल में समाज हित के लिए अपना जीवन समर्पण किया। इस अवसर पर राजपाल सिंह चौहान ने पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जीवन पर प्रकाश डाला। उनके बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया।

इसमें पूर्व नगर अध्यक्ष शिवेन्द्र गुप्ता, पूर्व मंडल अध्यक्ष मनोज कुमार चौहान,  पवन कुमार पुष्पद, अल्पसंख्यक मोर्चा जिला उपाध्यक्ष शईक पठान, मुखलाल सिंह , नगर मंडल अध्यक्ष धर्मेंद्र पाल सिंह, मुकेश चौधरी ,नागेंद्र लामा ,हेमेंद्र प्रताप सिंह,आशुतोष अग्रवालआदि थे।

अरब में मौत के बाद घर पहुंचा शव, गमगीन माहौल में दफन, शरीफ नगर के चालक की 2 जून की रात हार्ट अटैक से हुई थी मौत

सऊदी अरब में कमाने गए चालक की 2 जून की रात दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी। उसने रात करीब एक बजे पत्नी से ठीक ठाक बात की थी। उसकी 15 जून को वापसी थी। वापसी की जगह शुक्रवार को उसका शव घर पहुंचा।

कोतवाली के ग्राम शरीफ नगर निवासी नईम अहमद पुत्र स्व. मेहंदी हसन लगभग दो वर्ष पूर्व सऊदी अरब कमाने गया था। वह दमाम की कम्पनी में वाहन चालक की नौकरी कर रहा था। 2 जून की रात उसने पानी पत्नी भूरी और बच्चों से ठीक ठाक बात की थी। बातचीत के दौरान शरीर मे बेचैनी बताई थी।

इसके बाद वह फोन काटकर सो गया था। सुबह नईम के चाचा कारी इरशाद अली के मोबाइल पर उसके रूम पार्टनर ने नईम की मौत की सूचना दी थी। उसके चाचा अब्दुल कलाम ने बताया कि नईम की 2 वर्ष पूर्ण होने पर 15 जून को वापसी थी। इससे पहले ही उसकी मौत हो गई।

शुक्रवार को नईम का शव घर पहुंचा तो परिवार में कोहराम मच गया। शव के साथ सऊदी अरब में ही नौकरी कर रहा छोटा भाई आया है। शव के घर पहुंचते ही पत्नी और बच्चों का रोते बिलखते बुरा हाल था। अंतिम दर्शन के लिए ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई। नईम की मौत पर सभी की आंख नाम थी। असर की नमाज के बाद शव को ईदगाह कब्रिस्तान में दफन किया गया है।

‘वो दूसरी जाति का था…’ पिता ने कबूला जुर्म, अपनी ही बेटी की हत्या कर दी

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के लुहारी गांव में एक ऐसी घटना ने सबको हिलाकर रख दिया, जो इंसानियत पर सवाल उठाती है। एक बेटी, शिवानी, जिसने अपने प्यार को जिंदगी का आधार बनाया, उसी प्यार की वजह से अपने परिवार के हाथों मारी गई। यह कहानी न सिर्फ एक प्रेमी जोड़े की है, बल्कि समाज की उन रूढ़ियों की भी है, जो आज भी इंसान से ज्यादा जाति और इज्जत को तवज्जो देती हैं।

प्रेम की कीमत चुकानी पड़ी जान देकर

शिवानी का दिल पड़ोसी युवक अंकित प्रजापति पर आ गया था। दोनों ने कोर्ट मैरिज का सपना देखा, लेकिन यह सपना उनके लिए काल बन गया। शिवानी के पिता संजीव, मां, भाई रवि और फुफेरी बहन को यह रिश्ता मंजूर नहीं था। वजह? अंकित दूसरी जाति का था। गांव में पहले से ही दोनों के प्रेम की चर्चाएं थीं, और परिवार को लगता था कि यह रिश्ता उनकी “इज्जत” को मिट्टी में मिला देगा। एक रात, जब शिवानी ने कोर्ट मैरिज की जिद की, गुस्से में आकर परिवार ने उसकी जिंदगी ही छीन ली।

हत्या की साजिश और क्रूरता की हद

पुलिस पूछताछ में संजीव ने बताया कि उस रात शिवानी को पहले बुरी तरह पीटा गया। फिर, चारों ने मिलकर उसका गला दबा दिया। संजीव और उसकी पत्नी ने शिवानी के हाथ-पैर पकड़े, जबकि रवि ने उसकी जान ले ली। हत्या के बाद, परिवार ने सबूत मिटाने की ठानी। शव को जलाया गया, और राख को यमुना नदी में बहा दिया। हैरानी की बात यह है कि हत्या के बाद चारों आरोपी शव के पास एक घंटे तक बैठे रहे, मानो यह कोई सामान्य बात हो।

गांव की बातें और परिवार का दबाव

शिवानी और अंकित के रिश्ते की खबर गांव में डेढ़ साल से फैली थी। गांववाले ताने मारते थे, और परिवार को लगता था कि उनकी बदनामी हो रही है। शिवानी की जिद और अंकित से उसकी लगातार बातचीत ने घर में तनाव बढ़ा दिया। कई बार झगड़े हुए, मारपीट तक बात पहुंची, लेकिन शिवानी अपने फैसले पर अडिग रही। वह बार-बार कहती थी कि वह अंकित से ही शादी करेगी। यह जिद उसके लिए मौत का कारण बन गई।

प्रेमी अंकित की जान पर खतरा

शिवानी की हत्या के बाद अंकित डर के साये में जी रहा है। उसने एक वीडियो जारी कर अपनी जान को खतरा बताया। “मुझे भी मार सकते हैं,” उसने कहा, “और अगर ऐसा हुआ तो इसके जिम्मेदार शिवानी का परिवार होगा।” अंकित की यह अपील न सिर्फ उसकी बेबसी दिखाती है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि क्या प्यार करना आज भी इतना बड़ा गुनाह है?

समाज के लिए एक सबक

यह घटना सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं है। यह उन सामाजिक बेड़ियों की सच्चाई है, जो आज भी प्रेम को जाति और इज्जत की भेंट चढ़ा देती हैं।

सीट से उठ भी नहीं पाए… और ज़िंदा जल गए! कार हादसे की ये कहानी हिला देगी आपको

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में एक ऐसी त्रासदी हुई, जिसने हर किसी का दिल दहला दिया। एक खुशी के मौके से लौट रहा एक परिवार उस वक्त मौत के आगोश में समा गया, जब उनकी कार में आग लग गई और पांच लोगों की जिंदगी छिन गई। यह हादसा न केवल एक परिवार की कहानी है, बल्कि सड़क सुरक्षा और जागरूकता की जरूरत को भी उजागर करता है।

खुशी से शुरू हुआ सफर, मातम में बदला
दिल्ली के मालवीय नगर में रहने वाले तनवीर अहमद अपने परिवार और बहनोई के परिवार के साथ बदायूं के सहसवान में एक शादी समारोह में शामिल होने गए थे। हंसी-खुशी के साथ शुरू हुआ यह सफर उस वक्त दुखद मोड़ लेगा, किसी ने सोचा भी नहीं था। सुबह करीब 5:30 बजे, बुलंदशहर के जहाँगीराबाद कोतवाली क्षेत्र में अनूपशहर-बुलंदशहर रोड पर, उनकी स्विफ्ट कार एक बाइक सवार को बचाने की कोशिश में अनियंत्रित हो गई।

पलभर में सब कुछ राख
पुलिस के मुताबिक, कार एक पुलिया से टकराकर खाई में जा गिरी। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कार में तुरंत आग भड़क उठी। आग की लपटें इतनी तेज थीं कि कार में सवार छह लोगों में से पांच को बाहर निकलने का मौका तक नहीं मिला। मौके पर मौजूद लोगों ने मदद की कोशिश की, लेकिन आग की तीव्रता के सामने सभी बेबस थे। इस हादसे में केवल एक युवती गंभीर रूप से घायल अवस्था में बच पाई, जिसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया।

पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
एसपी देहात डॉक्टर तेजवीर सिंह ने बताया कि प्रारंभिक जांच में हादसे की वजह बाइक सवार को बचाने की कोशिश सामने आई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। स्थानीय प्रशासन ने मृतकों के परिवार को हर संभव मदद का भरोसा दिया है।

पहलगाम हमले पर आमिर खान बोले- ‘जो हुआ, वो इस्लाम नहीं सिखाता’

हाल ही में, बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता आमिर खान ने रजत शर्मा के लोकप्रिय शो आप की अदालत में शिरकत की। इस खास मुलाकात में आमिर ने न सिर्फ अपने निजी जीवन और करियर की बातें साझा कीं, बल्कि कश्मीर के पहलगाम में हुए दिल दहला देने वाले आतंकी हमले पर भी खुलकर अपनी राय रखी। उनकी बातें न केवल भावनात्मक थीं, बल्कि देश और समाज के प्रति उनकी गहरी सोच को भी दर्शाती थीं। इस लेख में, हम आमिर खान के विचारों, आतंकवाद के खिलाफ उनकी बेबाक राय, और भारत सरकार के निर्णायक कदमों पर उनके समर्थन को विस्तार से जानेंगे।

आतंकवाद का विरोध: आमिर की बेबाक राय

आमिर खान ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की। इस हमले में आतंकवादियों ने एक धर्म विशेष के लोगों को निशाना बनाया और उनके नाम पूछकर निर्दोषों की जान ली। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। शो में रजत शर्मा ने जब आमिर से इस संवेदनशील मुद्दे पर सवाल किया, तो उन्होंने स्पष्ट कहा, “मैं एक मुस्लिम हूं और मुझे अपने धर्म पर गर्व है। साथ ही, मैं एक हिंदुस्तानी हूं और इस बात का भी मुझे उतना ही गर्व है।” आमिर ने आगे जोर देकर कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। “कोई भी धर्म निर्दोष लोगों की हत्या की इजाजत नहीं देता। ये आतंकी जो कर रहे हैं, वह इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है। मैं उन्हें मुस्लिम भी नहीं मानता।”

इस्लाम के सिद्धांत और आतंकवाद का सच

आमिर ने इस्लाम के मूल सिद्धांतों का हवाला देते हुए कहा कि यह धर्म शांति और भाईचारे का संदेश देता है। उन्होंने बताया, “इस्लाम साफ कहता है कि किसी भी निर्दोष व्यक्ति को नुकसान पहुंचाना, खासकर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा, पूरी तरह गलत है।” आमिर ने आतंकवादियों को कट्टरपंथी बताते हुए कहा कि उनके कृत्य धर्म की आड़ में किए गए अपराध हैं, जो किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं हैं। उनकी यह बात न केवल उनके धर्म के प्रति गहरी समझ को दर्शाती है, बल्कि समाज में एकता और शांति की जरूरत को भी रेखांकित करती है।

ऑपरेशन सिंदूर: भारत की जवाबी कार्रवाई

पहलगाम हमले के पीछे पाकिस्तान से जुड़े आतंकी ठिकानों का हाथ होने की बात सामने आई थी। भारत सरकार ने इस हमले का जवाब देने के लिए ऑपरेशन सिंदूर चलाया, जिसमें पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया। आमिर ने इस ऑपरेशन की तारीफ करते हुए कहा, “भारत सरकार ने सही समय पर सही कदम उठाया। आतंकवाद के खिलाफ ऐसी कार्रवाई जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।” उनकी यह राय देश की सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को समर्थन देती है।

आमिर का दुख और देश के प्रति प्रेम

आमिर ने पहलगाम हमले पर गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा, “जब भी ऐसी घटनाएं होती हैं, मेरा दिल टूट जाता है। यह सिर्फ एक समुदाय की बात नहीं, बल्कि पूरे देश की एकता और शांति पर हमला है।” आमिर की यह भावना उनके देशप्रेम और सामाजिक जिम्मेदारी को दर्शाती है। उन्होंने यह भी कहा कि समाज को एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ना होगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

एक संदेश: एकता और शांति

आमिर खान की यह बातचीत न केवल आतंकवाद के खिलाफ उनकी स्पष्ट राय को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि वह एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में समाज में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं। उनकी बातें युवाओं और समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणा का काम करती हैं। वह चाहते हैं कि लोग धर्म और समुदाय की दीवारों को तोड़कर एक-दूसरे के साथ मिलकर रहें।